पशुओं का संतुलित आहार

पशु संदेश, 08 जनवरी 2018

डाॅ. नितिन मोहन गुप्ता,डाॅ. मुकेश भार्गव,डाॅ. प्रकाश बघेल

वैज्ञानिक दृष्टि से दुधारू पशुओं के शरीर के भार के अनुसार उनकी आवश्यकताओं जैसे जीवन निर्वाह, विकास तथा उत्पादन आदि के लिए भोजन के विभिन्न तत्व जैसे प्रोटीन, कारबोहायड्रेट्स, वसा, खनिज, विटामिन तथा पानी की आवश्यकता होती है। जिस आहार में पशु के सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित अनुपात तथा मात्रा में उपलब्ध हों, उसे संतुलित आहार कहते हैं। पशुओं की आहार की मात्रा उसकी उत्पादकता एवं प्रजनन की अवस्था पर निर्भर करती है। पशु को कुल आहार का 2/3 भाग मोटे चारे से तथा 1/3 भाग दाने के मिश्रण द्वारा खिलाना चाहिए।

वैसे तो पशु के आहार की मात्रा का निर्धारण उसके शरीर की आवश्यकता व कार्य के अनुरूप तथा उपलब्ध भोज्य पदार्थों में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के आधार पर गणना करके किया जाता है लेकिन पशुपालकों को गणना कार्य की कठिनाई से बचाने के लिए थम्ब रूल को अपनाना अधिक सुविधा जनक है। इसके अनुसार हम मोटे तौर पर वयस्क दुधारू पशु के आहार को तीन वर्गों में बांट सकते हैं।

1. जीवन निर्वाह के लिए आहार
2. उत्पादन के लिए आहार
3. गर्भावस्था के लिए आहार

1. जीवन निर्वाह के लिए आहारः-
यह आहार की वह मात्रा है जिसे पशु अपने शरीर को स्वतः रखने के लिये दिया जाता है। इसे पशु अपने शरीर के तापमान को उचित सीमा में बनाए रखने, शरीर की आवश्यक क्रियायें जैसे पाचन क्रिया, रक्त परिवहन, श्वसन, उत्सर्जन, चयापचय आदि के लिए काम में लाता हैं। इससे उसके शरीर का वजन भी एक सीमा में स्थिर बना रहता हैं। चाहे पशु उत्पादन में हो या न हो इस आहार को उसे देना ही पडता है इसके अभाव में पशु कमजोर होने लगता है जिसका असर उसकी उत्पादकता तथा प्रजनन क्षमता पर पडता है। इस में देशी गाय के लिए तूडी अथवा सूखे घास की मात्रा 4 किलो तथा संकर गाय व शुद्ध नस्ल के लिए यह मात्रा 4 से 6 किलो तक होती है। इसके साथ पशु को दाने का मिश्रण भी दिया जाता है जिसकी मात्रा स्थानीय देशी गाय के लिए 1 से 1.25 किलो तथा संकर गाय, शुद्ध नस्ल की देशी गाय या भैंस के लिए इसकी मात्रा 2.0 किलो रखी जाती है।
इस विधि द्वारा पशु को खिलाने के लिए दाने का मिश्रण उचित अवयवों को ठीक अनुपात में मिलाकर बना होना आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित घटकों को दिए हुए अनुपात में मिलाकर संतोषजनक पशु दाना आहार बना सकते है।

क्रमांक अवयव प्रतिशत
1. खलियां (मूंगफली, सरसों, तिल, बिनोला, अलसी आदि की खलें) 25-35 प्रतिशत
2. मोटा अनाज (गेहूं, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि) 25-35 प्रतिशत
3. अनाज के बायप्रोडक्ट (चोकर, चूनी, चावल की भुसी आदि) 10-30 प्रतिशत
4. खनिज मिश्रण 1 प्रतिशत
5. आयोडीन युक्त नमक 2 प्रतिशत
6. विटामिन्स ए,डी-3 का मिश्रण 20-30 ग्राम प्रति 100 किलो

2. उत्पादन के लिए आहार

पशुओं से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक चारे की आवश्यकता होती है। उत्पादन आहार पशु आहार की वह मात्रा है जिसे कि पशु को जीवन निर्वाह के लिए दिये जाने वाले आहार के अतिरिक्त उसके दूध उत्पादन के लिए दिया जाता है। इसमें स्थानीय गाय (देशी) के लिए प्रति 2.5 किलो दूध के उत्पादन के लिए जीवन निर्वाह आहार के अतिरिक्त 1 किलो दाना देना चाहिए, जबकि संकर/देशी दुधारू गायों/भैंसों के लिए यह मात्रा प्रति 2 किलो दूध के लिए दी जाती है। यदि हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तो हर 10 किलो अच्छे किस्म के हरे चारे को देकर 1 किलो दाना कम किया जा सकता है। इससे पशु आहार की कीमत कुछ कम हो जाएगी। पशु को दुग्ध उत्पादन तथा आजीवन निर्वाह के लिए साफ पानी दिन में कम से कम तीन बार जरूर पिलाना चाहिए।

3. गर्भावस्था के लिए आहार

पशु की गर्भावस्था में उसे 5वें महीने से अतिरिक्त आहार दिया जाता है क्योंकि इस अवधि के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे की वृद्धि बहुत तेजी के साथ होने लगती है। अतः गर्भ में पल रहे बच्चे की उचित वृद्धि व विकास के लिए तथा गाय/भैंस के अगले ब्यांत में सही दुग्ध उत्पादन के लिए इस आहार का देना नितांत आवश्यक है। इसमें स्थानीय गायों (देशी) के लिए 1.25 किलो तथा संकर नस्ल की गायों व भैंसों के लिए 1.75 किलो अतिरिक्त दाना दिया जाना चाहिये। इसके लिये जेबू नस्ल के पशओं में 3 किलो तथा संकर गायों व भैंसों में 4-5 किलो दानें की मात्रा पशु की निर्वाह आवश्यकता के अतिरिक्त दिया जाना चाहिए। इससे पशु अगले ब्यांत में अपनी क्षमता के अनुसार अधिकतम दुग्धोत्पादन कर सकते हैं।

डाॅ. नितिन मोहन गुप्ता1, डाॅ. मुकेश भार्गव 2 एवं डाॅ. प्रकाश बघेल3

1- पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ, 2-वैज्ञानिक, 3-उपसंचालक 

1, 3 भेड प्रजनन प्रक्षेत्र, पडोरा जिला-शिवपुरी 

2- कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र जिला-शिवपुरी

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