किसी फिल्म में पशुओं के प्रयोग हेतु नियम का पालन जरूरी है -डॉ. नीलम बाला

फिल्म उद्योग के लोगों को चाहिए पशु-पक्षियों को प्यार करें, उन्हें मदद करें और बचाएं

पशु संदेश, 07 April 2019

र्डॉ. आर.बी. चौधरी

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) की सचिव डॉ. नीलम बाला ने हाल ही में एफआईसीसीआई- "फिक्की फ्रेम्स 2019" द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय सेमिनार मैं बतौर मुख्य अतिथि शरीक हुई तथा आगंतुक प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए भारतीय सिनेमा में पशुओं के प्रयोग पर अपने बेबाक विचार रखें। कहा कि फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को पशुओं से प्यार करना चाहिए उनको बचाने के लिए खुलकर सामने आना चाहिए। उन्होंने बताया कि पहली बार इतने बड़े फिल्मी मंच पशु कल्याण को तरजीह दी गई और पशुओं पर अपराध रोकने के अभियान में "फिक्की फ्रेम्स 2019" ने अपनी हिस्सेदारी तय किया, इसके लिए वे आभारी हैं ।

इस सेमिनार का आयोजन सिनेमा उद्योग के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए 13 मार्च 2019 को होटल हयात, मुंबई आयोजित किया गया। किंतु, यह एक अच्छी बात है कि आयोजन समिति इस बार जीव दया और पशु कल्याण के मुद्दे को एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में अपनी व्यवसायिक चर्चा में शामिल किया। "फिक्की फ्रेम्स 2019" कि यह पशु कल्याण जागरण पर की गई कोशिश पूर्णतया सफल रही है और इस प्रयास के माध्यम से फिल्म उद्योग में संलग्न अधिक से अधिक लोगों को यह बताया जा सका कि फिल्म में पशुओं को प्रयोग करने के लिए कुछ नियम- कायदे होते हैं जिनका परिपालन किसी भी निर्माता-निर्देशक के द्वारा परिपालन अत्यंत आवश्यक होता है अन्यथा , जानवर प्रयुक्त फिल्म रिलीज नहीं किया जा सकता।

डॉक्टर बाला ने बताया जाता है कि यह आयोजन संभवत: देश में पहली बार "शूट- एट- साइट" की परिकल्पना के माध्यम से असली जानवरों के एवज में एनिमेशन या ग्रैफिक्स से बनाए नकली जानवरों के उपयोग को बढ़ावा देने की बात जोरदार ढंग से कही गई ताकि वास्तविक जानवरों का प्रयोग कम से कम किया जाए। इस आयोजन में एनीमेशन तकनीक को अपनाने का अनुरोध किया गया। साथ ही साथ यह भी कहा गया कि फिल्म निर्माता फिल्म शूटिंग में पशु कल्याण के महत्त्व को समझे और संबंधित कानून का प्रतिपालन करें। शूटिंग के दौरान पशुओं पर होने वाली किसी भी प्रकार की जोर जबरदस्ती रोकी जानी चाहिए। जानबूझकर की गई गलतियों को बोर्ड कभी माफ नहीं करता और सख्त कार्यवाही की जाती है। इसलिए ऐसी परिस्थितियों से निर्माता- निर्देशकों को बचना चाहिए। कानूनी प्रक्रिया से सबल एवं प्रभावी प्रक्रिया होती है प्रयुक्त पशुओं की वेदना को स्वयं समझना एवं महसूस करना।

डॉ. नीलम बाला ने कहा कि जब फिल्म शूटिंग में जानवर का इस्तेमाल किया जाता है तो पशु कल्याण के तमाम कानूनी मुद्दे प्रतिष्ठित और अप्रत्यक्ष आते हैं और उनका नियमानुसार पालन नहीं होता। आज भी तमाम निर्माता -निर्देशकों को फिल्म में प्रयोग किए जाने वाले जानवरों पर मौजूद कायदे कानून नहीं पता है। उन्होंने क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के के अधीन प्रदर्शनकारी पशु नियम (पंजीकरण), 2001 मैं दर्शित उपायों की चर्चा की। साथ-साथ पशु कल्याण के महत्व को समझाने के लिए एनिमल राइट्स और एनिमल एथिक्स की अवधारणा को वह भी समझाया। यह भी बताया कि पशु कल्याण का मामला जीव -जंतुओं के संरक्षण, संवर्धन एवं सतत विकास के सभी प्रयास भी इसी श्रेणी में आते हैं।

बोर्ड सचिव ने फिल्म निर्माण के लिए भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) प्राप्त करने के लिए उचित प्रक्रिया के बारे में भी बताया और कहा कि यदि फिल्म शूटिंग में जानवरों का प्रयोग किया जाता है तो ऐसे निर्माता-निर्देशक को नियमानुसार हर हालत में सबसे पहले जानवर प्रयोग करने की अनुमति अवश्य लेनी चाहिए। उनहोंने यह भी कहा कि यदि सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे पशु स्वास्थ्य प्रमाणपत्र, पशु मालिक की अनुमति पत्र, उचित डिमांड ड्राफ्ट, भली प्रकार भरा हुआ आवेदन पत्र , इत्यादि प्राप्त प्राप्त होने पर ही अनापत्ति प्रमाण पत्र या अनुमति पत्र काम से कम में बेहद आसान तरीके से उपलब्ध कराया जाता है।

पशु कल्याण का यह सत्र बेहद इंटरएक्टिव था। फिल्म निर्माताओं द्वारा उठाए गए सभी सवालों का बेहद सटीक जवाब दिया और उनका शंका समाधान किया। इतना ही नहीं बल्कि, पूछे गए सभी प्रश्नों का हर जवाब विस्तार से बताया। डॉक्टर बाला ने कहा कि अगर फिल्म में जानवरों का इस्तेमाल किया जाता है तो अनुमति अत्यंत आवश्यक है तथा संबंधित प्रोडक्शन हाउस को अनुमति तभी दी जाती है जब बोर्ड सभी आवश्यक कागजातों से संतुष्ट हो जाता है। नियमानुसार प्रेषित सभी आवेदन पत्रों को एक निर्धारित समय के अंदर अनुमति दे दी जाती है, बशर्ते अन्य कोई दूसरी अड़चन सामने नहीं आए।

आयोजन समिति के अनुसार, "फिक्की फ्रेम्स 2019" फिल्म इंडस्ट्री के मार्केट का यह दूसरा संस्करण है जो मीडिया और मनोरंजन सामग्री के लिए भारत का सबसे बड़ा फिल्म संबंधी बाजार नियंत्रित करता है और भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के लिए बेहतर सेवाएं मुहैया कराता है। इस आयोजन के दौरान एनिमल वेलफेयर या एनिमल केयर जैसा एक नया मुद्दा शामिल किया जाना एक बहुत बड़ी बात है। बेशक ,यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रयास रहा है। इससे न केवल पशुओं- पक्षियों का भला होगा बल्कि फिल्म प्रोडक्शन में काम करने वाले लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा। देश विदेश से आए प्रतिनिधियों ने भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड की प्रशंसा की और पशु कल्याण के अभियान में शामिल होने का वचन दिया।

डॉक्टर नीलम बाला ने चलते- चलते फिल्म उद्योग से जानवरों से प्यार करने,मदद करने और उनके प्राण बचाने का अनुरोध किया।

(# भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के पूर्व मीडिया प्रमुख- डॉ. आर. बी. चौधरी एक विज्ञान लेखक एवं वर्तमान में तकनीकी संचार कार्यक्रमों से जुड़े हुए हैं।)

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