किसानों की आय में वृद्धि का महत्वपूर्ण माध्यम है पशुपालन : सुभाष मांडगे


नेशनल ओ-ऑपरेटिव डेरी फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (NCDFI) के चेयरमैन श्री सुभाष मांडगे जी ने पशु संदेश से भारतीय डेरी उघोग के विभिन्न पहलुओं पर खुलकर बातचीत की | प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश ......

प्रश्न : भारतीय डेरी उघोग में नेशनल ओ-ऑपरेटिव डेरी फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (NCDFI) की क्या भूमिका है?

उत्तर: NCDFI की परिकल्पना और स्थापना देश में श्वेत क्रांति के जनक डॉ वर्गीस कुरियन ने की थी । 50-60 के दशक में डेरी के क्षेत्र में सहकारिता का विस्तार हुआ और विभिन्न राज्यों में दुग्ध संघों और दुग्ध महासंघों की स्थापना हुई । ऐसे समय में विभिन्न राज्यों के दुग्ध महासंघों को एक सूत्र बंधने और उन में समन्वय स्थापित करने हेतु राष्ट्र स्तर पर एक अपैक्स (शीर्ष) संस्था की आवश्यकता महसूस हुई । इसी आवश्यकता को पूरा करने के लिए सन् 1970 में डॉ वर्गीस कुरियन ने NCDFI की स्थापना की । स्थापना के बाद से लगातार कई वर्षों तक डॉ कुरियन ही इस संस्था के अध्यक्ष भी रहे । स्थापना के समय NCDFI का मुख्यालय दिल्ली में था , जिसे सन् 1986 में गुजरात के आनंद में स्थान्तरित किया गया ।

प्रश्न: NCDFI के प्रमुख कार्य क्या हैं?

उत्तर: NCDFI देश भर के दुग्ध संघों में समन्वय स्थापित करने के साथ ही डेरी सेक्टर से सम्बंधित नीति निर्धारण में सरकार का सहयोग करती है । भारतीय सेना एवं भारतीय रेल को उच्च गुणवत्ता के डेरी प्रोडक्ट्स की सप्लाई का कार्य भी दुग्ध संघों के माध्यम से हमारे द्वारा किया जाता है । इसके अलावा दुधारू पशुओं के नस्ल सुधर कार्यक्रम को आगे बढ़ने के लिए, NCDFI देश के विभिन्न दुग्ध संघों को अच्छी उत्पादन क्षमता वाले बुल्स का सीमेन उपलब्ध कराती है ।

प्रश्न: क्या NCDFI की भूमिका डेरी सेक्टर में रेगुलेटर की भी है?

उत्तर: नहीं, सभी स्तर की सहकारी संस्थायें पूर्ण स्वाइत्तता से कार्य करती हैं | हमारी भूमिका सिर्फ सहयोग और समन्वय तक सीमित है |

प्रश्न: आप अपने कार्यकाल की मुख्य उपलब्धी किसे मानते हैं?

उत्तर: NCDFI द्वारा पिछले वर्ष शुरू किये गए E मार्केटिंग पोर्टल को में अपने कार्यकाल की मुख्य उपलब्धी मानता हूँ ।

प्रश्न: E मार्केटिंग पोर्टल के बारे में थोडा विस्तार से बताए?

उत्तर: NCDFI का E-मार्केट देश के दुग्ध संघों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म है । E-मार्किट में देश के विभिन्न दुग्ध संघ अपने मिल्क पाउडर और क्रीम का विक्रय ऑनलाइन ऑकशान के माध्यम से करते हैं और कैटल फीड इंग्रेडीएनट्स की खरीदी रिवर्स बिडिंग के माध्यम से करते हैं ।

प्रश्न : E-मार्केट के क्या फायदे हैं?

उत्तर: पहले सभी दुग्ध संघ स्थानीय स्तर पर टेंडर के माध्यम से क्रय- विक्रय करते थे । यह एक जटिल प्रक्रिया थी और इसमें समय भी बहुत लगता था। इसमें कई बार स्थानीय व्यापारी आपस में मिलकर रिंग (cartel) बनाकर मनमाने दामों पर सौदा करने में सफल हो जाते थे, जिससे दुग्ध संघों को नुक्सान होता था । हमारे E-मार्केटिंग प्लेटफार्म पर ऑनलाइन ऑक्शन होता है, जिसमें देश भर के खरीददार हिस्सा लेते हैं, जिस से प्रतिस्पर्धा के चलते दुग्ध संघों को अच्छी कीमत मिलती है । E-मार्किट ज्यादा पारदर्शी, सरल और सस्ता ट्रेडिंग प्लेटफार्म है ।

प्रश्न : देश के कितने दुग्ध संघ E-मार्किट से जुड़े हैं?

उत्तर: देश के सभी मिल्क यूनियन आज इस प्लेटफार्म से जुड़े हैं ।

प्रश्न: मिल्क पाउडर और क्रीम के विक्रेताओं की सूची में प्राइवेट कम्पनीयाँ क्यों नहीं हैं?

उत्तर: NCDFI एक सहकारी क्षेत्र की संस्था है, इसीलिए हम सहकारी संस्थाओं के लिए ही कार्य करते हैं ।

प्रश्न: क्या भविष्य में विदेशी बायर्स को जगह मिलेगी?

उत्तर: इस विषय पर अभी हम अध्यन कर रहे हैं । हमारे दुग्ध उत्पादकों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस पर निर्णय लिया जाएगा ।

प्रश्न: आने वाले समय में E-मार्किट में क्या नया देखने को मिलेगा?

उत्तर: E-मार्किट में हम शीघ् ही लिक्विड मिल्क की ट्रेडिंग भी शुरू करने जा रहे हैं |

प्रश्न: 100प्रतिशत FDI का डेरी सेक्टर पर क्या प्रभाव होगा?

उत्तर: हमारे देश के डेरी उघोग में सहकारिता की जड़ें बहुत गहरी हैं । जिन प्रदेशों में सहकारी दुग्ध संघों की स्थिति अच्छी है, वहां इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा | जिन राज्यों में सहकारी दुग्ध संघों की स्थिति अच्छी नहीं है,वे राज्य इससे प्रभावित होंगे | विदेशी कम्पनीयों के आने से मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे अंततः किसान को ही फायदा होगा ।

प्रश्न: क्या अब अमूल मॉडल में बदलाव की जरुरत है?

उत्तर: नहीं, अमूल मॉडल ने ही हमारे देश को विश्व का नंबर एक दुग्ध उत्पादक देश बनाया है | यह एक फुल-प्रूफ मॉडल है, फ़िलहाल इसमें परिवर्तन की कोई आवशकता नहीं है | यह मॉडल आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना पचास के दशक में था |

प्रश्न: अमूल के अलावा देश के कौन से मिल्क फेडरेशन अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं?

उत्तर: आज हमारे देश में कई अमूल उभर रहे हैं, मेरी नज़र में कर्नाटक, राजस्थान और बिहार के फेडरेशन बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं । इनमें अमूल जैसा कर दिखाने की क्षमता है और ये उस राह पर काफी आगे भी बढ़ चुके हैं ।

प्रश्न: नेशनल डेरी प्लान (NDP) का धरातल पर क्या प्रभाव देखने को मिल रहा है?

उत्तर: नेशनल डेरी प्लान के सकरात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं | NDP के तहत धरातल पर बहुत अच्छा काम हुआ है। विशेषकर राशन बैलेंसिंग प्रोग्राम (RBP) की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में दूध की उत्पादन लागत में काफी कमी आई है, एैसा प्रत्यक्ष देखने को मिलता है ।

प्रश्न : सरकार ने सन् 2022 तक किसानों की आय को दुगना करने का बीड़ा उठाया है | इसमें पशुपालन की क्या भूमिका है?

उत्तर: हमारे देश के कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह जी ने किसानों से समेकित खेती करने का अवाह्न किया है। समेकित खेती ही एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा किसानों की आय को दोगुना किया जा सकता है। कृषि एवं पशु पालन एक दूसरे के पूरक हैं । देश के 95 प्रतिशत किसान पशुपालन से जुड़े हुए हैं, तथा उनकी आय में पशुपालन से होने वाली आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । इसलिए पशुपालन किसानों की आय में वृद्धि का महत्वपूर्ण माध्यम है | आपने खुद देखा होगा कि जिन क्षेत्रों में किसान व्यावसायिक पशुपालन से जुड़े हैं उन क्षेत्रों में किसान आत्महत्या नहीं करते । दुग्ध उत्पादन से होने वाली आय को बढ़ने के लिए हम दो बिंदुओ पर ध्यान दे रहे हैं, पहला बिंदु है, प्रति पशु उत्पादकता को बढ़ाना और दूसरा बिंदु है, प्रति लीटर दूध की उत्पादन लागत को कम करना | इन दोनों ही क्षेत्रों में NDP के माध्यम से अच्छा कम हो रहा है |

प्रश्न : क्या दुग्ध संघों में राजनेतिक हस्तक्षेप होता है?

उत्तर: देखिये भारत एक लोकत्रांतिक देश है, यहाँ आप राजनीती से दूर नहीं रह सकते, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं में | हमारे दुग्ध संघों में भी कई संचालक ऐसे निर्वाचित होते हैं, जो राजनेैतिक पृष्टभूमि से आते हैं | पर कुछ अपवादों को छोड़ दें तो मेरा मानना है की आज भी सहकरी संस्थओं में राजनेैतिक हस्तक्षेप प्रभावी नहीं है |

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