आईटी क्रांति द्वारा पशुपालन मे नवीन संभावनाए

पशु संदेश , 25 अगस्त 2018

डॉ सुनील राजोरिया,डॉ संजय कुमार रेवानी, डॉ विरेन्द्र सिंह, डॉ मनीषा सिंगोदिया, डॉ बृजेश नंदा

प्रस्तावना:

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ;आईटी ने विश्व स्तर पर दुनिया को एक स्थान पर जोड़ा है जो अब हमारी जीवनशैली को लगातार बदल रहा है। आईटी तकनीकी उपकरण और संसाधनों का एक विविध सेट है जिसमें सूचना का निर्माण ,भंडारण ,पुनर्प्राप्ति, रूपांतरण और संचरण शामिल है। आज मानव जीवन आईटी क्षेत्र से अछूता नहीं है। आईटी क्रांति के इस दौर मे कृषि और पशुपालन भी प्रभावित हुआ है हालांकि कृषि और पशुपालन में आईटी की भागीदारी बेहद कम या नगण्य है। जिसकी वजह से वर्तमान परिदृश्य में भारत जैसे कृषि प्रधान देश मे जहाँ कृषि एवं पशुपालन एक तरफ भोजन और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करता है और दूसरी तरफ आय और रोजगार के अवसर प्रदान करता है|

इन दिनों जनसंख्या वृद्धि, अधिक शहरीकरण और बढ़ती आय के कारण पशुओं के उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है |उक्त मांग की उपलब्धता सुनिश्चित करने मे आईटी सहायक सिद्ध हो सकती है। सूचना की उपलब्धता विस्तार की प्रक्रिया में सहायता करती है और इसे तेज़ और अधिक प्रभावी बनाती है। पशुपालको को सही समय पर सही तरीके से जानकारी और ज्ञान की उपलब्धता अधिक उत्पादकता और अधिक लाभप्रदता की ओर ले जाती है। इस प्रकार आईटी उपकरणों का उपयोग भारत में पशुपालन के क्षेत्र को बदलने की क्षमता रखते है। पशुपालन क्षेत्र को सूचना संचालित,आधुनिक और प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में बदलने के लिए आईटी की भूमिका को खारिज नहीं किया जा सकता है। इसीलिए ये आईटी उपकरण आज के समय की मांग हैं।

आईटी के उपयोग:

पशुपालन के क्षेत्र में आईटी आधारित सूचना वितरण द्वारा पशुपालक के गुणवत्तापूर्ण निर्णय लेने की समझ एवं ज्ञान मे काफी सुधार किया जा सकता है। इसके अलावा आईटी मौसम पूर्वानुमान, सर्वोत्तम उत्पादन प्रथाओं,आवास में नवाचार, पशुधन रोग नियंत्रण, प्रजातियों/नस्ल के विवरण डेयरी झुंड प्रबंधन, टीकाकरण, पशुधन उत्पादन और पशुधन उत्पादों के विपणन इत्यादि के बारे में जानकारी का आदान.प्रदान करता है।
पशुपालन के विभिन्न क्षेत्र जहां वर्तमान मे आईटी उपकरण उपयोग किए जा रहे हैं:
1 पशु प्रजनन                2 पशु प्रबंधन
3 पशु चारा प्रबंधन            4 पशु स्वास्थ्य देखभाल
5 विकास कार्यक्रम            6 परियोजना प्रस्ताव लेखन
7 विपणन                8 प्रशासन    
9 सूचना प्रसार            10आपदा प्रबंधन
11योजना                12 पशुपालन में कोई अन्य क्षेत्र

आईसीटी के लाभ:

1. धन और समय की बचत: वैज्ञानिक संदेश नवीन तकनीक एवं आवश्यक सूचनाएं तुरंत इच्छुक उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाने के लिए धन और समय की बचत करता हैं।

2. निरंतर अनवरत उपलब्धता: साइबर एक्सटेंशन की मुख्य विशेषता इसकी उपलब्धता हर समय (24x7) होती है। इसे किसी भी समय उपयोगकर्ताओं द्वारा उनकी ज़रूरतों के अनुसार कभी भी कही भी देखा जा सकता है।

3. प्रसार प्रक्रिया में अल्प चरण: साइबर पहुँच पारंपरिक विस्तार प्रक्रिया से कई चरणों को हटा देगा। सूचना सीधे इंटरनेट पर डाली जा सकती है जो जिला,सब.डिवीजन, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर विस्तार कार्यकर्ताओं और पशुपालको के लिए उपलब्ध होगी। सभी संबंधित सूचना तुरंत प्राप्त करेंगे और प्रश्न/स्पष्टीकरण/सुधार को भी उतना ही तेजी से लागू किया जा सकता है।

4. समृद्ध एवं विश्लेषणात्मक सुचना की प्राप्ति: पशुपालको को उनकी आवश्यक जानकारी खोजने और ढूंढने की सहूलियत प्रदान करता है।

5. तत्काल अंतर्राष्ट्रीय पहुंच: आईटी समय और दूरी की बाधा को खत्म कर देगी जो दुनिया के किसी भी हिस्से से किसी विशेष पशुधन समस्या पर नवीनतम जानकारी जानने और सर्वोत्तम वैज्ञानिकध्विशेषज्ञ के साथ चर्चा मे महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

सारांश:

वर्तमान मे पशुधन प्रबंधन के लिए उभरती प्रासंगिक आईटी तकनीक पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि वित्तीय संसाधन आईटी उपकरणों के प्रसारण को सीमित कर सकते हैं| आईटी प्रणालियों को मजबूत करने से सूचना प्रवाह/संचरण और सहयोग में काफी हद तक सुधार होगा। इसलिए पशुपालको को अधिक सशक्त बनाने का एकमात्र विकल्प आईटी उपकरण का कम लागत पर उपयोग सूचना प्राप्त करने में मौजूद बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है और अनुप्रयोगों को व्यवहार्य और लाभदायक बना सकता है।

Dr. Sunil Rajoria, Dr. Sanjay Kumar Rewani, Dr. Virendra Singh, Dr. Manisha Singodia, Dr. Brijesh Nanda

Dr. Sunil Rajoria, Teaching Associate, Veterinary University Training & Research Center, Dungarpur (Rajasthan)

Dr. Sanjay Kumar Rewani, Assistant Professor, Post Graduate Institute of Veterinary Education and Research, Jaipur (Rajasthan)

Dr. Virendra Singh, Teaching Associate, Veterinary University Training & Research Center, Dungarpur (Rajasthan)

Dr. Manisha Singodia, Assistant Professor, Mahatma Jyotiba Fule Veterinary College, Jaipur (Rajasthan)

Dr. Brijesh Nanda, Assistant Professor, Apollo College of Veterinary Medicine, Jaipur (Rajasthan)

Corresponding Auther: Dr. Sunil Rajoria

rajoriasunil22@gmail.com