झारखंड में पशु क्रूरता रोकने के लिए कवायद आरंभ

पशु संदेश,08 मार्च 2019 रांची (झारखंड)

राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड झारखंड के तत्वाधान में आज दो दिवसीय पशु कल्याण प्रशिक्षण का समापन किया गया जिसमें 25 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और जीव जंतु कल्याण की दिशा में काम करने के लिए संकल्प लिया। इस बात की जानकारी देते हुए राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड के समन्वयक डॉ शिवानंद काशी ने बताया कि प्रशिक्षण में शरीक प्रतिभागियों में नगर निगम के अधिकारी पशु चिकित्सक पशु प्रेमी एवं पशु का कानून के क्रियान्वयन से संबंधित अनेक अधिकारी उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम के समन्वयक डॉक्टर कांसी ने बताया कि सम्मिलित प्रशिक्षुओं को विशेषकर झारखंड गौ सेवा ayog अधिनियम 2005 (झारखंड अधिनियम 02, 2006) मैं दर्शित सभी उपायों की विधिवत व्याख्या की गई और इस अधिनियम को क्रियान्वित करने के लिए सभी विधि विधान पर गहन आत्ममंथन हुआ ताकि गोवंश पशु के ऊपर होने वाले अपराधों को नियंत्रित करने में कामयाबी हासिल की जा सके। उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय सत्र में जहां एक ओर जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और उसके तहत सभी संशोधित नियमों और विनियमों लागू कराने के तरीके बताए गए ।
डॉक्टर कांशी ने बताया कि राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम अगले महीने तक जारी रहेगा प्रशिक्षण कार्यक्रम के इस श्रृंखला को अगले 9 चरणों में पूरा किया जाएगा और प्रत्येक बैच में 25 प्रशिक्षुओं को चयनित करने का निर्णय लिया गया है । सारे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पूरा करने के बाद जिला स्तरीय जीव जंतु कुरता निवारण समितियों को जागृत किया जाएगा ताकि पशु शरण स्थल और पशु चिकित्सा संबंधी सुख सुविधाओं से सुसज्जित कर लावारिस पशुओं की सेवा शुरू से की जा सके साथ ही अवैधानिक ढंग से होने वाले यातायात को रोका जा सके।
डॉक्टर कांसी ने बताया कि अभी तक संपन्न हुए प्रशिक्षण कार्यक्रमों में कई महत्वपूर्ण है सुझाव सामने आए हैं। देश के विभिन्न स्थानों से आए विशेषज्ञ एवं प्रदेश भर के एकत्र प्रशिक्षु पशु चिकित्सकों के द्वारा यह सुझाव दिया गया कि राज्य सरकार को मवेशी हॉस्टल बनाने के लिए अपना कदम आगे बढ़ाना चाहिए। इसकी सफलता के लिए नगर पालिका मॉडल हॉस्टल देखने के लिए अहमदाबाद एवं आदर्श एबीसी/ एआर कार्यक्रम के लिए वडोदरा को जा करके देखना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि सर्व सम्मत से यह भी अनुरोध किया गया कि आधुनिक ढंग सेमुर्गियों के स्वेटर के लिए "चिकन टू किचन" सिद्धांत को भी अपनाने की परम आवश्यकता है ताकि कम से कम रांची नगर निगम के श्रम शक्ति को सार्थक बनाया जा सके। एक आदर्श केंद्र स्थापित हो जाने पर प्रदेश के अन्य जगहों पर उस पद्धति को अपनाया जा सकता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर तूलिका सिन्हा ने मीडिया कर्मियों को प्रशिक्षण कार्य में शामिल करने का सुझाव दिया।

दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन के अवसर पर वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिल कुमार एवं डॉक्टर पंकज सहित अनेक पशु चिकित्सा अधिकारी मौजूद थे।