संकर बाजरा नेपियर से पशुओ को वर्ष वर्ष भर हरा चारा

पशु सन्देश, 20 अगस्त 2018

बृजपाल सिंह, राकेश पाॅडे एवं राम सिंह सुमन

पशु पोषण की आवश्यकता की पूर्ति करने तथा दुग्ध उत्पादन की लागत को कम करने में हरे चारे का विशेष महत्व है। पशुगणना 2012 के अनुसार भारत में कुल 51.2 करोड पशुधन है जिसमें सर्वाधिक  गाय (19.1 करोड़) एवं भैसे (10.9 करोड़) है जो  कि विश्व का सर्वाधिक है। भारत में कुल दुग्ध उत्पादन लगभग 176 मिलियन टन  है तथा इसी अनुसार प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता भी बढ़ना संभव है।
दुग्ध उत्पादन को और अधिक बढाने के लिये तथा पशुओ को स्वस्थ्य रखने के लिये आवश्यक है कि पशु को प्रयाप्त मात्रा में पोषक हरा चारा दिया जाये।  भारत में  विश्व का  2.29 प्रतिशत क्षेत्र क्षेत्र है जिसमें  विश्व का लगभग 10.71 प्रतिशत पशुधन है । जहाॅ भूमि कम तथा पशुधन अधिक है ऐसी स्थति में हरा चारा उगाने के लिये क्षेत्र सीमित हैं । 

भारत में हरे चारे के अन्तर्गत  क्षेत्रफल बहुत कम है जो  लगभग 8.78 लाख हेक्टेयर है जोकि कुल खेती योग्य क्षेत्र ( 168.12 लाख हैक्टेयर ) का 5.22 प्रतिशत है। भारत में  मात्र 18 प्रतिशत हरा चारा चारे वाली फसलों से , 54 प्रतिशत फसल अवशेषों से तथा शेष चारागाहों से मिलता है।

देश  में हरे चारे की कमी को पूरा करने लिये पारम्परिक चारा फसलों के साथ-सााथ बहुवर्षीय हरे चारे संकर बाजरा नेपियर घास की खेती एक अच्छा विकल्प है।  यह तीव्र वृद्धि, शीघ्र पुर्नवृद्धि, अत्यधिक कल्ले, अत्यधिक पत्तियों , इसका पौध  नीचे तने से से लेकर ऊपर पत्तियों तक पूरा हरा आदि गुणों के कारण यह 40-45 दिन में 4-5 फुट उँची हो जाती है तथा 2500 से 3000 कु/वर्ष तक हरा चारा उत्पादन देने में सक्षम है। यह रसीली तथा सुपाच्य होती है और पशु इसे बड़े चाव से खाते हैं। इसमें शुष्क पदार्थ की मात्रा 16 से 22, क्रूड प्रोटीन 9.38 से 14, कैल्शियम 0. 88, फास्फोरस 0.24  तथा इसकी पाचकता 58 प्रतिशत है।  इसकी शीघ्र वृद्धि के कारण , खेत में खरपतवार भी नही होती हैं ।

संकर बाजरा नेपियर का रोपण 15 फरवरी से अक्टूबर माह के अन्त तक किया जा सकता है। इसकी उन्नत प्रजातियाॅ सी0ओ0-3, सी0ओ0-4, सी0ओ0-5 है। इसे एक बार बोने के बाद लगभग 5 वर्ष तक हरा चारा मिलता है। इसकी एक कलम/ कटिंग से  प्रथम बार 15 से 20 कल्ले निकलते है तथा दूसरी एवं तीसरी कटिंग के बाद एक मुढ में 60 से अधिक कल्ले निकलते है जिससे प्राप्त हरा चारा  एक पशु के लिये प्रयाप्त हो जाता है।  इसकी पहली कटाई , रोपण के 60 दिन के बाद तथा इसके उपरान्त प्रत्येक 40-45 दिन बाद उपज ले सकते है। वर्षभर में इसकी 6-7 कटाई से लगभग 2500-3000क्विंटल /हेक्टेयर  तक हरे चारे की उपज प्राप्त होती है।

संकर बाजरा नेपियर की यह तकनीक  बरेली जनपद के लगभग 60 गाॅवों के 200 कृषक अपना चुके है तथा इसी अगस्त माह  में लगभग 150 कृषकों को संकर बाजरा नेपियर की कटिंग उपलब्ध करानी है। बरेली जनपद में जिन कृषकों के खेत पर संस्थान के प्रयासों से  यह नेपियर लगाई है, उनके माध्यम से भी दूसरे कृषक नेपियर को अपने खेतों में लगा रहे।  भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा संचालित  फेसबुक, व्हाटस्एप, यूटयूब चैनल के माध्यम से जानकारी प्राप्त करके , उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार के कृषक भी नेपियर की कटिंग लेकर जा रहे है तथा कृषक फोन के माध्यम से प्राप्त करने की माॅग कर रहे है। ।

कृषकों को  हरे चारे  हेतु लोकप्रिय बनाने तथा कृषकों को शिक्षित व जागरूक करने हेतु संस्थान में लगभग 30 एकड़ क्षेत्र पर नेपियर का प्रर्दशन लगा हुआ है। संस्थान के पशुओं को भी हरे चारे के लिये नेपियर खिलाई जा रही है जिसे पशु बड़े चाव से खा रहे है।

बृजपाल सिंह, राकेश पाॅडे एवं राम सिंह सुमन
 कृषि विज्ञान केन्द्र
भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान
इज्जतनगर - 243 122 बरेली