राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड झारखंड द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर

पशु संदेश 5 मार्च 2019

देश के कई राज्य जैसे हरियाणा ,उत्तर प्रदेश, बिहार एवं झारखंड में मवेशियों की सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत दयनीय है। हष्ट-पुष्ट एवं उत्पादक पशुओं की अवैधानिक यातायात एवं विक्री एक बहुत बड़ी समस्या है।सरकार के सीमित संसाधनों एवं उपलब्ध सुविधाओं के माध्यम से पशुओं पर होने वाले अपराध को अकेले रोकना काफी कठिन कार्य है। इस कमी को पूरा करने के लिए कानूनी कार्यवाही के साथ साथ जन सहभागिता अत्यंत आवश्यक है। यह बात बताई दिल्ली से आए गऊ ज्ञान फाउंडेशन के सुदर्शन कौशिक ने जो प्रशिक्षण कार्यक्रम के सबसे महत्वपूर्ण सत्र को संबोधित कर रहे थे।

सुदर्शन कौशिक ने यह भी बताया कि देशभर में पशुओं पर अपराध तेजी से बढ़ रहा है। देश के कई राज्य पशु संरक्षण -संवर्धन कार्यक्रमों को उत्साहित कर रहे हैं किंतु कई राज्यों में एक निराशाजनक स्थिति बनी हुई है जिनमें पूर्वोत्तर भारत के कई राज्य गंभीर चुनौतियों का सामना करें। उन्होंने बताया कि वह इस समय तकरीबन 600 अधिक पशु सुरक्षा से संबंधित मुकदमें देख रहे हैं। गोवंशीय पशुओं के रेस्क्यू ऑपरेशन का एक हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पशुओं पर होने वाले अपराधिक मामले मैं जब एफआईआर दर्ज की जाती है तो पशु के ऊपर होने वाले छोटे - बड़े सभी प्रमाणों को का उल्लेख छूट जाने से केस कमजोर हो जाता है। इसलिए पशु अपराध पर अधिक से अधिक साक्ष्य नत्थी किए जाएं ताकि मजिस्ट्रेट या जज के सामने पहुंचने पर केस जीता जा सके।

कौशिक ने प्रशिक्षुओं को बताया कि आपातकालीन स्थिति में जब कभी पशु रेस्क्यू आपेशन की आवश्यकता हो तो ध्यान फाउंडेशन (9999099423) से तत्काल समपर्क किया जा सकता है और तत्काल रेस्क्यू किया जाएगा । उन्होंने खुले मंच से ध्यान फाउंडेशन निशुल्क कचरा प्रबंधन एवं गौशाला निर्माण में सहायता करेगी। साथ ही साथ अवैधानिक यातायात अथवा बचाए गए सभी प्रकार के पशु जैसे- गाय, बैल, भैंस, कुत्ता आदि को आश्रय देने की व्यवस्था करेगी। उन्होंने सभी पशु प्रेमियों को किसी प्रकार की समस्या के निराकरण के लिए तुरंत संपर्क करने का आग्रह किया है।

ग्वालियर मध्य प्रदेश से आए सरकारी अधिवक्ता , सिराज कुरैशी ने स्लाटर हाउस में होने वाले पशु अपराधों की जानकारी दी और बताया कि नियमानुसार पशु क्रूरता अपराध को रोका जाना चाहिए। उन्होंने अपने व्याख्यान में अनेक नियम -नियमावली की चर्चा की। आगे यह भी बताया कि क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 निर्दिष्ट उपायों में स्लाटर हाउस में होने वाली क्रूरताओ से खाद्य सामग्री की गुणवत्ता ऊ प्रभावित होती है जिसका सीधा असर आम आदमी के सेहत पर पड़ता है। हमारे देश में अक्सर ऐसे महत्वपूर्ण बातों को लोग नजरअंदाज कर जाते हैं। इसी सत्र में कोलकाता से आए हुए एनिमल वेलफेयर एक्टिविस्ट अरका परवा ने बताया कि आम आदमी को पशु कल्याण का कार्य करने एवं उनको बचाने के लिए आगे आना होगा। साथ ही साथ पशु पर अपराध करने वाले को बक्सा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने सभी से तत्काल कार्यवाही करने की गुजारिश की और कई गुर बताएं।

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के पूर्व संपादक डॉ आर. बी. चौधरी ने बताया कि पशु कल्याण पर शिक्षण- प्रशिक्षण एवं अध्ययन का कार्य समुचित दुनिया में तेजी से फैल रहा है। केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय पशु कल्याण संस्थान ,तमिल नाडु पशु पशुपालन यश चिकित्सा विश्वविद्यालय और आईवीआरआई ,बरेली द्वारा पशु कल्याण के कई कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। डॉ. चौधरी ने यह भी बताया कि बताया कि पशु कल्याण में पशु कल्याण प्रशिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम कई स्वयंसेवी संस्थाएं भी कर रही है जिसमें इंडियन प्रोजेक्ट फॉर एनिमल वेलफेयर एंड नेचर, ऊटी तमिलनाडु भी एनिमल बर्थ कंट्रोल पर ट्रेनिंग चला रहा है। पशु कल्याण को एक बेहतर कार्यक्रम मैं बदलने के लिए बेहतरीन प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन में बेहतरीन प्रशिक्षण संचालित करना अति आवश्यक है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर , डॉ. शिवानंद काशी ने बताया कि शुरू - शुरू में राज्य जंतु कल्याण बोर्ड झारखंड द्वारा पशु कल्याण के कार्यक्रमों को संचालित करने में अनेक कठिनाइयां आई जिसका जमकर के मुकाबला किया गया और सफलता मिलती गई। लेकिन, पशु कल्याण पर नित नई चुनौतियो का सामना करना हमारी एक नई दिनचर्या बन गई है। इस अवसर पर प्रदेश के कई वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी उपस्थित थे जिसमें डॉ शंकर प्रसाद , डॉक्टर विमल हेम्ब्रम , डॉक्टर अनिल कुमार , डॉक्टर शैलेंद्र तिवारी, डॉ प्रभात पाण्डेय , डॉ प्रवीण सिंह सहित पशुपालन विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।