स्वच्छ दूध का उत्पादन

पशु संदेश, 22 अगस्त 2018

डाॅ. रोहिताश कुमार

साधारणतया यह देखा गया है कि दूहारी करते वक्त तथा दूध को एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन करते समय दूध अस्वच्छ हो जाता है। दूध में मिट्टी के कण, बाल, चारे का कचरा, दाना, जीवाणु इत्यादि मिल जाते है जिससे दूध अस्वच्छ हो जाता है और दूध गर्म करने पर फट जाता है, जिससे किसान भाइयों को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है। इसलिए यह परम आवश्यक है कि अन्य खाने की वस्तुओं की भांति दूध को भी स्वच्छ एवं बीमारियों के जीवाणुओं से रहित रखा जाए। स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए अगर किसान भाई निम्न बातों पर ध्यान देवे तो स्वच्छ दूध का उत्पादन कर आर्थिक हानि से बच सकता है।
1.    पशु का स्वास्थ्य एवं सफाई:

  • स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए दूधारू पशु स्वस्थ होना चाहिए। पशु     किसी भी बीमारी से ग्रसित नहीं होना चाहिए।
  • दुधारू पशु को निश्चित अवधि के पश्चात् पशु चिकित्सक को अवश्य दिखाना चाहिए।
  • दुग्धशाला में ले जाने से पहले पशु के शरीर की सफाई कर लेनी चाहिए। विशेषकर पशु के शरीर का पिछला व निचला भाग।

2.    दूध दूहने वाले मनुष्य का स्वास्थ्य एवं सफाई:

  • पशुपालक किसी भी बीमारी से ग्रसित नहीं होना चाहिए।
  • दूध व्यवसाय में लगे हुए पशुपालक की डाॅक्टरी जांच एक निश्चित अवधि के पश्चात् होनी चाहिए।
  • दूहारी के समय पशुपालक के हाथ साफ होने चाहिए।

3.    पशुशाला की सफाई एवं बनावटः

  • पशुशाला स्वच्छ तथा खुली होनी चाहिए।
  • दूहारी करने से करीब डेढ़ घंटे पहले पशुशाला की सफाई होनी चाहिए।
  • पशुशाला की दीवारों पर समय-समय पर सफेदी करनी चाहिए।
  • पशुशाला की बनावट अच्छी होनी चाहिए।

4.    दूध दूहने वाले बर्तन की बनावट तथा उसकी सफाईः

  • दूध दूहने वाले बर्तन सदैव ही एक चादर के हाने चाहिए।
  • दूध के बर्तनों को पूर्णरूप से निर्जलिकृत कर लेना चाहिए।
  • दूध के बर्तनों को गुनगुने पानी से धोकर, गर्म पानी मंे सोड़ा डालकर, ब्रुश से रगड़कर धोना चाहिए तथा स्वच्छ पानी से धोना चाहिए।
  • धोने के बाद बर्तनों को उल्टा रखकर धूप में अच्छी तरह सुखा देना चाहिए।

5.    पशुशाला से दूध हटाने का समय:

  • दुहारी के तुरंत पश्चात् दूध को स्वच्छ स्थान पर रख देना चाहिए।
  • यदि गर्म करने से समय लगे तो दूध को ठंडे स्थान पर भंडारण करना चाहिए।

उपरोक्त बातों पर अगर किसान भाई ध्यान देवे तो स्वच्छ दूध का उत्पादन कर सकतें है।

डाॅ. रोहिताश कुमार
पशुचिकित्सा एवं पशुपालन प्रसार शिक्षा विभाग,
पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, नवानियाँ, वल्लभनगर, उदयपुर
    अनुरूपी लेखक - डाॅ. रोहिताश कुमार

dr.rkdoot@gmail.com




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