"लॉक डाउन" की स्थिति में पशु चिकित्सकों एवं पशु कल्याण कार्यकर्ताओं को शामिल करे : गिरीश जयंतीलाल शाह

"लॉक डाउन" की स्थिति में संचालित  - विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक "वन हेल्थ अप्रोच" के अनुसार लॉक डाउन की स्थिति में राज्य सरकारों द्वारा संचालित आपातकालीन सेवा दल में पशु चिकित्सकों एवं पशु कल्याण कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाए -गिरीश जयंतीलाल शाह

पशु संदेश, मुंबई (महाराष्ट्र); 26 मार्च 2020

रिपोर्ट : डॉ आर बी चौधरी

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य गिरीश जयंतीलाल शाह ने एक पत्र लिखकर सरकार को अवगत कराया कि -"यह सबको पता है कि संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं विश्व कृषि और खाद्य संगठन साथ साथ विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन सहकर्मी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं हैं जो एक साथ मिलकर "वन हेल्थ एप्रोच" अर्थात स्वास्थ्य मिशन को प्राप्त करने के लिए एकजुट प्रयास के विचारधारा को बढ़ावा दे रही है। विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन सहित सभी सहयोगी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का प्रयास है कि खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ उत्पादन, स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचाव, ज़ूनोस की जोखिम और मानव-पशु-पारिस्थितिकी तंत्र चुनौतियों से लेकर रोजमर्रा जीवन में आने छोटी-बड़ी समस्याओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचाव के उपाय और आकस्मिक आपदाओ से निपटने के लिए समूची दुनिया को मार्गदर्शन किया जाए। लेकिन हमारे देश के नीति निर्माता /सरकार पशु चिकित्सा और पशु कल्याण से संबंधित सेवाओं की गंभीरता से नहीं लेते जिसका नतीजा है कि वर्तमान आपदा प्रबंधन और तत्कालिक आपातकालीन सेवाओं पशु चिकित्सा संवर्ग के लोग फिलहाल कोरोना वायरस नियंत्रण अभियान दल में शामिल नहीं किए जा सके हैं।उन्होंने इस संबंध में यह भी बताया कि भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के चेयरमैन दे राज्य सरकारों को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया है पशु चिकित्सकों को आपातकालीन टीम में शामिल कर पशुओं की स्वास्थ्य रक्षा एवं आपातकालीन सेवाएं ली जानी चाहिए "

शाह ने भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष, डॉ ओ पी चौधरी द्वारा लिखे 23 मार्च 2020 के का फीड-बैक देते हुए शाह ने बोर्ड अध्यक्ष द्वारा पशु कल्याण पर इस तरह के महत्वपूर्ण कदम उठाने और निराश्रित पशुओं की विशेष देखभाल के लिए सराहना की और कहा कि जब पूरा देश कोरोनावायरस-COVID -19 के घातक संक्रमण से खुद की देखभाल और सुरक्षा के लिए बेहाल है और स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहा है तो वह है पशु पक्षियों की सुरक्षा कैसे कर सकता है,खास करके उसी स्थिति मेंजब सरकार ने संक्रमण को रोकने के लिए देश वासियों को अपने-अपने घर में बाद रहने हां अनुरोध किया है। ऐसे हालात में गरीब किसानों,पशुपालकों,पशु कल्याण में लगे कार्यकर्ताओंद्वारा संचालित चरण स्थलों केपशुओं की सुरक्षा कैसे हो पाएगी यदि देश के पशु चिकित्सक और पशु कल्याण में संलग्न कार्यकर्ता आकस्मिक सेवा प्रबंधन दल में शामिल नहीं किए जाते हैं तो पशु कल्याण का कार्यक्रम तितर-बितर हो जाएगा।शाह ने इसे एक महत्वपूर्ण व्यवस्था की कड़ी मानते हुए अध्यक्ष भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड को कदम तत्काल यथोचित उठाने का आग्रह किया है।

समाधान का सुझाव देते हुए, उन्होंने अध्यक्ष से सभी राज्य सरकारों को आपातकालीन सेवा दल में पशुचिकित्सा को शामिल करने के लिए एक आदेश जारी करने का आग्रह किया क्योंकि उत्तराखंड पशु चिकित्सा संघ ने अपने राज्य सरकार से एक अनुरोध पत्र प्रेषित कर आकस्मिक पशु सेवा करने का मौका मांगा जिसे उत्तराखंड सरकार ने तत्काल स्वीकार कर लिया। बताया जाता है कि देश में किसी राज्य पशु चिकित्सा संघ के द्वारा इस तरह का पहला प्रस्ताव रखा गया है और पशु चिकित्सक अपनी सेवा देने के लिए स्वयं आगे आ गए हैं। उत्तराखंड के पशु चिकित्सक एवं उत्तराखंड सरकार मीडिया का एक आकर्षण बन गया है और लोग दृष्टिकोण में यह एक अनुकरणीय प्रयास है। इसी क्रम में आपातकाल सेवादल में झारखंड पशु चिकित्सा संघ शामिल हो गया है और झारखंड के पशु चिकित्सकों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि आकस्मिक चिकित्सा सेवा में उन्हें शामिल किया जाए ताकि भूखे- प्यासे, निराश्रित एवं असहाय जानवरों को बचाने के लिए वह अपनी सेवाएं दे सकें।

दोनों राज्यों के पशु चिकित्सकों का मानना है कि राज्य में लॉक डाउन की परिस्थिति में अगर कोई व्यक्ति बाहर नहीं आएगा तो निराश्रित पशुओं को चारा दाना एवं गरीब पशुपालन को के आकस्मिक चिकित्सा सेवा के माध्यम से पशुओं की प्राण रक्षा कैसे की जाएगी। भूख -प्यास और चिकित्सा के अभाव में किसी भी पशु पक्षी की प्राण नहीं जानी चाहिए ।शाह ने बताया कि इस महत्वपूर्ण कदम को सफल बनाने में उत्तराखंड जीव जंतु कल्याण बोर्ड के प्रभारी डॉ।आशुतोष जोशी और झारखंड जीव जंतु कल्याण बोर्ड के प्रभारी , डॉ। शिवानंद कांशी महत्वपूर्ण योगदान है जिसकी चर्चा आज पूरे देश में हो रही है ।उन्होंने इन दोनों अधिकारियों को भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड की ओर से बधाई प्रेषित किया है और अपेक्षा किया है कि भविष्य में भी इस तरह के अनुकरणीय प्रयास करते रहे।

करोना वायरस के उन्मूलन के लिए लॉक डाउन कार्यक्रम को और प्रबल बनाने के लिए शाह ने यह भी सुझाव दिया कि सभी मान्यता प्राप्त पशु कल्याण कार्यकर्ता /मानद जीव जंतु कल्याण अधिकारी /पशु कल्याण संस्थाएं / एसपीसीए आदि को या तो पशु चिकित्सकों के साथ जोड़कर या किसी भी प्रतिष्ठित सरकारी मान्यता प्राप्त एजेंसी या उनके प्रतिनिधियों के साथ काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए। राज्य सरकार द्वारा आपातकालीन पशु चिकित्सा सेवा के सहयोग से पशु आहार एवं पानी वितरण से लेकर के स्वास्थ्य की देखभाल या आपातकालीन सेवाओं का अवसर दिया जाना चाहिए। इतने ही नहीं बल्कि अगर कोई मानद पशु कल्याण अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर काम करना चाहता है है तो उसकी भी अनुमति दी जानी चाहिए। अगर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त प्राधिकारी अपना पहचान पत्र या सरकार द्वारा जारी पत्र दिखा रहा है तो सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार उसे काम का मौका दिया जाना चाहिए।

उन्होंने जनता मैं पशु कल्याण के विविध सेवाओं के प्रति जानकारी देने हेतु प्रेस और मीडिया के माध्यम से लोगों में ले जाने की कोशिश की जानी चाहिए।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क सूत्र:गिरीश जे शाह, मोबाइल : 9820020976