पशुपालन विभाग से पशुपालन मंत्रालय तक का स्वर्णिम सफर

Pashu Sandesh, 17th May 2020

30 मई 2019 का दिन पशुपालन विभाग के इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा, क्योंकि आजादी के 72 साल बाद 30 मई 2019 को पशु पालन को केंद्र सरकार में अलग मंत्रालय का दर्जा मिला था | यह एक तरह से बिन माँगी मुराद मिलने जैसा था, क्योंकि पशु पालन मंत्रालय बनाये जाने की मांग ना तो देश के किसी संगठन ने की थी और ना ही इस तरह का कोई प्रस्ताव विभाग की तरफ से सरकार को भेजा गया था | प्रधानमंत्री मोदी जी ने नई सरकार के गठन के समय अलग पशु पालन मंत्रालय की स्थापना कर हम सभी को जैसे जैक पॉट दे दिया |

अब सवाल यह उठता है कि जब अलग मंत्रालय को लेकर ना तो कोई माँग थी ना कोई दबाव था तो सरकार ने अचानक नया मंत्रालय कैसे बना दिया ? पशु संदेश ने जब इस विषय पर पड़ताल की तो यह निकल कर सामने आया कि, पशु पालन क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने की क्षमता और पिछले वर्षों में इस क्षेत्र की शानदार विकास दर के कारण पशु पालन विभाग को स्वतंत्र मंत्रालय का दर्जा प्राप्त हुआ है | सीधे शब्दों में कहें तो पशु पालन विभाग को मेरिट के आधार पर प्रमोशन मिला है |

इस विषय पर जब हम ने उस समय कृषि भवन में पदस्थ पशु पालन विभाग के उच्च अधिकारियों के बात की तो उन्होंने भी यही बताया कि अलग मंत्रालय के गठन के संबंध में उन्हें भी कोई ठोस जानकारी नहीं थी | उन्होंने कहा कि कृषि भवन के गलियारों में इस बात को लेकर अनौपचारिक बातें होती रहती थी और कयास भी लगाये जाते थे, पर ठोस जानकारी किसी के पास नहीं थी | अधिकारी बताते हैं कि हमने भी नहीं सोचा था की यह सपना इतनी जल्दी हकीकत में बदल जायेगा | थोड़ी सी हिंट उस समय मिली थी जब फरवरी 2019 में फिशरीज को पशु पालन विभाग से अलग कर एक नया विभाग बनाया गया था |

आईये जानते हैं पशु पालन क्षेत्र की वह उपलब्धियां जिन्होंने इसे एक अलग मंत्रालय का हकदार बनाया :

1 मोदी सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने का संकल्प लिया है | यह दो ही माध्यम से हो सकता है, एक कृषि दूसरा पशु पालन | सरकार कृषि के क्षेत्र में पूरा जोर लगा के देख चुकी है पर कृषि क्षेत्र में विकास दर तीन प्रतिशत से ऊपर नहीं जा सकी, वहीँ पशु पालन के क्षेत्र में बहुत कम संसाधन लगाने के बाद भी इस क्षेत्र की विकास दर विगत कई वर्षों से लगातार छः प्रतिशत से अधिक रही है, यानि कृषि से दुगनी | यही सबसे बड़ा कारण है जिसने सरकार को पशु पालन पर अधिक फोकस करने हेतू अलग मंत्रालय बनाने के लिए प्रेरित किया है |

2 कृषि से प्राप्त जीडीपी में पशु पालन की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से अधिक और राष्ट्रीय जीडीपी में 4 प्रतिशत से अधिक है |

3 मूल्य के लिहाज से देखें तो दूध देश की सबसे बड़ी फसल है, गेहूं और धान दोनों मिलकर भी दूध का मुकाबला नहीं कर पाते |

4 कृषि एक मोसमी व्यवसाय है, रबी और खरीफ फसलों से किसानों को साल में दो बार ही आमदनी प्राप्त होती है वहीं पशु पालन से किसान को साल भर सतत आय प्राप्त होती है |

5 देश में मिल्क कोआपरेटिव का मजबूत मार्केटिंग नेटवर्क स्थापित है |

देश के पशुपालकों, पशुचिकित्सकों और डेरी क्षेत्र में कार्यरत लोगों के संयुक्त प्रयासों से हासिल उपलब्धियों ने ही पशु पालन को एक पृथक मंत्रालय के स्तर तक पहुँचाया है |

स्वर्णिम यात्रा के मुख्य पड़ाव
1. डिपार्टमेंट ऑफ एनीमल हसबेंडरी एंड डेयरीइंग (AH&D) 1 फरबरी 1991 को अस्तित्व में आया। इस दिन एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के दो डिवीज़नस, एनिमल हसबेंडरी और डेरी डेवलपमेन्ट को मर्ज कर नये विभाग "डिपार्टमेंट ऑफ एनीमल हसबेंडरी एंड डेयरीइंग (AH&D) की स्थापना की गई।

2. 10 अक्टूबर 1997 को एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के फिशरीज डिवीज़न को डिपार्टमेंट ऑफ एनीमल हसबेंडरी एंड डेयरीइंग (AH&D) के अंतर्गत लाया गया और इसका नाम डिपार्टमेंट ऑफ एनीमल हसबेंडरी, डेयरीइंग एंड फिशरीज (DADF) हो गया।

3. 5 फरबरी 2019 को फिशरीज को डिपार्टमेंट ऑफ एनीमल हसबेंडरी, डेयरीइंग एंड फिशरीज (DADF) से पृथक कर स्वतंत्रत विभाग का दर्जा दिया गया और पशुपालन विभाग का नाम डिपार्टमेंट ऑफ एनीमल हसबेंडरी एंड डेयरीइंग  (DAHD) हो गया।

4. 30 मई 2019 को पशुपालन तथा फिशरीज डिपार्टमेंटस को कृषि मंत्रालय से पृथक कर एक नए मंत्रालय "मिनिस्ट्री ऑफ फिशरीज, एनीमल हसबेंडरी एंड डेयरीइंग" घोषणा की गई।

5. 17 जून 2019 को मिनिस्ट्री ऑफ फिशरीज, एनीमल हसबेंडरी एंड डेयरीइंग का कैबिनेट सेकेटीरियेट नोटिफिकेशन जारी हुआ।