पशुचिकित्सक के बहुमुखी आयाम: एक सार्थक सामाजिक संसाधन

पशु संदेश, 01 सितम्बर 2018

डॉ सुनील राजोरिया, डॉ संजय कुमार रेवानी, डॉ मनीषा सिंगोदिया, डॉ ख़ुशीराम यादव, डॉ गारा राम सैनी

प्रस्तावना:

आरम्भ से ही, एक सभ्य समाज के निर्माण एवं विकास में पशुचिकित्सक महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करते रहे हैं। इसके पीछे सिर्फ यह तर्क उचित नहीं रहेगा कि वे हर रोज कई जानवरों के जीवन को बचाते हैं बल्कि यह कहना अधिक सार्थक होगा कि वे जानवरों और लोगों दोनों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए कार्य करते है। पशुचिकित्सक न केवल जानवरों के नायक हैं, बल्कि वे आम लोगों के लिए भी नायक हैं। इस मत को जूनोटिक रोग (जानवरों से मानव को और मानव से जानवरों को प्रसारित होने वाले रोग) और समाज के जीविकोपार्जन एवं पोषण सुरक्षा हेतु पशुपालन पर दिया जाने वाला जोर अधिक प्रबल बनाते है।

 

बदलते भारत मे जितनी तेजी से पोषण एवं पशु उत्पादों की मांग बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से खाद्य जनित एवं जूनोटिक बीमारियाँ भी पाँव पसार रही हैI उत्पादक इस बढती मांग को पूरा करने के लिए पर्यावरण, मानव एवं पशु कल्याण से समझौता कर रहे है। इन परिस्थियों मे पशुचिकित्सकों के लिए अपार सम्भावनाये एवं नैतिक जिम्मेदारी भी बन जाती है कि भविष्य में वो पर्यावरण, मानव एवं पशु कल्याण समाज को ध्यान में रखते हुए, कैसे सुरक्षित, पर्याप्त और स्थायी तौर पर पशु उत्पाद दे पाते है।

पशुचिकित्सक की अहम् भूमिकाएं:

  • पशुचिकित्सक विभिन्न एजेंसियों में महामारी विज्ञानी के रूप में कार्य करते हैं, जो पशु-मानव रोग, खाद्य जनित बीमारियों, इन्फ्लूएंजा और रेबीज जैसे विकट प्रकोपो की जांच करते हैं।
  • पशुचिकित्सक सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी के तौर पर खाद्य प्रसंस्करण संयंत्रों, रेस्तरां और पानी की आपूर्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण हेतु काम कर रहे पशुचिकित्सक कीटनाशकों, औद्योगिक प्रदूषक और जानवरों एवं लोगों पर अन्य प्रदूषण के प्रभावों से बचावो का अध्ययन करते हैं।
  • खाद्य एवं दवाइयों के क्षेत्र में, पशुचिकित्सक दवाइयों, चिकित्सा उत्पादों, खाद्य पदार्थों और खाद्य योजकों की सुरक्षा और प्रभावकारिता का मूल्यांकन करते हैं।
  • पशुचिकित्सक मतस्य जीवन, वन्यजीव सेवा, पर्यावरण संरक्षण एजेंसी  और राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में भी अपना योगदान देते हैं।
  • ज़ूनोटिक बीमारियों और अन्य बीमारियों की जांच करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र पर पशु चिकित्सकों को नियोजित किया जाता है।
  • सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) मे कार्यरत पशु चिकित्सक दुनिया भर में बीमारी के प्रकोपों ​​की जांच करने और मलेरिया, इबोला और एवियन इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए कार्यक्रम विकसित करने में शामिल हैं।
  • पशुचिकित्सक रोग निगरानी और एंटी-आतंकवाद प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल के विकास में अपने काम के माध्यम से जानवरों और लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की भी रक्षा करते हैं।
  • पशुचिकित्सक किसानों को खेत के पशु उत्पादन में उपयोग की जाने वाली खाद्य सामग्री, श्रम और अन्य संसाधनों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
  • पशु चिकित्सक यह सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं कि जिन जानवरों को हम प्रबंधित करते हैं, उनके पास स्वास्थ्य और कल्याण के स्तर समाज की मांग के अनुरूप हो।
  • आर्थिक शब्दों में पशुचिकित्सक अपनी सेवाओ से अधिक उत्पादक, स्वस्थ, पालतू जानवर, अधिक कच्चे माल एवं बेहतर संरक्षण इत्यादि प्रदान करते हैं।
  • सामाजिक बदलाव में पालतू पशुओं को भी परिवार में एक खास दर्जा मिल रहा है खास तौर पर बच्चे एवं बुजुर्ग के अच्छे साथी होने की वजह से समाज में इन पशुओं के अच्छे इलाज की अत्यंत आवश्यकता है। पशु चिकित्सक पशु रोगों का निदान और नियंत्रण करते हैं और बीमार और घायल जानवरों का इलाज करते हैं। वे मालिकों को अपने पालतू जानवरों और पशुओं की उचित देखभाल पर भी सलाह देते हैं। उन्हें दवा देने या सर्जरी करने के द्वारा जानवरों को बेहतर होने में मदद करते हैं। इसलिए पशुपालन विभाग मे अनेको पशुचिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
  • मानव निर्मित और प्राकृतिक आपदाएं जानवरों और मनुष्यों के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करती हैं और पशुचिकित्सक समाज को आपदाओं से तैयार होने और यथास्थिति पुनर्प्राप्त करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सारांश:

वर्तमान मे मानव सुरक्षा से संबंधित विश्वव्यापी कई महत्वपूर्ण चुनौतियां मौजूद हैं। इन चुनौतियों मे खाद्य जनित एवं जूनोटिक बीमारियां अहम् हैं। आज यह प्रतीत होता है कि पशुचिकित्सक उनमें से एक होंगे जो इन चुनौतियों का सामना करने में गहराई से शामिल होंगे। अब वैश्वीकरण के साथ, अधिक संसाधित भोजन, दुनिया भर में अधिक से अधिक खाद्य आयात और निर्यात, पशु और मनुष्यों की अधिक हलचल और बढती खाद्य जनित एवं जूनोटिक बीमारियों के बीच ऐसी उम्मीद है कि एक समय पर, आप जितना भोजन खाएंगे भविष्य में एक पशुचिकित्सक द्वारा उसकी पूरी तरह से जांच की जाएगी। अंत मे यह कहना न्यायोचित होगा कि पशु चिकित्सक एक सार्थक सामाजिक संसाधन जो समाज का अभिन्न एवं सबसे महत्वपूर्ण अंग है।

  Dr. Sunil Rajoria, Dr. Sanjay Kumar Rewani, Dr. Manisha Singodia, Dr. Khushi Ram Yadav, Dr. Gara Ram Saini

Dr. Sunil Rajoria, Teaching Associate, Veterinary University Training & Research Center, Dungarpur (Rajasthan)

Dr. Sanjay Kumar Rewani, Assistant Professor, Post Graduate Institute of Veterinary Education and Research, Jaipur (Rajasthan)

Dr. Manisha Singodia, Assistant Professor, Mahatma Jyotiba Fule Veterinary College, Jaipur (Rajasthan)

Dr. Khushi Ram Yadav, M.V.Sc. Scholar, Post Graduate Institute of Veterinary Education and Research, Jaipur (Rajasthan)

Dr. Gara Ram Saini, M.V.Sc. Scholar, Post Graduate Institute of Veterinary Education and Research, Jaipur (Rajasthan)

 

 Corresponding Auther: Dr. Sunil Rajoria

Rajoriasunil22@gmail.com