नहीं थम रहा काजीरंगा में गैंडों के शिकार का सिलसिला

पशु संदेश, गुवाहाटी | 23 दिसम्बर 2016

असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में गैंडों के शिकार का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है | अभी पिछले हफ्ते ही गैंडे के शिकार की खबर आई थी ( पढ़ें पशु संदेश 16 दिसम्बर -  काजीरंगा से आया एक और गैंडे के शिकार का मामला) | ताज़ा मामला बीते बुधवार का है जब एक नर गैंडे के शिकार की खबर वन्य अधिकारियों को मिली | गैंडे के शव पर अनगिनत गोलियों के घाव थे तथा उसका सींग आरी से काट कर ले जाया चुका था | सूत्रों के अनुसार पिछले शिकार में जहाँ AK- 47 राइफल के प्रयोग की बात सामने आई थी, वहीँ इस शिकार के पास 303 राइफल के खोखे बरामद हुए | इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा रहा है की इस शिकार में इस बार सामान्य शिकारियों का हाथ है, जबकि पिछले शिकार में उग्रवादियों का हाँथ होने की आशंका व्यक्त की गयी थी |

जहाँ एक तरफ काजीरंगा वन्य प्रबंधन गैंडे का शिकार रोकने का हर संभव प्रयास कर रहा है, वहीँ शिकारी तू डाल डाल मैं पात पात की निति अपनाए हुए हैं | पिछले कुछ महीनों में दर्जनों शिकारी गिरफ्तार हुए है और कई एनकाउंटर में मारे भी गए हैं, इसके बावजूद निराशा ही हाथ लग रही है | पिछले एक वर्ष में 18 गैंडे अब तक अपने कीमती सींग के चलते शिकारियों की भेंट चढ़ चुके हैं |

पशु संदेश व्यू: गैंडों का शिकार रोकने के लिए दक्षिण अफ्रीका में कुछ विशेष प्रयास किये गए हैं | इन प्रयासों में गैंडों की डी होर्निंग (De horning) करना प्रमुख है | इस प्रक्रिया में गैंडे को बेहोश करने के बाद उसके सींग को काट कर अलग कर दिया जाता है | आशय यह है कि डी होर्निंग के बाद गैंडा शिकारी के काम का न रह जाए और शिकार होने से बच जाए | परन्तु विशेषज्ञ इसे कारगर उपाय नहीं मानते | उनके अनुसार गैंडे की सींग 1 से 2 साल में दोबारा उग आएगी और वह फिर शिकारियों की नज़र में आ जायेगा |  और कई बार सींग वाले गैंडे के धोके में बिना सींग वाला गैंडा भी मारा जा सकता है | इसके अलावा सींग का गैंडे के सामान्य जीवनास्था में कई प्रकार के कार्य हो सकतें हैं जैसे दूसरे गैंडे से अपने इलाके की रक्षा करना | विशेषज्ञ चाहे जो कहें परन्तु समय की मांग है की आउट ऑफ़ द बॉक्स उपाय सोचें जाएँ और डी होर्निंग एक उपाय हो सकता है | काजीरंगा नेशनल पार्क के मुश्किल इलाके में इसे लागू करना एक बड़ी चुनौती होगा |

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