बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में कैट शो का आयोजन 

Pashu Sandesh, 08 March 2020

बिहार पशु विज्ञान विश्वविधयालय के अंगीभूत बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय में कैट शो का आयोजन किया गया, ये कैट शो अपने आप में बहुत अनूठा था, क्योंकि कैट शो का आयोजन देश में बहुत काम जगहों पर आयोजित होते है, जिसमे बंगलोर और मुंबई जैसे शहर शामिल है। पर बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा जैसे प्रदेशों की बात करें तो बिहार में ये पहला कैट शो का आयोजन था, जिसमे बिल्लियों के कई देशी और विदेशी नस्ल देखने को मिला। कैट ओनर्स को एक प्लेटफॉर्म देने और कैट के पालन-पोषण की बेहतर जानकारी देने के उद्देश्य से इस शो का आयोजन किया गया था जिसमे पर्शियन कैट, इंडियन कैट, जैसे कई ब्रीड्स के लगभग तीस बिल्लियों का रजिस्ट्रेशन हुआ। 

 

शो का शुभारम्भ बिहार के मुख्य वन संरक्षक ए.के. पांडेय, बीवीसी के भूतपूर्व प्रोफेसर-सह-विभागाध्यक्ष, वेटरनरी मेडिसिन विभाग डॉ. वि.के.सिन्हा, इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट, इज़्ज़तनगर, बरेली के प्रोफेसर डॉ. ए.एम पावड़े और कुलपति डॉ रामेश्वर सिंह और डीन डॉ.जे.के.प्रसाद ने डीप प्रज्ज्वलित कर किया।

उद्घाटन समारोह में बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ जे.के.प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत किया और कहा की बहुत ही नवीनतम सोच का परिणाम है ये कैट शो, लोग कैट तो पालते है मगर उनके ओनर को अपने पेट्स को शो-केस करने का कोई प्लेटफार्म नहीं होता। डॉग के लिए ये व्यवस्था उपलब्ध है, जगहों-जगहों पर डॉग शो का आयोजन होते रहा है साथ में डॉग्स के पोषण-पालन के प्रति लोग जागरूक है, मगर बात बिल्लियों की करें तो कुत्तों के अपेक्षा उनको बहुत अधिक देखभाल और देख-रेख की जरुरत होती है। इस आयोजन का उद्देश्य यहीं  है की हम कैट ओनर्स को भी लिंक कर सके ताकि समय-समय पर उन्हें सही सलाह और चिकित्सा मुहैया करायी जा सके, उन्होंने आगे बताया की बिल्लियों में मोटापे की समस्या बहुत है जो बिल्लियों के लिए जानलेवा भी साबित होता है, लोगो को कैट्स के खान-पान, टीकाकरण और अन्य परामर्श के लिए यह विश्वविद्यालय इस कैट शो के जरिये आगे आ रहा है। उन्होंने यह भी बताया की कैट्स पर रिसर्च करने की जरुरत है, बिल्लियों पर रिसर्च पेपर्स बहुत कम है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद बिहार के मुख्य वन संरक्षक ए.के. पांडेय ने कहा की भारत में लोगो के बीच ये मिथक था की बिल्लियाँ अशुभ होती है, ऐसे में ये देखना बहुत आश्चर्य की बात है की भारत में आज भी इनकी तादाद काफी अधिक है और लोग इसे पालतू बनाकर घरों में स्थान दे रहे है। शुरुआत से ही ये देखा गया है की भारत में बिल्लियों को वो प्यार नहीं दिया गया जो अन्य पशुओं को मिला है, मगर यहाँ मौजूद काफी संख्या में कैट लवर्स को देखकर प्रसन्नता हो रही है की बिल्लियों को लेकर लोगो के मानसिकता में काफी परिवर्तन हुआ है। 

बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय के भूतपूर्व प्रोफेसर-सह-विभागाध्यक्ष, वेटरनरी मेडिसिन विभाग डॉ. वि.के.सिन्हा ने कहा की दशकों पहले पटना के इक्के-दुक्के क्षेत्रों से कैट ओनर्स चिकित्सा कराने आते थे मगर अब ऐसा नहीं है, अब लगभग पटना के हर क्षेत्रों में लोग बिल्ली पालते है। उन्होंने आगे कहा की लोग देशी ब्रीड पाल सकते है, मगर उनको पालना थोड़ा कठिन होता है उनके आक्रामक तेवर एक बड़ी वजह है, लोग पर्शियन ब्रीड पाले, ये ब्रीड सरल होने के साथ-साथ बहुत मिलनसार होता है। उन्होंने कहा की ब्रीड्स की जानकारी और उनके नेचर के बारे में जानना बहुत जरुरी है। कैट की ब्रीडिंग्स में वेटरनरी डॉक्टर्स का आना बहुत जरुरी है, अभी तक बिहार और अन्य राज्यों में भी में पेशेवर लोगो के द्वारा कैट ब्रीडिंग्स नहीं होती है, पशुचिकित्सकों को इसके लिए आगे आने की जरुरत है, ताकि नस्ल सुधर के साथ-साथ अच्छे ब्रीड्स के बिल्लियों को बचाया जा सके।

कैट शो के निर्णायक के तौर पर मौजूद  इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट, इज़्ज़तनगर, बरेली के प्रोफेसर डॉ. ए.एम पावड़े ने कहा की मानव का सबसे बड़ा मित्र पशु होता है, उन्होंने बिल्ली के पालन-पोषण और मृत्यु से जुड़े कारणों पर चर्चा किया साथ ही बताया की बिल्लियों को बुखार होने की स्थिति में लोग पेरासिटामोल या अन्य दवाये दे देते है जो बिल्लियों के शरीर में मौजूद एन्ज़इम्स से मिलकर बिल्लियों को नुकसान पहुँचता है, जो कभी-कभी जानलेवा भी साबित होता है। बिल्लियों के बालों और त्वचा में कभी-कभी बाह्य-परजीवियों का प्रकोप हो जाता है जैसे ज़ू (ढील), खुजली इत्यादि वैसे में किसी भी प्रकार का कीटनाशक देने से बचे, क्योंकि बिल्ली खुद से ही खुद को साफ़ सुथरा रखती है और अपने जीभ से अपने त्वचा को चाटकर खुद को साफ़ रखती है, ऐसे में कीटनाशक और अन्य चीज़ो का छिड़काव भी बिल्लियों के लिए जानलेवा है। उन्होंने बिल्लियों से जुडी हर समस्या के लिए पशुचिकित्सकों से मिलने की सलाह दी।

कार्यक्रम में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ रामेश्वर सिंह ने कहा की आयोजन से पहले सफल होने का मकसद नहीं रहा अपितु प्रयास करना ही बहुत महत्वपूर्ण था, बिल्लियों के भारी तादाद को देखकर हम ये कह सकते है की हम सफल हुए। उन्होंने आगे कहा की पहले के समय में घर में अनाज और भंडार गृह होने के कारन चूहे अधिक परेशा करते थे, उस परेशानी का समाधान करने के लिए लोग घर पर बिल्लियाँ लाते थे और पालते थे, मगर अब ये शौक बन गया है। उन्होंने कैट ओनर्स से आग्रह किया की वे विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सालय में आकर अपने बिल्लियों का पंजीकरण कराये ताकि समय-समय पर उन्हें वैज्ञानिक और स्वास्थ्य प्रबंधन, हेल्थ गाइडलाइन्स, स्प्रे इशू, ब्रीडिंग्स प्रॉब्लम का समाधान किया जा सके। उन्होंने कहा की लोग बिल्ली पालते जरूर है मगर जानकारी और उनके प्रबंधन का घोर आभाव है, साथ ही इंटरनेट और अन्य जगहों पर बिल्ली के स्वास्थ्य प्रबंधन और उनसे जुड़े लेख और महत्वपूर्ण जानकारियां की उपलब्ध्द्ता बहुत काम है , उन्होंने कहा की आने वाले कुछ महीनों में विश्वविद्यालय द्वारा देश के प्रख्यात पशुचिकित्सकों और विशेषज्ञों के मदद से एक संग्रह पुस्तक तैयार किया जायेगा जिसमे बिल्ली के पालन-पोषण की तमाम जानकारियां उपलब्ध होगी और कैट ओनर्स के बीच निःशुल्क वितरण किया जायेगा।

 

रिजल्ट : पर्शियन ब्रीड केटेगरी  

प्रथम: टॉय (ओनर: आमिर), बेटी (ओनर: अनम)

द्वितीय: चिक्कू (ओनर: फ़िज़ा), ओरियो (ओनर: अदीबा)

तृत्य: चीकू (ओनर: अरीबा), विष्की (ओनर: श्री निसिन) 

 

रिजल्ट : लोकल ब्रीड केटेगरी

प्रथम: टोपो (ओनर: नमिता सिंह), ईवा (ओनर: मुनीरा)

द्वितीय: बेबो (ओनर: मिदुल), मफ्फिन (ओनर: मधु सिंह)

तृत्य: हेम (ओनर: निकिता), बगिरा (ओनर: आदित्य सिंह)