पशुचिकित्सक वो योद्दा है जो इन्सानों में बीमारी फैलने से बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालता है

पशु संदेश, 06 July 2019

हर वर्ष 6 जुलाई को विश्व जूनोसिस दिवस मनाया जाता है। ये दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य आमजन को जूनोटिक रोगों के प्रति जागरूक करना हैं। मनुष्यों एंव पशुओं में लिवर, किडनी, फेफड़े और जनन अंग आदि एक जैसे कार्य करते हैं।  दोनों में शारीरिक तापमान भी लगभग समान होने के कारण जो जीवाणु पशुओं में होते हैं वो मनुष्यों में प्रवेश करके चपेट में ले लेते हैं जिन्हे हम पशुजन्य/ ज़ूनोटिक रोग कहते हैं। मोटे तौर पर समझा जाये तो जूनोटिक रोग वो संक्रामक रोग होते हैं जो पशुओं से मनुष्यों और मनुष्यों से जानवरों में फैलते हैं। मनुष्यों मे होने वाले 75% रोग ज़ूनोटिक हैं जो  बैक्टीरिया, वायरस, फफूँद अथवा परजीवी किसी भी रोगकारक से हो सकते हैं । 

भारत मे होने वाले ज़ूनोटिक रोगों में रेबीज, ब्रूसेलोसिस, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, ईबोला, निपाह, ग्लैंडर्स, साल्मोनेलोसिस, लेप्टोस्पाइरोसिस एवम जापानीज इन्सेफेलाइटिस इत्यादि शामिल हैं। ये लिस्ट काफी लम्बी हैं, विश्व भर में लगभग 150 जूनोटिक रोग उपस्थित हैं। ये खाना, हवा, सीधा सम्पर्क, संवाहक कीड़े व धूलकण के माध्यम से फैलते हैं। नवजात शिशु एवं बच्चे, गर्भवती महिलायें, बुजुर्ग व्यक्ति, रोगग्रस्त व्यक्ति, पेशेवर व्यक्ति के सीधे तौर पर पशुओं के संपर्क में रहने से या पशु उत्पाद ग्रहण करते हैं को ज़ूनोटिक बीमारीयों का खतरा है। 

रेबीज: यह रेबीज ग्रस्त कुत्ते के काटने पर लार से विषाणुओं द्वारा फैलता है। यह लाइलाज बीमारी है और केवल टीकाकरण करवाकर बचाव किया जा सकता है। आज भारत में कुत्तों की आबादी अनुपात इतना है कि हर 40 वें आदमी पर एक कुत्ता है जिसमें से 80% कुत्ते बाहर गलियों में घूमते हैं।  हर वर्ष लगभग

175 लाख मामले कुत्ते के द्वारा काटे जाने के आते हैं जिनमें से आधे से ज्यादा बच्चे शिकार होते हैं। हर वर्ष लगभग 20 हजार मनुष्यों की मौतें अकेले रेबीज के कारण होती हैं जिनमे अधितर कारण केवल कुत्ते के काटने का होता है। इसलिए नगरनिगम या ग्राम पंचायत कुत्तों का टीकाकरण करवाए यह जरूरी है।

टीबी: सैकड़ों वर्षों से अंग्रेजों के जमाने में यह पता चल गया था कि पशुओं में टीबी होती है। पशुओं की टीबी दूध, मूत्र, गोबर इत्यादि से मनुष्यों में एक्सट्रा पलमोनिक टीबी मनुष्यों में हो रही है इसलिए केवल किसी अभिनेता के विज्ञापन से या एक बैनर पर लिखने से टीबी को नहीं हराया जा सकता। इसे हराया जा सकता है तो टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में वेटनरी डॉक्टर को शामिल करके, क्योंकि जब तक इस वातावरण में टीबी ग्रस्त पशु हमरे बीच रहेंगे तो मनुष्यों की टीबी को नहीं खत्म किया जा सक्ता।

इस बार केंद्र सरकार ने पशुपालन के लिए अलग से मंत्रालय और विभाग बनाया हैं जिससे जरूर उम्मीद जगी हैं। साथ ही आईसीएआर की तर्ज पर वेटनरी रिसर्च कॉउंसिल भी बनेगी। ऐसा होने पर निश्चित तौर पर वेटनरी प्रोफेशन अधिक दक्षता से ज़ूनोटिक रोगों से लड़ाई में शामिल हो पायेगा। राष्ट्रीय कृषि आयोग के अनुसार प्रति 5 हजार पशुओ पर एक वेटनरी डॉक्टर केवल पशुओं के इलाज के लिए होना चाहिए व डेयरी, ब्रीडिंग, गौशाला व अन्य कार्यों के साथ 3 हजार पशुओं पर एक वेटनरी डॉक्टर होना चाहिए। हरियाणा में  इस गणना के हिसाब से राज्य में लगभग 70 लाख पशुओं पर सवा दो हजार से अधिक वेटनरी डॉक्टर्स होने चाहिए, जबकी हकीक़त में इसके एक तिहाई वेटनरी डॉक्टर ही हैं। आज एक पशु के स्वास्थ्य की कीमत केवल पैसे में आँकी जाती है इसलिए वेटनरी डॉक्टर का महत्व कम समझा जाता है और तमाम पशुचिकित्सा व्यवस्थाएं नीम-हकीमों के हवाले हैं। जबकि यह नहीं देखा जाता कि आपके और हमरे बच्चे इनका दूध पीते हैं। 

पशुओं में लक्षणों को पहचान कर तुरंत प्रभावी उपाय किये जाने, पशु की मृत्यु पर उनका भी शवपरीक्षण करके ज़ूनोटिक रोगों का पता करने व टीकाकरण करके रोग फैलने से  बचाव में वेटनरी डॉक्टर की मुख्य भूमिका है। वेटनरी डॉक्टर वो योद्धा हैं जो हम मनुष्यों की ज़ूनोटिक रोगों से रक्षा के लिए सोनीपत व यमुनानगर में घोड़ों में आयी ग्लंडर्स बीमारी के कारण घोड़ों को दर्द रहित मुक्ति दी। बर्ड फ्लू से हमरी रक्षा के लिए हिसार की ब्लूबर्ड झील, चंडीगढ़ की सुखना झील में पशुचिकित्सकों ने अपनी जान पर खेलकर बतखों को मारा था।  यहाँ मुख्य बात यह भी हैं कि ज़ूनोटिक रोगों से बचाव हेतु वेटनरी और मेडिकल दोनों प्रोफेशन में बेहतर तालमेल बहुत जरूरी हैं, प्रशासनिक स्तर पर इसके लिए प्रयास किये जाने चाहिए। ज़ूनोटिक रोगों से लड़ाई की सभी योजनाओं और प्रयासो में वेटनरी डॉक्टर्स को शामिल किया जाना चाहिए। 

हम मुख्यमंत्री जी से मांग करते हैं कि  वेटनरी डॉक्टरों को स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत चिकित्सकों के सम्मान वेतन व भत्ते दिए जाएँ।

लेखक : डॉ विकास जगलान, महासचिव RVA, हरियाणा