राजस्थान वेटनरी विश्वविद्यालय ने तैयार की ब्रॉयलर की नई नस्ल


पशु संदेश, बीकानेर।
राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ वेटनरी एंड एनीमल साइंस के वैज्ञानिकों ने मुर्गे की देशी और विदेशी नस्ल का संकरण कर नई नस्ल तैयार की है। देशी कड़कनाथ नस्ल और दो विदेशी मुर्गियों की नस्ल का संकरण कर राजुवास नामक ब्रॉयलर का स्ट्रेन तैयार किया है। राजुवास ब्रॉयलर में तेज वृद्धि दर, रोगप्रतिरोधक क्षमता, उच्च अंडा उत्पादन क्षमता, स्थानीय वातावरण में अनुकूलन आदि कई विशेषताएं हैं।
वेटनरी विश्वविद्यालय के कुलपति एके गहलौत ने मीडिया को बताया कि विश्वविद्यालय की कुक्कुट शाला में डेढ़ साल के अथक प्रयास के बाद राजुवास ब्रायलर की नस्ल तैयार की हुई है। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश के झाबुआ में पाये जाने वाले कड़कनाथ नस्ल के मुर्गें में कई विशेषताएं हैं। यह हमारे यहां के वातावरण के अनुकुल है और साथ ही अच्छा मांस भी देता है। रजुवास ब्रायलर को तैयार करने के लिए ऑस्टे्रलियन नस्ल की मुर्गी ब्लेक आस्ट्रारलार्प और अमेरिकन नस्ल की रोड आईलैंड रैड का संकरण कड़कनाथ से कराया गया। ब्लेक आस्ट्रारलार्प और रोड आईलैंड रैड मुर्गियां अंडे और मीट की अधिक क्षमता के लिए जानी जाती हैं।
वैज्ञानिकों ने कुक्कुटशाला में 727 संकरित चिक प्राप्त किए हैं। प्राप्त परिणाम में रजुवास ब्रायलर में रोगप्रतिरोधक क्षमता अच्छी है और इसका यहां के वातावरण में अनुकूलन भी अच्छा है। इसमें वेट गेन की दर भी अधिक है। यह 10 सप्ताह में 1800 ग्राम तक वजन हासिल कर लेता है। 

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