पशु संदेश, भोपाल | 1 नवम्बर 2017
एम्ब्रीयो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी (ETT) और सेक्सड सीमन टेक्नोलॉजी ये दो नई तकनीकें एनिमल ब्रीडिंग के क्षेत्र में तेजी से आगे आ रही हैं | जिस तरह कभी आर्टिफीसियल इंसेमिनेशन (AI) की तकनीक ने एनिमल ब्रीडिंग का परिदृश्य ही बदल दिया था, उसी तरह आने वाले समय में ETT और सेक्सड सीमन टेक्नोलॉजी भी एनिमल ब्रीडिंग के क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होंगी | आज महँगी और जटिल लगने वाली ये टेक्नोलॉजी कल AI की तरह ही एनिमल ब्रीडिंग का रोजमर्रा का हिस्सा होंगी |
क्या है सेक्सड सीमन –
सामान्य सीमन में x वा y दोनों ही तरह के क्रोमोजोम को कैरी करने वाले स्पर्म होते हैं | यानी एक ही सीमन सैंपल में कुछ स्पर्म x क्रोमोसोम वाले होते हैं तथा कुछ स्पर्म क्रोमोसोम y वाले होते हैं | ऐसे सीमन से AI करने पर यदि x क्रोमोसोम वाला स्पर्म अंडे को फर्टिलाइज करता है तो बछिया पैदा होती है और यदि y क्रोमोसोम वाला क्रोमोसोम अंडे को फर्टिलाइज करता है तो बछड़ा पैदा होता है |
सामान्य सीमन से इतर सेक्सड सीमन में सिर्फ एक ही तरह के क्रोमोजोम ( x या y ) को कैरी करने वाले स्पर्म होते हैं | यानी एक सीमन सैंपल में सभी स्पर्म x क्रोमोसोम कैरी करने वाले होते हैं या सभी स्पर्म y क्रोमोसोम कैरी करने वाले होते हैं | x क्रोमोसोम वाले सेक्सड सीमन से AI करने पर बछिया पैदा होती तथा y क्रोमोसोम वाले सेक्सड सीमन से AI करने पर बछड़ा पैदा होता है |बाजार में उपलब्ध सेक्सड सीमन से AI करने पर सफलता की दर 90% रहती है |
क्या है टेक्नोलॉजी
वर्तमान में व्यवसायिक स्तर पर सेक्सड सीमन उत्पादन के लिए फ्लो साईटोमेट्री ही एक मात्र मान्यता प्राप्त तकनीक है | x या y कैरी करने वाले क्रोमोसोम आकार प्रकार तथा व्यवहार में सामान होते हैं इसलिए इन्हें पहचान कर अलग कर पाना मुश्किल होता है | x या y कैरी करने वाले क्रोमोसोम में एकमात्र बड़ा फर्क यह होता है की x क्रोमोसोम में y क्रोमोसोम के मुकाबले लगभग 4% अधिक DNA होता है | DNA की मात्र में फर्क के आधार पर ही फ्लो साईटोमेट्री तकनीक के द्वारा x और y क्रोमोसोम वाले स्पर्मस को पहचान कर अलग किया जाता है |
इस तकनीक में स्पर्मस को एक डाई से स्टेन किया जाता है, जो सीधे जाकर DNA से बाइन्ड हो जाती है | अब इसे फ्लो साईटोमीटर से गुजारते हैं यहाँ इन स्टेन किये हुए स्पर्मस पर लेजर लाइट डाली जाती है | DNA की मात्र अधिक होने के कारण x क्रोमोसोम y क्रोमोसोम के मुकाबले ज्यादा ब्राइट ग्लो करते हैं | कंप्यूटर इसी ग्लो के आधार पर ज्यादा ब्राइट ग्लो करने वाले x क्रोमोसोमस को +ve चार्ज तथा कम ग्लो करने वाले Y क्रोमोसोमस को –ve चार्ज से टेग करता है | अब इन स्पर्मस को इलेक्ट्रो मेग्नेटिक फील्ड से गुजारते हैं, जहाँ X और Y क्रोमोसोमस अपने चार्ज के आधार पर अलग अलग टयूब्स में इक्कठा हो जाते हैं |
विश्व में इतिहास
सेक्सड सीमन के व्यवसायिक उत्पादन की तकनीक सर्वप्रथम अमेरिका के लिवरपूल स्थित प्रयोगशाला के साइंटिस्टों ने विकसित की थी | यूरोप और अमेरिका में सेक्सड सीमन का व्यवसायिक उत्पादन और उपयोग इस 21वी सदी की शुरुआत में ही प्रारंभ हो गया था | वर्तमान में दो कम्पनीयाँ सेक्सिंग टेक्नोलॉजीस और ABS ग्लोबल विश्व भर में सेक्सड सीमन का उत्पादन कर डेरी फार्मर्स को उपलब्ध करा रही हैं |
भारत में इतिहास
भारत में सेक्सड सीमन का उत्पादन सबसे पहले पश्चिम बंगाल गौ संपदा विकास संस्थान ने 2009 में शुरू किया था | संस्था ने RKVY प्रोजेक्ट के तहत 2.9 करोड़ की लागत से हरिन्गथा में BD इन्फ्लक्स हाई स्पीड सेल सॉर्टर स्थापित किया था | यहाँ उत्पादित सेक्सड सीमन से पहला बछड़ा 1 जनवरी 2011 को पैदा हुआ था, जिसका नाम श्रेयश था | श्रेयश भारत में उत्पादित होने वाले सेक्सड सीमन से पैदा होने वाला संभवतः पहला बछड़ा था |
वर्तमान परिदृश्य
वर्तमान में कई राज्यों के लाइवस्टोक डेवलपमेंट बोर्ड विदेशों से सेक्सड सीमन आयत कर किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध करा रहे हैं | सब्सिडी के बाद किसानों को यह सीमन स्ट्रा 1000 रूपए के आस पास में मिल रहा है | इस के अलावा प्रोग्रेसिव डेरी फार्मर्स एसोसिएशन पंजाब तथा कई गैर सरकारी संस्थायें (NGO) भी अपने क्षेत्र के किसानों को आयातित सेक्सड सीमन उपलब्ध करा रही हैं | सीमन इम्पोर्ट करने की प्रक्रिया काफी जटिल है | इसकी परमीशन मिलने में ही कई बार एक से दो साल का समय लग जाता है |
मेक इन इंडिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के आवाहन के बाद हमारे देश में सेक्सड सीमन का उत्पादन शुरू करने हेतू चौतरफा प्रयास शुरू हो गए हैं | देश के कई राज्यों ने अपने यहाँ सेक्सड सीमन का उत्पादन करने वाली लैब स्थापित करने हेतू ग्लोबल टेंडर जारी किये हैं | राज्य सरकारों के अलावा BIAF, JK TRUST, NDDB, AMUL जैंसी संस्थायें भी अपने यहाँ सेक्सड सीमन का व्यवसायिक उत्पादन शुरू करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रही हैं | ABS india ने अभी हाल ही में चितले डेरी के साथ जॉइंट वेंचर में पूना के निकट सेक्सड सीमन का उत्पादन शुरू भी कर दिया है | यहाँ गाय की देशी नस्लों जैंसे गिर, साहीवाल के साथ ही मुर्रा भैंस के सेक्सड सीमन का भी उत्पादन किया जा रहा है |
सेक्सड सीमन के लाभ
कृषि के यांत्रीकरण के बाद हमारे देश में बैलों की उपयोगिता बहुत ही कम रह गई है | आज के परिदृश्य में किसान के लिए बैल पालना आप्रासंगिक को गया है | आंकड़ो के अनुसार इस समय देश में 84 मिलियन नर गौवंशीय पशु हैं, जिनका कोई सार्थक उपयोग नहीं है | ऐसी स्थिति में किसान अपनी गाय से बछिया ही चाहता है | सेक्सड सीमन डेरी उधोग में अवांछित हो चुके नर पशुओं की संख्या को नियंत्रित करने में बहुत मदद करेगा |
सेक्सड सीमन के उपयोग से किसानों को नर पशुओं के रख रखाव का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा जिससे उनकी आय में इजाफा होगा | अपनी ही डेरी में बछीयें तैयार होने से किसान को बहार से गायें नहीं खरीदना पड़ेगी |
बछीया का आकार बछड़े से कुछ छोटा होता है, इसलिए बछीया के प्रसव के समय डिस्टोकिया की संभावना बहुत कम रहती है |
सेक्सड सीमन की सीमायें
फिलहाल सेक्सड सीमन की कीमत बहुत अधिक है, इसकी कीमत ही इसकी सबसे बड़ी कमी है | देश के विभिन्न भागों में सेक्सड सीमन के स्ट्रॉ की कीमत 1200 से 2000 रूपए है | भारत के गरीब किसान के लिए यह महंगा है, दूसरा यदि AI सक्सेस नहीं हुई तो किसान को दुगना नुकसान उठाना पड़ता है | माना जा रहा है कि जैंसे-जैंसे देश में इसका उत्पादन और मांग बढ़ेगी इसकी कीमतों में भी कमी आयेगी |
सेक्सड सीमन के उपयोग से बछीया होने की संभावना 95% रहती है बछड़ा होने की 5% संभावना फिर भी रह जाती है |
भ्रांतीयाँ
सेक्सड सीमन के स्ट्रा में मौजूद सीमन में स्पर्मस की संख्या सामान्य स्ट्रा में मौजूद सीमन में स्पर्मस की संख्या से काफी कम होती है | सामान्य स्ट्रा में मौजूद सीमन में स्पर्मस की संख्या 20 मिलियन होती है वहीं सेक्सड सीमन के स्ट्रा में मौजूद सीमन में स्पर्मस की संख्या 2 मिलियन होती है | इसलिए माना जाता है की सेक्सड सीमन के उपयोग से गर्भाधान की संभावना सामान्य सीमन के मुकाबले आधी रहती है | भारत में सेक्सड सीमन का उत्पादन करने वाली एक मात्र कंपनी ABS इंडिया के प्रोडक्शन मैनेजर डॉ राहुल गुप्ता का कहना है कि यह एक भ्रांती है, सेक्सड सीमन के उपयोग से गर्भाधान की संभावना सामान्य सीमन के मुकाबले मात्र 5 से 10% ही कम रहती है |
अच्छे परीणामों के लिए
ABS इंडिया के डॉ राहुल गुप्ता की सलाह है कि सेक्सड सीमन से अच्छे परीणाम पाने के लिए इसका उपयोग बछीयों और पहली या दूसरी व्यात के पशुओं में करना चाहीये | गर्भाधान में मौसम की बहुत बड़ी भूमिका होती है, बहुत गर्म या बहुत आद्रता ( humidity) वाला मौसम गर्भाधान के लिए अनुकूल नहीं होता | अतः अच्छे परीणामों के लिए अक्टूबर और मार्च के बीच ही गर्भाधान का प्रयास करना चाहीये | सेक्सड सीमन के साथ उपलब्ध करवाई गई लीफलेट में दिये गए दिशा निर्देशों का पूरी तरह पालन करना चाहीये |