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डॉ मिताली सिंह, डॉ शशि प्रधान, डॉ कविता रॉय, डॉ अमिता तिवारी, डॉ देवेंद्र गुप्ता, डॉ बृजेश सिंह, डॉ अर्पणा रायकवार
गर्मियों के दौरान तापमान में बढ़ोतरी के कारण आपके एक्वेरियम में पल रहीं मछलियों पर भी प्रभाव पड़ता है। एक्वेरियम में रहने वाली सबसे सामान्य मछली ‘‘गोल्ड फिश’’ के लिए 20 deg C से 28 deg C तापमान सही होता है। परन्तु इस तापमान से ज्यादा में वह ठीक तरह रह नही पाती। इसी तरह एक्वेरियम में रहने वाली बाकी मछलियों के लिए भी ज्यादा तापमान में रह पाना उनके लिए हानिकारक है। मछलियों में बढ़ते तापमान के लक्षण हैं- उनका पानी की ऊपर सतह पर आ कर जोर से मुँह खोलकर सांस लेना अथवा गिल्स का जोर से फड़फड़ाना। अगर इसे पर ध्यान न दिया गया तो मछलियाँ मर भी सकती है।
मछलियों को गर्म तापमान से बचाने के लिए एक्वेरियम में ‘‘एरेटर’’ लगाया जा सकता है जो पानी मे हवा के लेन देन को बढ़ाकर पानी में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। एक्वेरियम के कवर को निकालकर और उसके पास पंखे को रखकर भी पानी की सतह को ठंडख रखा जा सकता है। अगर गर्मी के कारण मछलियों की हालत बिगड़ने लगे तो एक्वेरियम में एक बर्फ की थैली या ठंडे पानी को डाला जा सकता है। जिससे तापमान को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी। परन्तु ध्यान में रखे की पानी का तापमान कभी भी एकदम से न बदल जाए इससे बचने के लिए एक बार में थोड़ा ही पानी बदले अन्यथा मछलियाँ स्ट्रेस में आ जाएगी। एक्वेरियम में लगे हुए बल्ब या हीटर को ज्यादा देर तक न जलाए। अगर एक्वेरियम को किसी खिड़की के पास रखा गया है तो यह जगह बदल दें क्योंकि गर्मियों में खिड़की से आने वाली गर्म हवा एक्वेरियम के पानी को और गर्म करेंगी अथवा मछलियों के मेटाबालिज़्म को अधिक बढ़ाएंगी जिससे मछलियां स्ट्रेस में आकर बीमार पड़ सकती हैं अथवा यह जानलेवा भी हो सकता है। एक्वेरियम में एक थर्मोमीटर लगाकर इसके पानी का तापमान निरंतर देखने से मछलियों की गर्मी में बेहतर देखरेख की जा सकती है।
डॉ मिताली सिंह, डॉ शशि प्रधान, डॉ कविता रॉय, डॉ अमिता तिवारी, डॉ देवेंद्र गुप्ता, डॉ बृजेश सिंह, डॉ अर्पणा रायकवार
डिपार्टमेन्ट आफ वेटेरनरी मेडीसिन
काॅलेज आफ वेटेरनरी साईंस एण्ड ए.एच. जबलपुर