सर्दियो में कुतों की देखभाल

पशु संदेश | 09 जनवरी 2017

डॉ मोहर सिंह कुशवाह , डॉ ज्योत्सना शक्कार्पुड़े , डॉ गजेन्द्र सिंह धाकड़

सर्दी के मौसम में पालतू कुत्ते की देखभाल के लिए कैसे, क्या करना है, इसे समझना जरूरी है | लंबे बालों वाली कुछ प्रजातियां जैसे जरमन शेफर्ड और ह्सकीज सर्दी के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं, उन्हें यह मौसम पसंद आता है पर तापमान गिरते ही इन प्रजातियों के कुत्तों को भी सुरक्षा की आवश्यकता पड़ती है| मौसम की स्थितियों में परिवर्तन, घटता तापमान और सर्दी उनके स्वास्थ्य के लिए जानेअनजाने खतरे पैदा कर सकते हैं|

एक जिम्मेदार पालक की तरह आप को अपने मित्र का खयाल वैसे ही रखना है जैसे आप अपना रखते हैं| इस में गरम कपड़े पहनना, भोजन का ध्यान रखना और अनावश्यक बाहरी गतिविधियों पर नियंत्रण शामिल हैं | कुछ बुनियादी सावधानियां बरत कर आप उन का खयाल रख सकते हैं | पालतू जानवर को इस मौसम में फिट और स्वस्थ रखने के लिए सुनिश्चित कीजिए कि आप उन्हें उपयुक्त आहार दे रहे हैं | इस के साथ कुछ सामान्य इनडोर टिप्स का पालन कीजिए |

पौष्टिक भोजन

ठंड के मौसम में पालतू जानवर को गरमी के मुकाबले ज्यादा भोजन दीजिए | उदाहरण के लिए, सर्दी में कुत्तों को गरमी के मुकाबले 25 प्रतिशत ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता हो सकती है | खासकर उन्हें, जो बाहर व्यायाम करते हैं | इस से उन्हें अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता होती है | सुनिश्चित कीजिए कि आप उन्हें ज्यादा ताकत देने वाला भोजन, जैसे पेडिग्री ऐक्टिव या कोई अन्य संपूर्ण व संतुलित पोषण दें| इस बात का खयाल रखें कि पालतू जानवर सर्दी में मोटे हो सकते हैं या उन का वजन बढ़ सकता है| मोटे या भारी पालतू जानवरों को जख्म या बीमारी की आशंका सामान्य वजन वाले पालतू जानवरों के मुकाबले ज्यादा होती है

व्यायाम जरूरी

ज्यादातर पालतू जानवर खुद व्यायाम नहीं करते, हालांकि दूसरे पालतू जानवर या परिवार के सदस्य के साथ वे खेल सकते हैं अथवा खिलौनों से अपना मनोरंजन कर सकते हैं| इसलिए, हमारा यह काम है कि हम उन्हें फिट रहने में सहायता करें| और इस के लिए घर में उन का काम बढ़ाएं| मौसम जब कभी ठीक हो उस का लाभ उठाइए और अपने कुत्ते के साथ थोड़ी देर के लिए वाक पर निकल जाइए| कुछ मिनट के व्यायाम से भी अंतर लाने में सहायता मिलेगी|

सूखी सफाई

संभव है ठंड में आप का कुत्ता बहुत गंदा न हो और आप को उन्हें नहलाने की जरूरत न लगे| पर अगर आप उसे नहलाएं तो बहुत जरूरी है कि उस के बाद आप उसे गरम रखें| नहलाने के बाद उसे पोंछ कर सुखा दें| इस के लिए आप अच्छे ड्रायर का उपयोग भी कर सकते हैं| जब तक वह अच्छी तरह न सूख जाए उसे बाहर खुले में न जाने दें| पानी से नहलाने के बजाय आप उसे सूखा भी नहला सकते हैं| इस के लिए उसे कौर्न स्टार्च या बेबी पाउडर से ब्रश कर दीजिए|

द बिग चिल

पालतू पिल्ले को लंबे समय तक बाहर मत रखिए क्योंकि शरीर का कम तापमान (हाइपोथर्मिया) मौत का कारण बन सकता है| अगर हवा चल रही हो और विंड चिल इंडैक्स 20 डिगरी से कम हो तो छोटे कुत्तों, उम्रदराज कुत्तों और बिल्लियों या छोटे बालों वाले कुत्तों को बाहर मत ले जाइए| अगर आप उन्हें बाहर ले ही जाना चाहें तो स्वेटर पहनाइए| इस से उन्हें ठंड का मुकाबला करने में आसानी होगी|

कैसा हो बिस्तर

बेहद गीले या ठंडे मौसम में कुत्ते हाइपोथर्मिक हो सकते हैं और अगर वे ऐसी जगह पर रहते हैं जहां बर्फ पड़ती है तो उन्हें फ्रोस्टबाइट भी हो सकता है| इसलिए यह देखना जरूरी है कि आप का प्यारा कुत्ता जहां सोता है वहां हवा का झोंका तो नहीं आता| कुत्ते के सोने के लिए भी कई विकल्प हैं| आप उन में से अपनी पसंद और जरूरत के अनुसार चुन सकते हैं| जो विकल्प प्रमुख हैं उन में पैड, कंबल, रजाई, भूसा और पुआल प्रमुख हैं| आप चाहें तो कुत्ते के बिस्तर पर मोटा कंबल भी बिछा सकते हैं| इस से न सिर्फ उन्हें अतिरिक्त गरमी मिलेगी बल्कि तकलीफदेह जोड़ों के लिए उन्हें अतिरिक्त गद्दा भी मिलेगा|

उम्रदराज कुत्ता आमतौर पर मौसम के प्रतिकूल प्रभावों से जल्दी परेशान होता है| जिन कुत्तों में हार्मोन असंतुलन, हृदय की बीमारी, किडनी की बीमारी या डायबिटीज जैसी स्वास्थ्य की स्थितियां हों वे शरीर की ऊष्मा को उपयुक्त ढंग से रैगुलेट नहीं कर पाते हैं| आर्थ्राइटिस के शिकार उम्रदराज कुत्ते ठंड के मौसम में काफी असुविधा का सामना करते हैं क्योंकि इन दिनों उन के सख्त जोड़ और सख्त हो जाते हैं| दवाओं, उपचार के विकल्पों और आर्थ्राइटिस के शिकार अपने कुत्ते को सर्दी में आराम से रखने के तरीकों के बारे में उस के चिकित्सक से सलाह लें| टीकाकरण, पेट के कीड़ों के लिए दवा और स्वास्थ्य की नियमित जांच सर्दी के मौसम में महत्त्वपूर्ण होती है| सो, अपनी सेहत के साथ अपने पालतू की सेहत के प्रति चौकन्ने रह कर स्वस्थ जीवन जिएं और जीने दें|

डॉ मोहर सिंह कुशवाह , डॉ ज्योत्सना शक्कार्पुड़े , डॉ गजेन्द्र सिंह धाकड़

डिपार्टमेंट ऑफ़ वेटरनरी फिजियोलॉजी ,कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी साइंस एंड ए.एच.,म्हो

Pashusandesh acknowledge contribution from Dr Mohar, Dr Jyotsana and Dr Gajendra.

 

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