गर्मियों में पालतू पशुओं का प्रबंधन

Pashu Sandesh, 15 May 2025

मधुर क्षीरसागर, एन. के. बजाज , एस.एस. माहोर , मधु शिवहरे , , अंकिता , शालिनी  , रोहित , कुणाल , तन्मय  एवं श्रीराम 

मादा प्रजनन एवं प्रसूति विभाग , पशु चिकित्सा एवं पशु पालन महाविद्यालय , महू

 भारत में गर्मियों का मौसम बहुत कठोर होता है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और दक्षिण व मध्यभारत के कई हिस्सों में तापमान 45°C से ऊपर चला जाता है। अधिक गर्मी, उमस और लू के कारण पशुओं में तनाव, निर्जलीकरण, हीटस्ट्रोक, भूख में कमी और दूध उत्पादन में गिरावट देखी जाती है। इस मौसम में उचित प्रबंधन से पशुओं के स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सकता है।

जल प्रबंधन

  • पशुओं को हर समय साफ और ठंडा पानी उपलब्ध कराएं
  • पानी की टंकियों को छांव में रखें या अंडरग्राउंड टैंक का उपयोग करें
  • गर्मी से तनाव को रोकने के लिए पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स मिलाएं

आवास और आश्रय

  • पशु शेड में सही वेंटिलेशन और वायुप्रवाह का प्रबंध करें
  • छत पर सफेद रंग या थर्मलरिफ्लेक्टिव कोटिंगकरें
  • फॉगर या वाटरमिस्टर्स से तापमान कम किया जा सकता है
  • फार्म के आसपास छायादार पेड़ लगाएं।
  • हरी जालियों या पानी में भीगे बोरे का प्रयोग करके अस्थायी छाया प्रदान करें

आहार प्रबंधन

  • चारा सुबह जल्दी और शाम को दें जब मौसम ठंडा हो
  • हरा चारा अधिक मात्रा में दें जिसमें नमी ज्यादा होती है
  • शरीर में संतुलन बनाए रखने के लिए मिनरल मिक्सचर और नमक चाट दें
  • सूखा चारा (जैसे भूसी) को पानी में भिगोकर दें
  • सड़ा- गला या गरम चारा न दें।

सफाई और ठंडक

  • गाय-भैंस को दिन में एक या दो बार ठंडे पानी से नहलाएं
  • डेयरी फार्म में स्प्रिंकलर या वॉटर कर्टेन लगाएं
  • पशुओं के बैठने की जगह साफ और सूखी रखें

रोगों से बचाव और निगरानी

  • अत्यधिक लार आना, हांफना, कमजोरी, भूख कम होना
  • पशुओं का टीकाकरण समयपरकराएं।
  • नियमित रूप से कीड़े मारने की दवा (डिवॉर्मिंग) दें।
  • चारे को ठंडी और सूखी जगह पर रखें ताकि फंगस न लगे
  • पशुचिकित्सक का नंबर हमेशा रखें।

 

 

 

 

 

 

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