थनेला रोग: एक गंभीर समस्या

Pashu Sandesh, 04 September 2023

अंकित दाँगी 1 और विक्रांत दलाल 2

1. पशु शल्य चिकित्सा एवं विकिरण विभाग, लाला लाजपतराय पशुचिकित्सा एवं
पशुविज्ञान विश्वविद्यालय , हिसार-125004, (हरियाणा)

2. पशु आनुवंशिकी और प्रजनन विभाग, लाला लाजपतराय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान 

विश्वविद्यालय , हिसार-125004, (हरियाणा)

थनेला रोग पशुओं की लेवटी की बीमारी हैl किसानों को सबसे अधिक पशुधन का नुक़सान इसी बीमारी के कारण होता हैl दूध सूक्ष्म जीवों के  लिए पनपने का बहुत ही अच्छा साधन हैl लेवटी में दूध बनाने वाली कोशिकाएँ  होती हैं जो निरंतर रूप से दूध बनाती रहती हैंl इन सब कारणों के चलते जरा सा पशु में तनाव होते ही सूक्ष्म जीवी लेवटी में संक्रमण कर देते हैंl यह संक्रमण बड़ी ही तेज़ी से फैलता है तथा दूध बनाने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। इसके चलते किसानों को भारी आय का नुक़सान सहना पड़ता है। 

बीमारी के लक्षण:

  1. दूध की स्थिरता में बदलाव: पतलापन या गाढ़ापन।
  2. दूध के स्वाद में बदलाव: कड़वापन, खारापन, बकबका आिद।
  3. लेवटी या/व थन में सोजन।
  4. दूध में खून आना।
  5. लेवटी या/व थन में कठोरता।
  6. थन या लेवटी का सुकड़ना।
  7. दूध न आना।
  8. दूध में छेलडे़ आना।

निदान व उपचार के उपाय:

  1. चारों थनों के दूध को अलग अलग चार नयी सिरिंज में लें और कल्चर सेंसिटिविटी टेस्ट करवायें।
  2. सीएमटी टेस्ट करवायें।
  3. स्टिप कप टेस्ट करवायें।
  4. एंटीबॉयोटिक्स व अन्य अनिवारिय दवाईयां लगवाइये।
  5. अगर सूजन अत्यधिक है तो कपड़े में बरफ़ डालकर 48 घंटे तक लेवटी की सिकाई करे।
  6. देसी उपाय: काली मिर्च 50ग्राम + कडू़ 50ग्राम + खाँड 150ग्राम +मीठा सोढ़ा 150ग्राम।- एक खुराक दें।

रोकथाम के उपाय:

  1. पशुघर के फ़र्श को पोटैशियम परमैगनेट के सलूशन से रोज़ाना धोयें।
  2. टीट-डिप का निरंतर उपयोग करे।
  3. दूध निकालने के 1 घंटे तक पशु को बैठने न दें।
  4. ड्राई काऊ थेरेपी।
  5. दूध निकालने से पहले हाथों को अच्छे से धो लें।
  6. दूध मूठी से निकालें।

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