गाय-भैंसों में हीट (उष्मा) पहचान का महत्व

Pashu Sandesh, 15 Sep 2025

श्रीराम ताठे, एन. के. बजाज, एस.एस. माहोर, मधु शिवहरे, कुणाल, अंकिता, तन्मय, शालिनी, मधुर रोहित

मादा प्रजनन एवं प्रसूति विभाग, पशु चिकित्सा एवं पशु पालन महाविद्यालय, महू

गाय के गर्मी में आने का समय उस अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसके दौरान वह अपने झुंड के साथियों या बैल की सवारी के लिए खड़ी रहती है। यह हर 18-24 दिनों में होता है गाय-भैंसों से अधिक बछड़े प्राप्त करने और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए सही समय पर गर्भाधान कराना आवश्यक है। इसके लिए पशुओं में हीट (उष्मा) की सही पहचान बहुत ज़रूरी है। 

हीट की पहचान के लक्षण और तरीके:-

  • पशु बार-बार रंभाता है।
  • दूसरे पशुओं पर चढ़ने या चढ़वाने का प्रयास करता है।
  • जननांग (योनि) से हल्का श्लेष्मा (चिपचिपा तरल) निकलता है।
  • दूध उत्पादन अस्थायी रूप से कम हो सकता है।
  • पशु का स्वभाव चंचल हो जाता है।
  • शरीर का तापमान हल्का बढ़ा हुआ हो सकता है।
  • योनि की नरम और फूल चुकी स्थिति।
  • दैनिक व्यवहार में बदलाव, जैसे अधिक सक्रिय होना।
  • दूध उत्पादन में थोड़ी गिरावट।
  • प्रजनन रिकॉर्ड से चक्र की जानकारी लेना।

कृत्रिम गर्भाधान करने का सही समय

हीट शुरू होने के 12 से 18 घंटे बाद कृत्रिम गर्भाधान कराना सबसे उपयुक्त माना जाता है। यदि सही समय पर गर्भाधान न कराया जाए तो गर्भ ठहरने की संभावना कम हो जाती है।

किसानों के लिए आसान सुझाव

अपने पशुओं को दिन में दो बार, सुबह और शाम, करीब से देखें।

हीट के समय पशु अधिक चंचल और उत्साहित दिखाई देते हैं।

जननांग से निकलने वाले हल्के श्लेष्मा और बार-बार रंभाना हीट के संकेत हैं।

किसी भी संदेह में तुरंत पंजीकृत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

रिकॉर्ड रखें: किस दिन हीट शुरू हुई और गर्भाधान किया गया। इससे भविष्य में बेहतर प्रजनन योजना बनाई जा सकती है।

स्वस्थ और पर्याप्त पोषण पशुओं को हीट के समय सक्रिय बनाता है, इसलिए अच्छे आहार का ध्यान रखें।

निष्कर्ष

हीट की सही पहचान और समय पर कृत्रिम गर्भाधान करना गाय-भैंसों की प्रजनन क्षमता और दूध उत्पादन दोनों के लिए आवश्यक है। किसानों को चाहिए कि वे नियमित निगरानी रखें और पशु चिकित्सक की सलाह से हीट का सही समय पहचान कर गर्भाधान कराएँ।

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