भीम महोत्सव 2025: केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने किया सांस्कृतिक मेले का उद्घाटन

 कार्यक्रम में गौशाला आंदोलन के अग्रदूत गिरीशभाई सतरा भी मंत्री के साथ दिखे

Pashu Sandesh, 01 May 2025

मुंबई के मुलुंड स्थित बाबासाहेब आंबेडकर मैदान में, भारतीय संविधान के निर्माता, दलितों, शोषितों और वंचितों के उद्धारक, आधुनिक भारत के अग्रदूत, भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर जी की 134वीं जयंती के अवसर पर पिछले डेढ़ दशक से आयोजित होने वाला पांच दिवसीय भीम महोत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ 9 अप्रैल को हुआ। इस अवसर पर न केवल मुंबई, बल्कि देश के विभिन्न कोनों से लोग शामिल हुए। कार्यक्रम में गौशाला आंदोलन के अग्रदूत गिरीशभाई सतरा भी केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले के साथ उपस्थित थे।

इस अवसर पर गुजरात के समर्पित गौ भक्त एवं विशेषज्ञ गिरीशभाई सतरा को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने मंत्री के साथ विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। उल्लेखनीय है कि गिरीशभाई सतरा न केवल गुजरात, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में गौशाला विकास के कार्यों से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। वे उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संस्था विश्व हिंदू महासंघ के तत्वावधान में संचालित विशेष गौशाला विकास कार्यक्रमों में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

उन्होंने बताया कि मंच पर समाज के विभिन्न वर्गों के समाजसेवी, उद्योगपति, कलाकार और राजनीति से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों का निरंतर आगमन बना रहा। केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले सामाजिक समरसता और भाईचारे के वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सदैव तत्पर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले स्वयंसेवकों, संस्थाओं और विशेषज्ञों को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में भीम गीत, मराठी और हिन्दी कविताओं से लेकर हास्य-व्यंग्य की मनोरंजक प्रस्तुतियाँ हुईं, जिन्होंने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आरपीआई नेता और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले के कर-कमलों से जैसे ही भीम महोत्सव का शुभारंभ हुआ, कार्यक्रम में एक अद्भुत समां बंध गया, जो लगातार जारी है। प्रत्येक दिन नए कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। आयोजक, युवा नेता और नवीन संकल्प प्रतिष्ठान के प्रमुख विनोद जाधव ने जनसमाचार से बात करते हुए कहा कि विचार सार्वभौमिक और कालातीत सत्य होते हैं।

डॉ. बाबासाहेब की विचारधारा किसी एक जाति या धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए, यह आवश्यक है कि यह भारत के कोने-कोने में प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे। इसी सामाजिक उद्देश्य को लेकर भीम महोत्सव की परिकल्पना साकार हुई। डॉ. अंबेडकर की पहली वर्षगांठ 2011 में बाबासाहेब अंबेडकर स्टेडियम में आयोजित की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक समरसता और संविधान के प्रति जागरूकता पैदा करना था।