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पशु संदेश, चेन्नई | 5 सितम्बर
कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ़ इंडिया (CAG) की एक रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु में वर्ष 2012 से 15 के बीच 23 हाथीओं की अप्राकृतिक कारणों से मौत हुई, जिसमें से 16 हाथी करंट लगने से मारे गए| सरकार ने भी माना है कि लोगों द्वारा अपनी फसलों के सुरक्षा के लिए लगाई करेंट की बढ़ की वजह से हाथीयों के जान गई है|
रिपोर्ट के अनुसार वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ने वर्ष 2005 में राज्य में 12 एलीफेंट कोरिडोर चिन्हित किये थे,जिनका अनुमोदन राज्य के वन विभाग ने भी किया था| दस वर्षों में सरकार ने इन 12 में से अभी तक केवल एक ही कोरिडोर का नोटिफिकेशन जारी किया है| एलीफेंट कोर्रिडोर्स के नोटिफिकेशन में विलम्ब की वजह से हाथीओं को निर्बाध आवागमन के लीये रास्ता नहीं मिलता, जिसके फलस्वरूप मानव-पशु संघर्ष की स्थितियां निर्मित होती हैं और जान माल का नुकसान होता है|
यही हाल हाथी रोधी खंतीयों (Elephent proof trenches) का भी है| वन विभाग ने हाथी रोधी खंतीयाँ बनाने का काम तो शुरू किया है, पर इसकी रफ़्तार भी बहुत सुस्त है| राज्य में कुल 1435 किलो मीटर लंबी हाथी रोधी खंतीयाँ बनई जाना हैं, जिसमें से अभी 81 किलो मीटर का ही कम पूरा हुआ है|