गोबर- गोमूत्र से गांव की अर्थव्यवस्था सुधारने मैं जुटी एक स्वयंसेवी संस्था समस्त महाजन के उपलब्धियां पर महान हस्तियों की नजर

Pashu Sandesh, 10 Sep 2024

Dr R B Choudhary

आर्यभट्ट भू-सूचना विज्ञान अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, "गैर-सरकारी संगठन" या एनजीओ को पहली बार 1945 में संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 71 में इस नाम से संबोधित किया गया था। भारतीय केंद्रीय सांख्यिकी संस्थान की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 33 लाख एनजीओ हैं, जिनमें से केवल 1,87,395 संस्थाएं सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं। अध्ययनों से यह भी सामने आया है कि एनजीओ, अन्य प्रकार के संगठनों की तुलना में 10-60% अधिक प्रभावी होते हैं। मेटा-विश्लेषण से पता चला कि एनजीओ द्वारा संचालित कार्यक्रमों का प्रभाव, सरकार द्वारा किए गए कार्यों की तुलना में 113% अधिक होता है।

देश भर में फैली स्वयंसेवी संस्थाओं के इस विशाल नेटवर्क में कई तरह के कार्य किए जाते हैं, परंतु जीव दया और करुणा के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं की संख्या बहुत कम है। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संस्था "समस्त महाजन" ने पिछले दो दशकों में जीव दया, पशु कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। वर्ष 2023-24 में संस्था ने 51 करोड़ रुपये का बजट खर्च किया, जो किसी भी एनजीओ द्वारा जीव दया और पर्यावरण संरक्षण पर खर्च की गई सबसे बड़ी राशि मानी जा रही है। संस्था का लक्ष्य 2024-25 में इस राशि को बढ़ाकर 60 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का है। गोबर- गोमूत्र से गांव की अर्थव्यवस्था सुधारने मैं जुटी एक स्वयंसेवी संस्था समस्त महाजन पर प्रधानमंत्री के संज्ञान में आया है क्योंकि, अभी हाल में गुजरात के पालीताणा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूछे जाने परसे डॉ गिरीश ने अपने कार्यों की प्रगति बताई।

समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी डॉक्टर गिरीश जयंतीलाल शाह जो भारत सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य हैं, वह गांव और शहर में लावारिस पशुओं की बढ़ती हुई चुनौती को प्राकृतिक ढंग से सुलझाने की कोशिश में लगे हैं। क्योंकि केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार है जहां लावारिस पशुओं के समस्या से निपटने के लिए "सेक्स शॉर्टेड सीमेंन" की टेक्नोलॉजी को किसानों तक पहुंच कर बछड़े के जगह बछिया पैदा करने की कवायद कर रही है, वही डॉ शाह गौशाला के निराश्रित पशुओं के गोबर -गोमूत्र के बेहतर उपयोग से गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ जमीन को उपजाऊ बनाने और मिट्टी को जहरीली बनने से रोकने की रोकने की पहल कर रहे हैं। प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो के एक रिपोर्ट के अनुसार , पशुधन आबादी ‘गणना-2012’ की तुलना में 4.6 प्रतिशत बढ़कर 535.78 मिलियन के स्‍तर पर पहुंच गई है जो केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है।

एक अनुमान के मुताबिक़ भारत में करीब 30 करोड़ मवेशी हैं और इनसे हर रोज करीब 30 लाख टन गोबर का उत्पादन होता है लेकिन इसका बेहतर उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसका नतीजा है की मिट्टी से कार्बनिक तत्व घटता जा रहा है। राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण (एनआरएए) ने बीते साल जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि देश में पिछले 70 वर्षों में मृदा जैविक कार्बन (एसओसी) तत्व एक प्रतिशत से कम होकर 0.3 प्रतिशत पर आ गया है जो फसलों के उत्पादन और उसकी पोषण शक्ति को सीधे प्रभावित करते हैं। मिट्टी जहरीले होने से उत्पादन और उत्पाद भी जहरीला हो रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक, 2020 में भारत में कैंसर के अनुमानित मामले 13.92 लाख थे, जो 2021 में बढ़कर 14.26 लाख और 2022 में बढ़कर 14.61 लाख हो गए। कुल मिलाकर स्थिति अत्यंत भयावह और चुनौती पूर्ण बनती जा रही है।

समस्त महाजन संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी, मुंबई के प्रमुख डायमंड एक्सपोर्टर और समर्पित समाजसेवी डॉ. गिरीश जयंतीलाल शाह, पिछले दो दशकों से गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में पर्यावरण संरक्षण और जीव दया के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने न केवल जन जागरूकता फैलाई है, बल्कि स्वयंसेवी संस्थाओं, खासकर गौशालाओं को आर्थिक मदद भी प्रदान की है। फंड वितरण का यह कार्य तब किया जाता है जब आवेदक संस्थाएं समस्त महाजन से जीव दया, गो संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण पर प्रशिक्षण प्राप्त करती हैं, ताकि अनुदान का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके और संस्थाएं स्वावलंबी बन सकें।

गत 22 से 25 अगस्त 2024 को इस विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया था, जिसमें 400 से अधिक पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ता, पशु प्रेमी और गौशाला प्रतिनिधि शामिल हुए। इसमें निराश्रित गोवंश की समस्या से निपटने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। इस कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों को 1 करोड़ 11 लाख रुपये का अनुदान दिया गया। समस्त महाजन के एक नए स्कीम की घोषणा करते हुए डॉ शाह ने बताया कि *उत्तर प्रदेश * गौ सेवा आयोग के द्वारा पंजीकृत उन सभी संस्थाओं को ₹ 11,000 रुपए का आर्थिक अनुदान दिया जाएगा जो समस्त महाजन द्वारा द्वारा निर्धारित मापदंडों को पूरा करेंगे। डॉ शाह ने यह भी कहा कि भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त सभी गौशालाओं को ₹ 14,000 दिया जाएगा। इस अनुदान सहायता को प्राप्त करने के लिए समस्त महाजन द्वारा जारी आवेदन पत्र को भरना पड़ेगा और उसके साथ आवेदक संस्था को सभी आवश्यक कागजात लगाने पड़ेंगे। आवेदन पत्र पूर्ण होने पर ही अनुदान सहायता प्रदान की जाएगी।

इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के संयोजक और मुख्य वक्ता डॉ. गिरीश जयंतीलाल शाह ने कई योजनाएं लॉन्च कीं। इस अवसर पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों, उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के सचिव, पूर्व केंद्रीय सचिव राजीव गुप्ता समेत कई विशेषज्ञ शामिल हुए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख अजीत प्रसाद महापात्रा ने गौ माता की महिमा पर प्रकाश डाला, जबकि पर्यावरण प्रमुख गोपालजी आर्य ने गोधन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बात की। इस दौरान केंद्रीय पशुपालन राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने दुधारू पशुओं से पौष्टिक दुग्ध उत्पादन के महत्व पर चर्चा की।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अहमदाबाद स्थित पत्र सूचना कार्यालय का योगदान उल्लेखनीय रहा। पत्र सूचना कार्यालय ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में सेमिनार के विषय, व्यावहारिक कार्यों और चर्चाओं को व्यापक जनता तक पहुंचाने में मदद की। सेमिनार के दौरान कई स्थानों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए, जैसे गुजरात के विरमगाम में बबूल निकालकर विकसित की

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