पशु संदेश, 30 अप्रैल 2025
गर्मी का मौसम शुरू होते ही पिछले दो महीनों से राजस्थान के जैसलमेर जिले में कर्रा रोग (बोटुलिज्म) से पशुओं, विशेषकर दुधारू गायों, की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, कर्रा रोग तेजी से फैल रहा है। ग्रामीणों के अनुसार इस बीमारी के कारण अब तक 500 से अधिक गायों की मृत्यु हो चुकी है, हालाकीपशुपालन विभाग ने 200 मौतों की ही आधिकारिक पुष्टि की है। गौरतलब है कि इस बीमारी की वजह से पिछले साल भी 1500 से ज्यादा दुधारु गायों की मौत हो गई थी|
बोटुलिज़्म एक गंभीर और प्राणघातक रोग है जो क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक जीवाणु द्वारा होता है, जिसका फिलहाल कोई अच्छा इलाज उपलब्ध नहीं है।
कर्रा रोग (बोटुलिज्म) क्या है
कर्रा रोग, जिसे बोटुलिज्म भी कहा जाता है, एक गंभीर और प्राणघातक तंत्रिका रोग है जो क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम (Clostridium botulinum) नामक बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न विष के कारण होता है। यह विष मांसपेशियों को लकवाग्रस्त कर देता है, जिससे पशु चारा खाना और पानी पीना बंद कर देते हैं, और कुछ ही दिनों में उनकी मृत्यु हो जाती है। कर्रा रोग होते ही गाय के आगे के पैर जकड़ जाते हैं और गाय चलना बंद कर देती है| मुंह से लार टपकती है और चारा खाना व पानी पीना भी बंद हो जाता है| कर्रा रोग लगने के4 से 5 दिन में गाय की मौत हो जाती है| फिलहाल इस बीमारी का कोई अच्छा इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि पशु चिकित्सकों का कहना है कि कर्रा रोग के लक्षण दिखते ही यदि लिक्विड चारकोल बीमार गाय को पीला दिया जाता है तो बचने की संभावना ज्यादा और मौत की संभावना कम हो जाती है|
बीमारी के फैलने के कारण
गांवों के आसपास खुले में छोड़े गए मरे पशुओं के अवशेष इस बीमारी को फैलाने का प्रमुख कारण बन रहे हैं। बोटुलिनम विष गर्मियों में सड़े-गले मांस या हड्डियों में पनपता है, जिसे चाटने और खाने से स्वस्थ गायें भी संक्रमित हो जाती हैं। एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि, गायों में मृत पशुओं के शवों के अवशेष व हड्डियां को चाटने और खाने से कर्रा रोग (बोटूलिज्म) हो जाता है. चारे में फॉस्फोरस की कमी और दुग्ध उत्पादन के कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी भी इस रोग का एक कारक है। जब पशु को खुराक में जरूरत के हिसाब से कैल्सियम और फास्फोरस नहीं मिलता है तो उसके शरीर में इसकी कमी होने लगती है| इस कमी को पूरा करने के लिए पशु खुद कोशिश करता है, इसी कोशिश के चलते वो मरे हुए पशु की हड्डी को चाटने और खाने लगता है| ऐसा करने से मरे हुए पशुओं की हड्डियों से बोटुलिज्म रोग के कीटाणु हेल्दी पशुओं में आ जाते हैं|
जैसलमेर जिले में मृत गायों के शवों का निस्तारण सही तरीके से नहीं किया जा रहा है| लोग गायों के शवों को गांव के पास ही खुले में छोड़ रहे हैं, इससे स्वस्थ गायें शवों के अवशेष व हड्डियों को चाटती हैं जिससे बाद में स्वस्थ गाय भी कर्रा रोग की चपेट में आ जाती है| गायों के शवों का उचित तरीके से निस्तारण करके इस रोग को एक हद तक रोका जा सकता है|
क्या उपाय करें
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि कर्रा रोग के प्राथमिक लक्षण पाए जाने पर तुरंत ही लिक्विड ऐक्टीवेटेड चारकोल 200 से 300 एमएल प्रतिदिन 3 दिन तक पिलाएं. इससे पीड़ित गाय की मौत की आशंका कम हो जाएगी और बचने की संभावना बढ़ जायेगी| कर्रा रोग से पशुओं के बचाव के लिए पशु चिकित्सालय एवं पशु चिकित्सा उप केंद्र में उपलब्ध मिनरल मिक्सर पाउडर को लें जाकर दुधारू पशु को प्रतिदिन 50 ग्राम पाउडर नमक दाने के साथ हर दिन खिलाएं|
पशुपालकों के लिए सुझाव
पशुओं को खुले में विचरण करने से रोकें और उन्हें बाड़ों में रखें।
उन्हें संतुलित आहार, मिनरल मिक्सचर और नमक प्रदान करें ताकि पोषक तत्वों की कमी न हो।
मृत पशुओं के अवशेषों को तुरंत और सुरक्षित तरीके से नष्ट करें ताकि रोग का प्रसार न हो।
पशुओं में किसी भी असामान्य लक्षण दिखने पर तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क करें।