निराश्रित गौवंश पालने पर मिलेंगे 6000 रुपए प्रति माह
मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना
Pashu Sandesh, 08 July 2025
योगी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों और पशुपालकों के लिए एक बेहतरीन पहल की है। उत्तर प्रदेश सरकार की "मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना" के तहत अब आप बेसहारा गायों की देखभाल करके प्रति माह ₹6000 तक कमा सकते हैं। इसयोजना का मुख्य उद्देश्य बेसहारा गोवंश की सुरक्षा, गोसेवा को बढ़ावा देना और सड़कों पर घूम रही गायों की समस्या का समाधान करना है। यह योजना न केवल गोवंश के संरक्षण और देखभाल को बढ़ावा देती है, बल्कि पशुपालकों और किसानों को आर्थिक सहायता प्रदानकरके उनकी आय बढ़ाने का अवसर भी देती है।
इस योजना के तहत, सरकार गोशालाओं में रखे गए निराश्रित गोवंश को इच्छुक पशुपालकों, को सौंपती है। बदले में, पशुपालकों को उनके भरण-पोषण के लिए प्रति गोवंश ₹1500 मासिक (₹50 प्रतिदिन) की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह योजना 6 अगस्त 2019 को शुरू कीगई थी और 2025 में इसे और प्रभावी बनाया गया है।
योजना का उद्देश्य
- फसलों की सुरक्षा: आवारा गोवंश से खेतों को होने वाले नुकसान को कम करना।
- देसी नस्लों का संरक्षण: स्वदेशी गोवंश जैसे गिर, साहिवाल, और थारपारकर की नस्लों को बढ़ावा देना।
- कुपोषण में कमी: पोषण मिशन के तहत कुपोषित परिवारों को दूध देने वाली गायें प्रदान करना।
- आय का स्रोत: पशुपालकों को गोवंश पालन और दूध बिक्री से अतिरिक्त आय प्रदान करना।
योजना के फायदे
यह योजना पशुपालकों और किसानों के लिए कई लाभ प्रदान करती है। आइए इसके प्रमुख लाभों पर नजर डालें:
- आर्थिक सहायता: प्रत्येक गोवंश के लिए ₹50 प्रतिदिन (₹1500 प्रति माह) की राशि डीबीटी के माध्यम से पशुपालक के बैंक खाते में जमा की जाती है। चार गोवंश पालने पर यह राशि ₹6000 मासिक हो सकती है।
- दूध से अतिरिक्त आय: दूध देने वाली गायों से दूध बेचकर पशुपालक अपनी आय को और बढ़ा सकते हैं।
- फसलों की सुरक्षा: आवारा गोवंश को गोशालाओं या पशुपालकों के पास स्थानांतरित करने से खेतों को नुकसान कम होता है।
- कुपोषण में कमी: कुपोषित परिवारों को दूध उपलब्ध कराने से पोषण स्तर में सुधार होता है।
- पर्यावरणीय लाभ: गोवंश के गोबर और मूत्र का उपयोग जैविक खेती और गोबर पेंट जैसे उत्पादों में किया जा सकता है।
- रोजगार सृजन: यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करती है।
पात्रता मानदंड
- निवास: आवेदक उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।
- पशुपालन का अनुभव: गोवंश पालने का अनुभव या ज्ञान होना आवश्यक है।
- स्थान की उपलब्धता: गोवंश के लिए उपयुक्त स्थान (शेड, चारा, पानी की व्यवस्था) होनी चाहिए।
- बैंक खाता: आवेदक का आधार से लिंक किया हुआ सक्रिय बैंक खाता होना चाहिए।
- प्राथमिकता: दुग्ध सहकारी समितियों से जुड़े व्यक्तियों और प्रशिक्षित पशु मित्रों/पैरावेट्स को प्राथमिकता दी जाती है।
- गोवंश की संख्या: एक व्यक्ति को अधिकतम 4 गोवंश दिए जा सकते हैं (नवजात बछड़ों की गणना नहीं की जाती)।
योजना के तहत सौंपे गए गोवंश को बेचना या छोड़ना सख्त मना है। इसका उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।