ग्रीष्म ऋतु का पशुओं के दुग्ध उत्पादन पर प्रभाव एवं समाधान

Pashu Sandesh, 15 May 2025

मोनिका, स्नातकोत्तर शोधार्थी

समीर खान, स्नातकोत्तर शोधार्थी

मैना कुमारी, सहायक आचार्य, CVAS, Bikaner

दूध उत्पादन ग्रामीण भारत के किसानों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है। लेकिन बदलती जलवायु, विशेषकर बढ़ते तापमान, इस क्षेत्र कोगंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। गर्मी के कारण होने वाला हीट स्ट्रेस पशुओं की वृद्धि, दूध उत्पादन, प्रजनन और रोग प्रतिरोधक क्षमता कोनकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। ऐसे में पशुपालन का समुचित प्रबंधन अत्यधिक आवश्यक हो गया है।

 ग्रीष्म ऋतु में दुग्ध उत्पादन पर प्रभाव

  1. चारे की खपत में कमी: गर्मियों में पशु सूखा चारा 10% से 30% तक कम खा सकते हैं, जिससे दूध उत्पादन 10% तक घट सकता है।
  2. हीट स्ट्रेस और स्वास्थ्य प्रभाव: अत्यधिक गर्मी ऑक्सीडेटिव तनाव उत्पन्न करती है, जिससे रोगों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है, खासकर वर्षा ऋतु में।
  3. पोषण की कमी: हरे चारे और विटामिन A जैसे पोषक तत्वों की कमी आम हो जाती है, जिससे पशुओं की शारीरिक स्थिति कमजोर होजाती है।
  4. व्यवहार में बदलाव: गर्मी में पशु अधिक पानी पीते हैं, कम चारा खाते हैं, और अक्सर छांव में खड़े रहते हैं, जिससे आराम और पाचनक्रिया प्रभावित होती है।
  5. शारीरिक तनाव: श्वास दर और शरीर का तापमान बढ़ने से पशु हीट स्ट्रेस के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे दूध उत्पादनपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

 

दुग्ध उत्पादन बनाए रखने एवं बढ़ाने के उपाय

  1. आवास और वेंटिलेशन का सुधार
  • शेड में उचित वेंटिलेशन होना चाहिए।
  • छत को सफेद रंग से पेंट करें, पैडी स्ट्रॉ या फॉल्स सीलिंग लगाएं।
  • टाट की दीवारें या गीले बोरे गर्म हवा से बचाव करते हैं।
  1. ठंडा वातावरण सुनिश्चित करें
  • पंखे, स्प्रिंकलर या कूलिंग सिस्टम का उपयोग करें।
  • दिन के ठंडे समय (सुबह/शाम) में चारा खिलाएं।
  • पशु को सुबह शाम नहलाएं ।
  1. पानी और चारा प्रबंधन
  • स्वच्छ और पर्याप्त पानी हर समय उपलब्ध कराएं।
  • उच्च गुणवत्ता वाला, रेशेदार और ताजगी भरा चारा दें।
  • आहार में 30 ग्राम सोडियम बाइकार्बोनेट से पाचन सुधरता है।
  1. पोषणात्मक पूरक
  • प्रतिदिन 60 ग्राम विटामिन-मिनरल मिश्रण दें।
  • हरे चारे की कमी हो तो हर 2–3 दिन में विटामिन A की मौखिक खुराक दें।
  1. विशेष आहार
  • बायपास प्रोटीन युक्त आहार दूध उत्पादन में मदद करता है।
  1. परजीवी और कृमिनाशन नियंत्रण
  • नियमित डीवार्मिंग (प्रसव से पहले और बाद में) दूध उत्पादन में वृद्धि कर सकती है।
  1. चराई से बचाव
  • अत्यधिक गर्मी में चराई से बचें, क्योंकि इससे हीट स्ट्रेस बढ़ता है और दूध उत्पादन घटता है।

 ग्रीष्म ऋतु में डेयरी पशुओं के लिए समुचित देखभाल और पोषण प्रबंधन बेहद जरूरी है। थोड़े से प्रयासों और सही उपायों के माध्यम से हीट स्ट्रेसको कम किया जा सकता है और दुग्ध उत्पादन को स्थिर या बेहतर बनाया जा सकता है। इससे न केवल पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि किसानों की आय में भी स्थिरता बनी रहती है।