पशु संदेश, भोपाल | 22 अप्रैल 2017
मृत्यु का कारण जानने के उद्देश्य से किये गये शव के विधिवत परिक्षण को पोस्टमार्टम करना कहते हैं| वेटरनरी साइंस में अक्सर इसे नेक्रोप्सी (necropsy) भी कहा जाता है | पशु के पोस्टमार्टम के दौरान पाये गये पैथोलॉजिकल लीजंस को हिस्ट्री से को-रिलेट कर पशु चिकित्सक पशु की मृत्यु का कारण ज्ञात करता है | कई बार पोस्टमार्टम के दौरान मृत्यु का कारण पुर्णतः स्पष्ट न होने की स्थिती में पशु के विसरा तथा अन्य सेम्पल्स को परिक्षण के लिए संबंधित प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है | वेटरनरी साइंस में पोस्टमार्टम मुख्यतः 2 वजहों से किया जाता है- पहला पशु की मृत्यु का कारण जानने के लिए, जिससे समय रहते बीमारी की पहचान कर अन्य पशुओं को बचाया जा सके | दूसरा वेट्रो लीगल केसेस (VLC) में जहाँ पशु की मृत्यु का कारण जानना आगे की कानूनी कार्यवाही की लिए आवश्यक होता है | पशु चिकित्सक को अच्छे परीणामों के लिए पशु का पोस्टमार्टम करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है |
पोस्टमार्टम से पहले –
1. सुनिश्चित कर लें कि पशु मर चुका है |
2. पशु के मालिक से पोस्टमार्टम हेतू लिखित सहमति पत्र अवश्य लें |
3. वेट्रो लीगल केस में सक्षम अधिकारी (इंस्पेक्टर/मजिस्ट्रेट) से अनुरोध पत्र प्राप्त करें |
4. शव जो पूरी तरह सड चुका हो तथा जिसके अंग गल चुके हों का पोस्टमार्टम ना करें |
5. एंथ्रेक्स रोग से मृत पशु का पोस्टमार्टम ना करें |
6 पशु अनुसूचित या संकटग्रस्त प्रजाती का है तो इसकी सूचना संबंधित अधिकारीयों को दें |
7. पशु की पहचान से संबंधित सभी जानकारीयाँ जैसे, पशु की प्रजाति, नस्ल, टैग नंबर, कलर, ब्रीड, ऐज, सेक्स, लेंथ, हाइट, सींगों के बीच की दूरी तथा सूचना देने वाले का नाम, पता, केस हिस्ट्री , मौत का संभावित समय और पोस्टमार्टम की दिनांक वा समय पोस्टमार्टम रिकॉर्ड फार्म में दर्ज करें |
8. संक्रमण से बचने हेतु एप्रन, ग्लोव्स, कैप और मास्क पहन कर ही पोस्टमार्टम करें |
9. शव के टुकड़ों का पोस्टमार्टम ना करें, पूरा शव उपलब्ध हो तब ही पोस्टमार्टम करें |
10. पोस्टमार्टम हमेशा दिन के उजाले में ही करें, रात के समय लाइट में पोस्टमार्टम ना करें |
11. पोस्टमार्टम स्थल पर लाने से पूर्व पशु के सभी नेसर्गिक छिद्रों को रुई से पैक कर दें |
पोस्टमार्टम के दौरान
पोस्टमार्टम के दौरान पशु के शरीर के निम्नलिखित भागों में पाये जाने वाले परीवार्तनों की जाँच कर उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दर्ज करें |
1. External appearance
2. Subcutaneous tissue and musculature
3. General observations after opening the carcass
4. Respiratory system
5. Cardiovascular system
6. Digestive system
7. Urinary system
8. Genital system
9. Immune system
10. Nervous system
11. Miscellaneous observations
12. Post-mortem diagnosis
पोस्टमार्टम के पश्चात
पोस्टमार्टम के पश्चात पशु के शव का विधिवत निस्तारण सुनिश्चित करना पशु चिकत्सक की जिम्मेदारी है | पशु के शव का निस्तारण 2 तरह से किया जा सकता है, गड्ढे में गाड़ कर या जला कर |
1. यदि पशु के शव का निस्तारण गाड़ कर कर रहे हैं तो ध्यान रखें की, पशु को गाड़े जाने वाले स्थल की दूरी पेय जल श्रोत या मानव आवास क्षेत्र से कम से कम 250 मीटर होनी चाहिये | गड्ढे में नीचे 5 cm चूने की परत बिछाएं फिर पशु का शव रखें, उसके पश्चात उपर से फिर 5 cm चूने की परत बिछाएं तत्पश्चात गड्ढे को 1 मीटर तक मिट्टी से भर दें | ध्यान रखें की गड्ढे का आकार पशु के आकार से बड़ा हो जिससे पशु का कोई भी अंग गड्ढे से बहार न निकले |
2. यदि पशु के शव का निस्तारण जला कर (भस्मीकरण) कर रहे हैं तो सुनिश्चित करें की, पशु का शव पूरी तरह जल कर राख हो जाये | शव को अधजला न छोड़ें | ध्यान रखें की, पशु भस्मीकरण स्थल की दूरी पेय जल श्रोत या मानव आवास क्षेत्र से कम से कम 250 मीटर होनी चाहिये |
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