स्वच्छ दूध उत्पादन हेतु प्रबंधन एवं आहार नीति

Pashu Sandesh, 17 May 2022

डॉ. जयेश व्यास1, डॉ. नरेन्द्र सिंह1, डॉ. देवेन्द्र सिंह2, डॉ. आशीष चोपड़ा3

1टीचिंग एसोसिएट, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर 

2टीचिंग एसोसिएट, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, नवानिया, वल्लभनगर, उदयपुर 

3वरिष्ठ वैज्ञानिक, भा. कृ. अनु. .- केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, शुष्क क्षेत्रीय परिसर, बीछवाल, बीकानेर    

भारत, विश्व में दूध उत्पादन में प्रथम स्थान रखता है। भारत मे विश्व के कुल दूध उत्पादन का 20 % दूध उत्पादित होता है। भारत में दूध का वार्षिक उत्पादन 198.44 मिलियन टन है (2020-21) जिसमें पिछले साल की तुलना में 5.69 % की वार्षिक बढ़ोतरी हुई है। देश में दूध की प्रतिव्यक्ति दूध उपलब्धता 1990-91 में प्रति दिन 176 ग्राम थी जो 2020-21 में बढ़कर 406 ग्राम प्रतिदिन हो गई है । 

स्वच्छ दूध - स्वस्थ दुधारू पशु से आने वाला दूध, जिसका सामान्य स्वाद होता है, जिसमें बैक्टीरिया की अनुमेय सीमा होती है और जो अनिवार्य रूप से मिलावट, रोगजनकों, विभिन्न विषाक्त पदार्थों, असामान्य अवशेषों, प्रदूषकों और मेटाबोलाइट्स से मुक्त होता है, ऐसा दूध स्वच्छ दूध कहलाता है। स्वच्छ दूध उत्पादन, प्रतिबंधित प्रक्रियाओं का एक प्रक्रम होता है जो पशु स्वास्थ्य को बीमारियों से मुक्त रखने में मदद करता है, पशु की उत्पादकता के साथ समझौता किए बिना सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले दूध प्राप्त करने के लिए प्रत्येक पशु की उचित देखभाल करता है।

  • स्वच्छ दूध उत्पादन के उद्देश्य: -

1. दूध से फैलने वाली ज़ूनोसिस बीमारियाँ जैसे: तपेदिक (TB), क्यू- बुखार, ब्रुसेलोसिस की रोकथाम करना ।

2. संक्रामक रोगों जैसे: टाइफाइड, डिप्थीरिया की रोकथाम करना।

3. कीटनाशकों, एंटीबायोटिक जैसे रासायनिक अवशेषों के कारण होने वाले शारीरिक खतरों की रोकथाम करना ।

4. जानबूझकर की जाने वाली मिलावट को रोकना ।

  • दूध के दूषित होने के लिए जिम्मेदार कारक: -

1. आंतरिक कारक: -

(i) सूजनयुक्तथन (ii) प्रारंभमेंआनेवालादूध 

2. बाह्य कारक: -

(i) जानवरकीत्वचाकीसफाई  (ii) थनों की सफाई 

(iii) दूधदोहनेवालेकीस्वच्छता  (iv) दूध दोहने के उपकरण और बर्तन 

(v) दूधदोहनेवालीजगहकीसफाई  (vi) दूध दोहने की प्रक्रिया 

(vii) स्वच्छचाराऔरपानी

  • स्वच्छ दूध के उत्पादन से होने वाले लाभ: -

1. दूध जनित रोगों से सुरक्षा ।

2. मानव उपभोग के लिए सुरक्षित ।

3. रख-रखाव बेहतर की गुणवत्ता ।

4. उच्च वाणिज्यिक मूल्य ।

5. अच्छी गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों का उत्पादन ।

6. लंबी दूरी पर परिवहन की आसानी ।

  • स्वच्छ दूध के उत्पादन के लिए प्रबंधन नीति: -

1. आहार प्रबंधन: - अच्छा पोषण दूध की मात्रा और गुणवत्ता को प्रभावित करता है। दूध दोहने के दौरान धूल भरे और बहुत महीन आहार को नहीं देना चाहिए । दुधारू पशु को दूध दोहने के एक घंटे पहले आहार खिला देना चाहिए। दूध दोहने वाली जगह पर साइलेज और गीली फसल के अवशेष नहीं डालने चाहिए क्योंकि इससे दूध में दुर्गंध आ सकती है। पशु चारा, चारा पोषण-विरोधी कारक और विषाक्त पदार्थों से मुक्त होना चाहिए। दुधारू पशुओं के लिए उपयोग किया जाने वाला चारा, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशक, फ्यूमिगेंट, भारी धातुओं आदि से मुक्त होना चाहिए। खनिज या पूरक आहार, आहार के अन्य घटक द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए। विटामिन ई और सेलेनियम युक्त आहार खिलाना चाहिए।  

2. आवास प्रबंधन: - पशु घर हवादार होना चाहिए । ठंड के मौसम या नम या दलदली फर्श में बिस्तर सामग्री जैसे रेत या चूरे की बिछावन होनी चाहिए। पशु घर में दीवार की दरारें भरी होनी चाहिए। जानवरों को इतनी दूरी पर बांधें कि वे एक दूसरे को चाट न सकें। प्रत्येक जानवर को घूमने के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करनी चाहिए। पशु घर में उचित जल निकासी व्यवस्था द्वारा पशु घर के बाहर गड्ढे में पेशाब का संग्रह और अतिरिक्त जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। पशुओं का गोबर एकत्रण करके उसका पशु घर से दूर निपटान करना चाहिए। प्रतिदिन पशु घर की सफाई करनी चाहिए। दूध दोहने से पहले दूध दोहने वाली जगह को पूर्ण रूप से साफ करना चाहिए।

3. स्वास्थ्य प्रबंधन: - दुधारू पशुओं की तपेदिक और ब्रुसेलोसिस रोगों के खिलाफ नियमित रूप से पशु चिकित्सक द्वारा जांच की जानी चाहिए। खुरपका-मुहपका रोग, गलघोंटू रोग और ब्रुसेलोसिस के खिलाफ नियमित रूप से दूध देने वाले पशुओं का टीकाकरण होना चाहिए। संक्रामक रोग से पीड़ित पशुओं को स्वस्थ झुंड से अलग रखना चाहिए। डेयरी फार्म में उपयुक्त सूखी गाय चिकित्सा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। रोगाणुरोधी कारकों के अनुचित या रोगनिरोधी उपयोग को कम से कम किया जाना चाहिए। दूध के मल संदूषण की जांच के लिए थोक दूध टैंक पर कॉलीफॉर्म की गणना नियमित रूप की जानी चाहिए। पशु शरीर के आधार पर जानवरों की छंटनी करनी चाहिए । दूध में कायिक कोशिकाओं की संख्या की गणना के आधार पर थनों की सूजन का पता लगाना चाहिए ।

4. दूध दोहने के बाद की देखभाल: - यदि दूध दोहने के बाद की देखभाल सावधानी से नहीं की जाती है तो स्वच्छ दूध के उत्पादन का लाभ नहीं मिल पाएगा। पशु को दूध दोहने के 15 मिनट बाद तक खड़े रहना चाहिए। दूध की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए, इसे जल्द से जल्द रेफ्रिजरेटर में 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक के तापमान तक ठंडा किया जाना चाहिए। दूध निकालने के बाद इसे जितनी जल्दी ठंडा किया जाता है, उसकी गुणवत्ता उतनी ही बेहतर होती है। दूध दोहने के 2 घंटे के भीतर दूध को ठंडा करने से जीवाणुओं का विकास धीमा पड़ जाता है। उपभोक्ताओं तक दूध का वितरण नियमित होना चाहिए।

  • स्वच्छ और सुरक्षित दूध के उत्पादन में चुनौतियाँ: -

1. किसानों को तकनीकी ज्ञान का अभाव ।

2. भारतीय डेयरी की विशेषता है कि यहाँ अधिकांश उत्पादकों के पास 1-3 दुधारू पशु हैं और एक ग्रामीण आधारित गतिविधियाँ है ।

3. स्वच्छ दूध उत्पादन प्रथाओं को अपनाने की कमी के कारण उत्पादित दूध की गुणवत्ता से समझौता किया जाता है ।

4. विस्तार सेवाओं की कमी के कारण डेयरी किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर डेयरी नवाचारों को नहीं अपनाया जाता है ।

5. भारत में दूध के उत्पादन, प्रसंस्करण, खपत और विपणन का एक अनूठा पैटर्न है जिसकी तुलना किसी भी विकसित देश से नहीं की जा सकती है ।

6. भारत में दूध की मूल्य निर्धारण नीति को नजर अंदाज किया जाना ।

निष्कर्ष: - वर्तमान में स्वच्छ दूध उत्पादन को दूध उत्पादकों द्वारा पूर्ण रूप से नहीं अपनाया गया है । अधिकांश किसानों के पास स्वच्छ दूध उत्पादन प्रणाली के विभिन्न पहलुओं में ज्ञान और अपनाने का मध्यम स्तर है। स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए हमारी प्रबंधन नीति में कई खामियां हैं जिन पर विचार करके उन्हे ठीक करना चाहिए। डेयरी किसानों को स्वच्छ दूध उत्पादन को अपनाने के बारे में समझाने के प्रयास किए जाने चाहिए। क्षेत्र स्तर पर प्रशिक्षण और प्रदर्शन आयोजित करने के माध्यम से स्वच्छ दूध उत्पादन को प्रेरित करना चाहिए। दूषित और कच्चे दूध से जुड़े स्वास्थ्य खतरों की जानकारी जनता तक पहुंचाई जानी चाहिए, ताकि अस्वच्छ रूप से उत्पादित कच्चे दूध के सेवन से बचा जा सके। स्थानीय पशुधन विकास अधिकारियों, पशुधन पर्यवेक्षकों और विस्तार कार्यकर्ताओं को इस ओर प्रयास करना चाहिए। साथ ही स्वच्छ दूध का कुशल तरीके से विपणन अच्छी कीमत पर होना चाहिए।