भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड का पहला वेबिनार सेमिनार आयोजित हुआ-

सैकड़ों पशु प्रेमी शामिल हुए -डॉक्टर बल्लभभाई कथीरियाने कामधेनु दीपावली मनाने का आग्रह किया-  

गिरीश जयंतीलाल शाह ने गौशाला के गोबर द्वारा विभिन्न साज-सामान बना कर स्वाबलंबी बनने का गुर सिखाया

Pashu Sandesh, 19 अक्टूबर 2020

डॉक्टर आर बी चौधरी

केंद्र सरकार के अधीन नवस्थापित गौ संरक्षण संवर्धन के लिए समर्पित संस्था -राष्ट्रीय कामधेनु आयोग अब तक दर्जनों वेविनार सेमिनार आयोजित कर कामधेनु दीपावली का अभियान चला रहा है। इसी क्रम में आयोग के 66वें वेविनार सेमिनार का आयोजन भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड एवं राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया जिसमें सैकड़ों गौशाला प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड,भारत सरकार के अनुसार बोर्ड का यह जीव दया तथा गौ संरक्षण पर पहला कार्यक्रम था जिसमें पशु प्रेमियों और विशेषज्ञों ने खुल  कर भाग लिया। कार्यक्रम में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य एवं राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त संस्था समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश जयंतीलाल शाह तथा  बोर्ड के पशु वैज्ञानिक सदस्य एवं पशु चिकित्सा महाविद्यालय पंतनगर के प्रोफेसर डॉक्टर आर एस चौहान भी वक्ता के रूप में शामिल हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता डॉक्टर वल्लभभाई कथीरिया के संबोधन से आरंभ हुआ। डॉक्टर कथीरिया राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के द्वारा संचालित कामधेनु दीपावली अभियान का परिचय दिया और कहा कि हमारे देश में गोवंशीय पशु दूध देना बंद करने के बाद भी कभी रिटायर नहीं होता ,उसकी अमूल्य सेवाएं जारी रहती है।इस बार की दीपावली पूरे देश में गोबर से बने दीए जलाकर की जाएंगी ताकि चाइनीज़ दिवाली के साज -सामान का पूर्ण बहिष्कार किया जा सके और स्वदेशी वस्तुओं का उत्पादन तथा उपयोग करके हम भारत के प्रधानमंत्री के आवाहन का अनुसरण करने के लिए आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना साकार कर सकें।इस अभियान का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इस उत्पादन श्रृंखला में संलग्न सभी प्रतिभागी लाभान्वित होते हैं।गोबर से बनाए हुए दीये  का लाभ प्रदान करने वाली गौशाला से लेकर दीपक बनाने वाले,पैकिंग करने वाले, बाजार तक पहुंचाने वाले और बेचने वाले सभी को फायदा होगा। साथ ही जो दीपक का प्रयोग करेगा उसको भी फायदा होगा। इतने ही नहीं इससे हमारे पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम को बढ़ावा मिलेगा। डॉक्टर कथीरिया ने बताया कि इस बार दीपावली में 33 करोड़ गोबर के दिए बनाने और प्रज्वलित करने का लक्ष्य रखा गया है। लोगों में जिस तरह का उत्साह दिखाई दे रहा है , ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह लक्ष्य कई गुना बढ़ जाएगा। गोबर के प्रयोग पर उन्होंने कई उदाहरण पेश किए और बताया कि इससे स्वाबलंबी बनाते हुए युवाओं, महिलाओं और बेरोजगार लोगों को रोजगार देने में काफी मदद मिलेगी।

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड की ओर से स्वाबलंबी गौशाला संचालन पर बोलते हुए बोर्ड के सदस्य एवं समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश  जयंतीलाल शाह ने बताया कि गौशाला के लिए चार आधारभूत संसाधनों की जरूरत होती है वह है पानी(बरसात का संकलित जल), गोचर या चारागाह ,छाया के लिए देसी वृक्ष और प्राकृतिक आश्रय। यदि गौशाला संचालन के लिए यह मूलभूत संसाधन उपलब्ध हो जाते हैं तो गौशाला फतेह स्वावलंबी बन जाएगी। उन्होंने बताया कि गाय सिर्फ गाय नहीं है बल्कि गो-धन या गो-संपदा है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि जब तक गाय दूध देती है तो लोग उसका ख्याल रखते हैं अन्यथा उसे सड़क पर लावारिस छोड़ दिया जाता है। शहरों में यह दशा अत्यंत दुखद है क्योंकि जो गाय दूध देती है वह भी सड़क पर भटकती रहती है।शाह ने यह भी बताया कि वह पिछले तकरीबन 2 दशकों से गौशालाओं के स्वाबलंबनपर काम कर रहे हैं और उन्होंने पाया कि दान पर संचालित गौशालाये हमेशा अपनी शक्ति को दान एकत्र करने पर केंद्रित रखते हैंना की गौशाला पर सृजनात्मक कार्यों पर ध्यान देते। अधिकांश गौशालाओं को यह जानकारी नहीं है कि निराश्रित गोवंश के माध्यम से गौशाला को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है। उन्होंने अपने किए गए फील्ड वर्क की चर्चा करते हुए कहा कि गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र मैं उन्होंने स्वावलंबन के लिए कई सफल कार्यक्रम संचालित किए हैं जैसे दत्तक योजना(पशु गोदनामा कार्यक्रम),किसान कार्ड(गोबर दान कर चारा प्राप्त करने का कार्यक्रम),गोमय उत्पादों का निर्माण एवं विक्रय (पंचगव्य औषधीय तथा कीटनाशक इत्यादि का निर्माण),गौशालापर कम्युनिटी सेंटर का संचालन(सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने हेतु) , साथ ही गोचर भूमि के विकास कर चरागाह के माध्यम से गौशाला को स्वाबलंबी बनाया जा रहा है। उन्होंने आगे यह भी बताया कि पिछले वर्षों में तकरीबन 10 हजार बीघे बबूल के जंगल को बेहतर गोचर जमीन में तब्दील किया गया है जिससे 44 गांव लाभान्वित हुए हैं। साथ ही साथ राजस्थान के 16 जनपदों में तालाब खोदकर गर्मी में पानी की आवश्यकता पूरी करने की व्यवस्था कर ली गई है।हालांकि , जल संरक्षण का कार्य आज भी तेजी से चल रहा है।

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड तथा राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के समन्वित आज के वेबिनार सेमिनार में बोर्ड के सदस्य एवं वेटरनरी कॉलेज पंतनगर के प्रोफेसर डॉ आर यस चौहान ने गोमूत्र के  कई व्यवहारिक अनुसंधान के बारे में बताया और कहा कि अब तक वह 28 ऐसे अनुसंधान कर चुके हैं जिसका ताल्लुकात गोमूत्र के औषधीय उपयोग से है क्योंकि गोमूत्र के औषधीय गुणवत्ता को देखते हुए आज के जीवन में कैंसर से लेकर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी को परिष्कृत गोमूत्र का प्रयोग करना चाहिए जिससे 20% से लेकर 104% तक इम्युनिटी कायम रखें जा सकती है। जब भी वह मूत्र कासेवन करें तो उसमें तुलसी का अर्क के प्रयोग किया जाए तो बॉडी इम्युनिटी बढ़ती है।गोमूत्र से कैंसर रोगियों की चिकित्सा में प्रयुक्त दवाओं के साथ बॉयोइन्हैंसर जैसा काम करता है। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सचिव डॉक्टर एस के दत्ता ने अपील किया कि सभी पशु प्रेमी कामधेनु दिवाली अभियान में सहयोग करें।उन्होंने बताया कि  इस तरह के कार्यक्रम अब आगे भी जारी रखे जाएंगे। कार्यक्रम का संचालन किया पशु प्रेमी एवं बोर्ड के सब-कमेटी सदस्य मित्तल खेतानी ने।

 

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