मांसाहार छोड़िए शाकाहार अपनाइए: गिरीश जयंतीलाल शाह

विश्वव्यापी   भयानक महामारियो की जड़  मांसाहार है

Pashu Sandesh, राजकोट (गुजरात); 4 दिसंबर 2020 : डॉ. आर बी चौधरी

कोविड-19  के महामारी की  काली छाया  जब मंडराना आरंभ हुआ  तो दुनिया भर के  विशेषज्ञ -वैज्ञानिक  और  अनुसंधानकर्ताओं की  हुजूम  इसके कारणों के पता लगाने और इसके मूल उत्पत्ति का कारण ढूंढने मैं दिन रात एक कर दिया था।  अंत में  जानकारी मैं यह आया कि  चीन में  जिंदा पशुओं का तत्काल वध कर  मांस बेचने वाले  कुख्यात बुहान वेटमार्केट का मरीज   पेशेंट  जीरो('पेशेंट ज़ीरो' या 'इंडेक्स केस' का अर्थ होता है किसी वायरस या बैक्टीरिया की बीमारी से संक्रमित होने वाला पहला व्यक्ति)है। इसके बाद का नजारा सभी को पता है -बुहान के वेटमार्केट  का कोरोनावायरस (कोविड-19) के भयावह स्वरूप से सारी दुनिया तबाह हो गई और आज जो उसका आतंक  फैला ,  उसे सब लोग देख रहे हैं और भुगत भी रहे हैं । इसी विषय पर राजकोट स्थित  करुणा फाउंडेशन द्वारा आयोजित  शाकाहार संगोष्ठी में  आज समस्त महाजन के  मैनेजिंग ट्रस्टी,  गिरीश जयंतीलाल शाह  ने बताया कि  मांसाहार  की अंधी दौड़ में  शामिल चीन  से प्रसारित कोविड-19 की बीमारी से सारी दुनिया तबाह जारी है फिर भी लोग शाकाहार का मतलब नहीं समझ पा रहे हैं।  अपने व्याख्यान में उन्होंने मांसाहार को छोड़कर शाकाहार अपनाने की अपील की और कहा कि  दुनिया को बचाने के लिए शाकाहारी होना पड़ेगा ।

गिरीश जयंतीलाल शाह पेशे से  प्रख्यात हीरा व्यवसाई है लेकिन  व्यवसाई कम संरक्षणवादी  चिंतक, पर्यावरण विशेषज्ञ एवं  पारंपरिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था के अर्थशास्त्री एवं पशु कल्याण के  लोकप्रिय विज्ञानवेत्ता ज्यादे हैं। इसी में उनकी दिनचर्या शुरू होती है और इसी में शाम भी ।  शाह के जब  ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए गो-विज्ञान   के संभाषण प्रस्तुत करते हैं तो  सैकड़ों की झुंड में  बैठे हुए  सीनियर सिटीजन - गौशाला प्रतिनिधि  मंत्रमुग्ध  उनकी  तर्कपूर्ण-संवाद को सुनते रहते हैं ।  आज का संवाद  वैसे तो शाकाहार का विषय था लेकिन  गिरीश जयंतीलाल शाह जी ने  शाकाहार के  विज्ञान को  समझाने के लिए  गो विज्ञान की विश्लेषण पूर्ण परिभाषा बताइ  और कहा कि   गाय एक ऐसा प्राणी है  जिसमें  सभी जीव - जंतुओं को पोषित करने की अपार क्षमता है ।गाय हत्या जीव हत्या है - जीव - जंतुओं की हत्या करने से  पृथ्वी और प्रकृति का  संरक्षण नहीं हो सकता  लेकिन दुर्भाग्य की बात है  ग्रीनहाउस गैसेज  की  उलाहना देते हुए लोग मवेशियों को दोषी बनाते हैं । हमारी सरकारें  जीव हत्या कर  मांस बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देती है और दूसरी तरफ  शुद्ध हवा -पानी और  भोजन प्राप्त करने की  अवैज्ञानिक  नीतियां और योजनाएं चलाई जाती है तो भला तबाही को कौन रोक सकता है।

आगे उन्होंने आज के व्याख्यान यह भी बताया कि एक गाय घास-फूस खाकर अपने जीवन में 25-30 हजार लीटर दूध के अलावा कम से कम 70-80 हजार किलोग्राम गोबर प्रदान करती है जिससे हमारी धरती को बहुमूल्य पोषण मिलता है क्योंकि इतने मात्रा में संतुलित पोषक तत्व से कम से कम 30 से 40 एकड़ जमीन को रासायनिक खाद से मुक्त मुनाफा प्रदान करने वाली उन्नत खेती की जा सकती है । जब से धरती के गोबर जैसे पोषण मिलने के क्रिया में बाधा आ गई तब से अनाज उत्पादन के लिए खेती की मिट्टी से लेकर हवा -पानी सभी कुछ बर्बाद हो गया । इसका नतीजा आज सभी के सामने है। इतना सब कुछ होते हुए पश्चिमी देशों की भारती हमारे देश में भी पशुओं के लिए कत्लखाने,उनके मार्च के बिक्री के लिए विशेष सब्सिडी,नई -नई योजनाएं लाई जा रही हैं लेकिन जानलेवा बीमारियों का सिलसिला उग्र होता जा रहा है , चाहे वह कैंसर हो अथवा कोविड-19 या कोई भी महामारी । उन्होंने महामारियो का जिक्र करते हुए बताया कि चाहे वह महामारी एचआईवी हो या एवियन फ्लू , सार्स, स्वाइन फ्लू ,मेड कॉउ डिजीज,निपाह वायरस,मेर्स या बीएसई-बोवाइन स्पंजिफॉर्म इनसिफएलोपैथी । सभी बीमारियां मांस भक्षण का नतीजा है । मांस के माध्यम से आती हैं और दुनियाभर को तबाह करके सीख दे रही हैं,लेकिन हम बदलना नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर है अकेलेअपने ही नहीं दुनिया को बचाने के लिए शाकाहारी जीवन अपनाया जाए ।

करुणा फाउंडेशन राजकोट द्वारा आयोजित आज के व्याख्यानमाला में लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता एवं संत अच्युत गोपाल दास ने जहां शाकाहार के विज्ञान को बड़े ही सरल ढंग से बताया वही इसके अर्थशास्त्र की व्याख्या कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया । डॉ.  निशिता दीक्षित जो जाने-माने संस्था - जन उर्जा मंच की सेक्रेटरी तथा अति लोकप्रिय समीक्षक एवं वैज्ञानिक विचारों की  विश्लेषण है,ने बताया कि सनातन परंपराओं की अस्मिता का रक्षा करना आज की बहुत बड़ी जरूरत है। आज के व्याख्यान कार्यक्रम में गुजरात की बिटिया(12) जो एक मोटिवेशनल यंगेस्टस्पीकर है, ने सामाजिक संचेतना पर अपना प्रभावशाली व्याख्यान दिया । आज के आयोजन में चार चांद लगाते हुए भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के कार्यकारिणी समिति के सदस्य ,चर्चित पत्रकार और सृजनशील लेखक मित्तल खेतानी ने अपने मनमोहक प्रस्तुति से जहां श्रोताओं का मन मोह लिया वही सबको कार्यक्रम के अंत तक एक सूत्र में बांधे रखा ।