8 घंटे की मशक्कत के बाद कंट्रोल में आया गजराज
पशु संदेश, भोपाल।
आप नींद में हो और अचानक भूकंप का अहसास हो तो चौक जरूर जाएगे, लेकिन नींद खुलते ही नजर किसी जंगली हाथी पर पड़े तो होश उडऩा तो तय ही है। ऐसा ही एक माजरा सिलीगुड़ी में हुआ, जहां जंगल से मेन सड़क से हाथी शहर तक पहुंच गया। गलती से जंगली हाथी अचानक जब शहर में पहुंचा तो शहरी माहौल देखकर उसका दिमाग ठनक गया। इसके बाद गजराज ने शहर में जमकर उत्पात मचाया। शोरूम के गेट को तोड़कर हाथी ने जहां नई दर्जनों बाइक को रौंद दिया, वहीं कुछ को फुटबाल बना दिया। गजराज ने दर्जनों मकानों को भी तहस-नहस किया था। 8 घंटे तक चले इस उत्पात को खत्म करने वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पसीना छोड़ दिया।
जब थियेटर के सामने आए गजराज
सिलीगुड़ी के बैकुंठपुर फॉरेस्ट डिवीजन के फाफड़ी जंगल से बीते दिनों झुंड से बिछड़कर एक हाथी शहर में आ गया था। गजराज के पहले दर्शन भक्तिनगर थाना क्षेत्र के ईस्टर्न बायपास पर लोगों ने किए। स्थानीय लोगों का कहना था कि हाथी अपने झुंड तक पहुंचने के लिए तेज रफ्तार में चल रहा था। देखते ही देखते वह हार्ट ऑफ सिटी, सेवक रोड होता हुआ पायल थियेटर तक पहुंच गया। यहां थियेटर के सामने खड़ी बाइक देख गजराज नाराज हो गए, फिर क्या था गजराज ने कुछ बाइक पैरों तले रौंद दी और कुछ को फुटबाल की तरह हवा में उड़ा दिया।
हीरो शोरूम में घुसे गजराज
सुबह से ही गजराज का तांडव किसी लाइव टेलेकास्ट से कम नहीं था। भीड़ गजराज का तमाशा देख रही थी, वहीं भीड़ को देखकर गुस्साए गजराज का तमाशा बढ़ता ही जा रहा था। स्थानीय पुलिस और वन अमला भी पहुंच गया था, लेकिन किसी को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिरकार गजराज को कैसे मनाया जाए। बस कुछ ही पल बाद गजराज भीड़ से नाराज होकर थियेटर के सामने हीरो शोरूम का दरवाजा तोड़कर स्टोर रूम में घुस आए। यहां भी गजराज ने खड़ी हीरो कंपनी की दर्जनों बाइक पर अपना गुस्सा फूका।
ऐसे हुए कंट्रोल में गजराज
गजराज को कंट्रोल करने के लिए वन विभाग की मदद् पुलिस को भी करनी पड़ी। दरअसल, भीड़ बढ़ते ही जा रही थी। इसके चलते गजराज का गुस्सा भी बढ़ रहा था। वन विभाग ने भीड़ से गुजारिश की थी कि वे ऑपरेशन गजराज को पूरा करने सहयोग करें और भीड़ न बढ़ाएं, लेकिन तमाशबीन नहीं हटें। इसके बाद पुलिस को लाठी चार्ज करते हुए भीड़ को भगाना पड़ा। इधर, वन विभाग ने भी गनशॉट पर लेकर बेहोशी का इंजेक्शन गजराज को दिया, तब जाकर उनका गुस्सा शांत हो सका। नशे में होते ही गजराज को क्रेन की मदद् से ट्रक में लादकर सुकना वन्य प्राणी विभाग परिसर में स्वास्थ्य परीक्षण के बाद जंगल छोड़ दिया गया।
आखिरकार शहर का रुख क्यों कर रहे जानवार
जंगलों की अवैध रूप से कटाई होने और जंगलों में रिहायसी क्षेत्र को जोडऩे से वन्यप्राणी भूले भटके जंगल से शहर की तरफ आ जाते हैं। वन्य प्राणी का खतरा शहर के लोगों को कम होता है, लेकिन शहरी लोगों की गुस्सा का शिकार कई बार वन्य प्राणी स्वयं ही हो जाते हैं। अक्सर गांव में इस तरह की घटनाएं देखी जाती है कि जंगली सुअर का शिकार किया गया। जंगली गाय, मोर, खरगोश समेत अन्य वन्यप्राणियों की शिकार की बात आम हो गई है।