पशु संदेश,29th October 2019
विकाश कुमार, चन्दन कुमार राय
एंटीबायोटिक उपयोग और इसके वैश्विक परिदृश्य
एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2010 से 2030 तक कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं की खपत दुनिया भर में 67 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) देशों द्वारा इस अवधि के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग 19 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावनाएं जताई जा रही हैं, इन देशों में पशुपालन क्षेत्र में वर्ष 2010 से 2030 तक एंटीबायोटिक दवाओं की खपत दोगुनी हो जाएगी। भारत में निम्न स्तर और नकली दवाएं बड़ी मात्रा में आयात होती हैं, जिनका चीन और थाईलैंड जैसे अन्य देशों में उत्पादन होता है।
एकीकृत स्वास्थ्य दृष्टिकोण
चूंकि पिछले दस वर्षों में पशु, मानव, और पर्यावरण की दिशा में तालमेल स्थापित करने जैसे बहुउद्देशीय प्रयासों में काफी बढ़ोतरी हुई है, जो संधारणीय विकास के दृष्टिकोण से काफी जरुरी है। इन परस्पर जुड़े हितों ने मनुष्यों और जानवरों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए संकलित स्वास्थ्य की पहल की है । एकीकृत स्वास्थ्य दृष्टिकोण के संबंधित विषयों के अंतरापृष्ठ में उद्देश्य को निर्धारित कर सभी हितधारकों को शामिल करना होगा, जिनका एक-जुट प्रयास और सामंजस्य जरुरी है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी को नियंत्रित करने के लिए पशु चिकित्सकों, चिकित्सकों और महामारीविदों की अंतर्दृष्टि का लाभ लेकर, एंटीबायोटिक प्रतिरोधों के खतरे से निपटने के लिए सुनियोजित प्रणाली सुनिश्चित की जा सकती है।
मानव और पशु स्वास्थ्य के बारे में विसंगतिया और अधूरी समझ
पशु स्वास्थ्य और मानव स्वास्थ्यके लिए काम करने वाले हितधारकों और अन्य मध्यवर्ती संस्थाएँ के बीच भागीदारी को मजबूत करने की आवश्यकता है। इस सक्रिय सहयोग से विकासशील देशों में मनुष्यों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण मृत्यु की संभावित संख्या में कमी लायी जा सकती है। नैदानिक दिशानिर्देशों की कमी दोनों मनुष्य एवं पशुओं के रोगोपचार में मौजूद है, यहाँ जानवरों में एंटीबायोटिक उपयोग के पर हमें परस्पर समझ की सख्त आवश्यकता है क्योंकि यह मानवीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावकारीता को बहाल करने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।रोग होने से पहले उसके निरोध में एंटीबायोटिक का उपयोग कम या प्रतिबंधित किया जाना चाहिए तथा जैव सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु प्रयास करना चाहिए। विकासशील देशों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध में लगातार बढ़ोतरी का महत्वपूर्ण कारण लोगों में जागरूकता में कमी है। यह संपादन, व्यवहार्य और व्यावसायिक रूप से लोकप्रिय विषय अभी तक नहीं बन पाया है। परन्तु देश-विदेश में इस विषय पर जागरूकता हेतु अभियान और जन-कल्याण में कार्य हो रहे हैं। पशु स्वास्थ्य और मानव स्वास्थ्य पर काम कर रहे क्षेत्र के पेशेवर एकीकृत एवं संयोजित प्रयास पहले से ही विवादास्पद रहे हैं, इसलिए इन विभाजनकारी मुद्दों पर आम सहमति की आवश्यकता है।
एंटीबायोटिक दवाओं के विकल्प
एक तरफ दवा उद्योग के विकास के कारण दवाओं का अँधा-धुंध प्रयोग हो रहा है, संक्रमणों में तेजी आ रही है जिसके कारण उपयुक्त दवाओं का उसी स्तर से विकास होना जरुरी है। एंटीबायोटिक संरक्षण का उद्देश्य उसकी उपचारक क्षमता को बचाने हेतु इसका न्यूनतम उपयोग को बढ़ावा देना हो सकता है। भविष्य में एंटीबायोटिक दवाओं के लगातार और अँधा-धुंद प्रयोग को कम करने के लिए टीकाकरण को अप्रत्यक्ष चुनाव माना जा सकता है। हितधारकों को जानवरों और मनुष्यों, दोनों में एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक मात्रा में प्रयोग को कम करने के लिए प्राथमिकता देना चाहिए क्यों की एंटीबायोटिक की कुछ श्रेणियां परस्पर मनुष्य एवं पशुओं में सामान हैं।
दुनियाभर में कुछ प्रयास
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने के लिए नई राष्ट्रीय रणनीति तैयार करने पर ध्यान दिया। नतीजतन, अमेरिकी सरकार ने एक बहुपयोगी एकीकृत स्वास्थ्य दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जिसका उद्देश्य मानव और पशु स्वास्थ्य के साथ ही पर्यावरण क्षेत्रों के बीच समन्वय करना है। सदस्य देशों पर यूरोपीय संघ द्वारा सदस्य देशों में के एंटीबायोटिक प्रतिरोध को नियंत्रित करने के लिए बहुराष्ट्रीय प्रासंगिक मुद्दों पर बल दिया गया।
दृष्टिकोण का महत्तव
यह दृष्टिकोण संक्रमण तथा बीमारी को जल्द ठीक करने, उसके उपचार की लागत कम करने, खाद्य सुरक्षा में सुधार लाने, और पशुधन और मानव के जीवन को रोगों से बचाने में उपयोगी सिद्ध होगा। यह पर्यावरण के साथ पशुओं और जानवरों के स्वास्थ्य एवं विभिन्न प्रकार के पारस्परिक संबंधों को जोड़ता है। इसका उद्देश्य रोगों की आवृति में कमी लाना है, ना कि उनका उपचार करने तक सिमित रहना। मनुष्यों में 10 में से 6 ससंक्रमक बीमारियाँ पशुओं के माध्यम से फैलती है, जैसे रैबीज, ब्रूसीलोसिस, साल्मोनेला इन्फेक्शन, इत्यादि। कुछ पशु इन बिमारियों के प्रति मनुष्यों से ज्यादा संवेदनशील हैं, अतः वे इन बिमारियों के फैलने की अग्रिम सूचक और चेतावनी के रूप में काम करते हैं, जो की एकीकृत स्वस्थ्य के महत्व को रेखांकित करता है। मनुष्य में डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है, यह बिल्ल्लियों में भी उन मध्य आयु-वर्ग में पाया जाता है जो मोटे और सुस्त है यह बिल्लीयों में भी उसी कारण से बढ़ रहा है जो मनुष्यों में इस बीमारी के लिए उत्तरदायी हैं। अतः एकीकृत स्वास्थय दृष्टिकोण मनुष्य और पशुओं के परस्पर परिदृश्य का ध्यान रखता है, ताकि सभी का हित हो।
एकीकृत स्वास्थ्य दृष्टिकोण की चुनौतियां एवं उद्देश्य
यह दृष्टिकोण कई उभरते संक्रामक रोगों के पीछे आर्थिक कारणों को समझने और उनके निवारण करने में असमर्थ है। पर्यावरण, पशु विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के प्रयासों बीच अंतर को तथा एक-जुट होकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। विभिन्न पेशेवरों, विभिन्न प्राथमिकताओं और वित्तपोषण वाले विभिन्न संस्थानों और अन्य हितधारकों की सम्मिलित प्रयास जरूरत है। राष्ट्रीय स्तर पर रोग निगरानी, नियंत्रण और एंटीबायोटिक प्रतिरोध की रोकथाम करने के लिए मिशन और कल्याणकारी संस्थान कि अत्यधिक आवशयक्ता हैं। बहुत कम योग्य पशु चिकित्सक इस क्षेत्र के पेशेवरों में शामिल हैं, जो कि पशु स्वास्थ्य और नैतिक मूल्यों को अपनी आर्थिक उन्नति पर प्राथमिकता देते हैं। 03 नवम्बर को एकीकृत स्वस्थ्य दिवस घोषित किया गया है ताकि लोगो को इस दृष्टिकोण के प्रति जागरूक किया जा सके।
निष्कर्ष
एकीकृत स्वस्थ्य परिदृश्य में पशु-चिकित्सकों की भूमिका अग्रणी है क्यूंकि उचित एंटीबायोटिक का ऊचित मात्र का निर्धारण उनके द्वारा की जानी चाहिए। डेरी पशुओं द्वारा दुग्ध- उत्पादन, परिवहन, प्रसंस्करण एवं भण्डारण, सुपरमार्केट में विक्रय, कसाई-खाना द्वारा मांस विक्रय, इन सभी माध्यम द्वारा एंटीबायोटिक प्रतिरोध, रासायनिक पदार्थ तथा प्रतिरोधी जीन हमारे खाद्य-श्रंखला में आते हैं, तथा अप्रत्यक्ष रूप से हमें बिमारियों के प्रति संवेदनशील बनाते हैं। अतः इन परस्पर जुड़े कारकों को समझ कर मनुष्य- पशुओं के स्वाथ्य को ध्यान में रख कर एंटीबायोटिक का कम-से कम प्रयोग करना चाहिए।
विकाश कुमार, चन्दन कुमार राय
रास्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल