मुर्गियों में वात रोग (गाउट)

Pashu Sandesh, 16 Jan 2023

डॉ.प्रियंका प्रजापति, डॉ. दीपक प्रजापति, डॉ.दीपक गांगिल, डॉ.जितेन्द्र यादव

पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय महू इंदौर मध्य प्रदेश

आधुनिक युग में पोल्ट्री में बेहतर मास और बेहतर अंडे के उत्पादन हेतु पोल्ट्री पक्षियों की अनुवांशिक क्षमता में कई संशोधन किए गए हैं पक्षियों की इस अनुवांशिक क्षमता से अधिक से अधिक लाभ कमाने हेतु इन पक्षियों के पोषण प्रबंधन एवं स्वास्थ्य  जैसे कारको का विशेष ध्यान रखना होता है पक्षियों के शरीर में चयापचय  संबंधी विकार असामान्य जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं एवं गुर्दे, यकृत, ह्रदय एवं फेफड़े जैसे महत्वपूर्ण अंगों के अनुचित रूप से कार्य करने के कारण भी उत्पन्न हो सकते हैं । गाउट (वातरोग) इन्हीं में से एक विकार है जो कि गुर्दे के असामान्य रूप से कार्य करने के कारण होता है, क्योंकि गुर्दा शरीर के तरल पदार्थों की रासायनिक संरचना को बनाए रखने में सहायक होता है यह अपशिष्ट एवं विषाक्त पदार्थों को शरीर से हटाने का कार्य करता है किंतु यदि गुर्दा असामान्य रूप से कार्य करता है तो यह पदार्थ शरीर में एकत्रित हो जाते हैं जो गाउट उत्पन्न करते हैं ।

गाउट के प्रकार 

  1. विसरल (अंतरांगी) गाउट- इस तरह के गाउट में यूरिक एसिड आंतरिक अंगों जैसे यकृत, ह्रदय,आंत, गुर्दे के ऊपर जमा हो जाते है, और चाक की तरह एक सफेद परत बना लेते हैं । यह कम उम्र के पक्षियों में अधिक देखने को मिलता है, इससे पक्षियों में लगभग 15 से 20% तक मृत्यु हो जाती है ।
  2. आर्टिकुलर गाउट- इस तरह के गाउट में यूरिक एसिड जोड़ों, स्नायुबंधन (लिगामेंट) और कण्डरा (टेंडन) में जमा हो जाता है जिससे पक्षी लंगड़ा हो जाता है यह गाउट वंशानुगत भी हो सकता है और बहुत कम देखने को मिलता है । 

लक्षण 

  1. शक्तिहीनता
  2. फ़ीड का सेवन कम करना
  3. क्षीणता
  4. लंगड़ापन 
  5. नम वेंट
  6. आंत्रशोथ
  7. आंतरिक अंगों में यूरिक एसिड का सफेद जमाव

  गाउट के कारण 

  1. मुर्गी के दाने  में विटामिन डी 3 की अधिक मात्रा 
  2. मुर्गी के दाने में विटामिन ए की कमी
  3. मुर्गी के दाने में क्रूड प्रोटीन की मात्रा 30% से अधिक होने पर
  4. कुछ वायरस जनित रोग जैसे इनफेक्शियस ब्रोंकाइटिस(IB) ,एवियन एस्ट्रो वायरस इनफेक्शन , इनफेक्शियस बर्सल डिसीज और मेरिक्स डिसीज
  5. मुर्गी के दाने में फफूंद द्वारा उत्पन्न विषाक्त पदार्थ जैसे ओकराटॉक्सिन, सिट्रिनिन का होना
  6. ब्रूडिंग टेंपरेचर का ठीक ना होना
  7. पानी के बर्तनों का पर्याप्त मात्रा में ना होना
  8. पानी का pH अत्याधिक कम होना
  9. एंटीबायोटिक जैसे सल्फोनामाइड का अधिक मात्रा में पक्षियों में उपयोग करना

 गाउट की रोकथाम 

  1. मुर्गियों का विषाणु जनित रोग इनफेक्शियस ब्रोंकाइटिस(IB) ,एवियन एस्ट्रो वायरस इनफेक्शन , इनफेक्शियस बर्सल डिसीज और मेरिक्स डिसीज के प्रति टीकाकरण करवाना चाहिए ताकि मुर्गियों में गाउट ना हो सके
  2. मुर्गी के दाने में नमी कम होना ताकि उसमें फफूंद उत्पन्न ना हो और फफूंद द्वारा उत्पन्न विषाक्त पदार्थ मुर्गियों के गुर्दों को खराब ना करें 
  3. मुर्गी के दाने में विषाक्त पदार्थों को बांधने वाले रासायनिक पदार्थों को मिश्रित करना चाहिए
  4. कम मात्रा में एंटीबायोटिक और रासायनिक पदार्थों का उपयोग करना चाहिए
  5. पक्षियों को संतुलित आहार प्रदान करना चाहिए जिसमें कैलशियम, फास्फोरस ,सोडियम ,विटामिन ए ,विटामिन डी की उचित मात्रा हो
  6. पक्षियों के लिए लगाए जाने वाले पानी के बर्तन उचित मात्रा में होना चाहिए
  7. पक्षियों को गर्मियों के दिनों में ठंडा पानी तथा ठंड के दिनों में गुनगुना पानी प्रदान करना चाहिए
  8. यूरिन अम्लकारक जैसे विनेगर, पोटेशियम क्लोराइड ,अमोनियम क्लोराइड, अमोनियम सल्फेट आदि का फीड और पानी के साथ उपयोग करना चाहिए
  9. उपचार हेतु डाईयूरेटीक जैसे फ्यूरोसामाइड, मैग्नीशियम सल्फेट आदि का उपयोग करना चाहिए