जैविक पशुपालन – गुणवत्ता के लिए उत्पादन
Pashu Sandesh, 29 June 2022
डॉ. गौरव कुमार बंसल
(टीचिंग एसोसिएट, सी.वी.ए.एस, नवानिया)
जैविक पशुपालन कृषि से अंर्तसंबंधित, पारिस्थितिकी मैत्रिक एक ऐसा प्रबंधन है जिसमें पशुओं को जो भी चारा व दाना खिलाये जाये वो सभी जैविक होना चाहिए तथा ये उत्पाद किसी भी संश्लेषित रासायनिक पदार्थ जैसे कि कीटनाशी, पीड़कनाशी, खरपतवारनाशी, भारी धातु तत्वों व सभी प्रकार की रासायनिक खादों जैसे यूरिया, डाई अमोनियम सल्फेट, सिंगल सुपर फॉस्फेट आदि से पूर्णतः मुक्त होने चाहिए। आज के समय में समाज को शुद्ध दूध व अन्य उत्पादों की उपब्धता की आवश्यकता है जो जैविक पद्धति से सुनिश्चित किया जा सकता है। जैविक पशुपालन पद्धति अपनाने के बाद पशुपालक की आय में इजाफा होगा। जैविक आहार का सेवन करने से गायों के दूध की गुणवत्ता में सुधार होगा। इस कारण उसकी कीमत में इजाफा होगा। इससे किसानों को फायदा मिलेगा।
जैविक पशुपालन के उद्देश्यः-
- पर्याप्त मात्रा में अधिक गुणवत्ता पूर्ण भोज्य पदार्थों का उत्पादन करना।
- भूमि की उर्वरकता को लम्बे समय के लिए बनाये रखना।
- पशुधन, कृषि व वातावरण में प्राकृतिक चक्र बनाना तथा पारिस्थितिकीय तंत्र को प्रदूषण से बचाकर मजबूत करना।
- कृषि व जैविक विविधता का संरक्षण व अन्य जीवों तथा उनके आवासों को बचाना।
- जीन विविधता का संरक्षण करना।
- जल व जीवन के संरक्षण को प्रोत्साहित करना।
- पुर्ननवीनीकरण पदार्थों के अधिकतम उपयोग को बढाकर वातावरण को प्रदूषण से बचाना।
- फसल उत्पादन व पशुपालन में संतुलन स्थापित करना।
- पशुओं को उनका प्राकृतिक स्वभाव प्रकट करने देना।
- जैविक अपघट्य व पुनः चक्रिक पदार्थों के उपयोग को बढ़ाना।
- जैविक पशुपालन के द्वारा मनुष्यों व अन्य प्राणियों को स्वस्थ रखना।
- जैविक पशुपालन द्वारा पशुपालकों को अधिक से अधिक लाभ पहुचाना।
जैविक पशुपालन का उपयोगः-
- जैविक पशुधन फार्म को सामान्य, पशुधन फार्मों से बिल्कुल अलग रखें, अन्य पशुओं को इसमे न आने दे तथा इसका प्रमाणीकरण अधिकृत जैविक प्रमाणीकृत एजेंसी से करवाए।
- जमीन की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए पूर्णतः जैविक खाद जैसे की वर्मीकम्पोस्ट, जैविक उपघटक पदार्थों तथा फार्म में बचे हुए अनुपयोगी पदार्थों का उपयोग करे।
- पशुओं को पूर्णतः जैविक चारा खिलाएँ तथा चारे के उत्पादन के लिए प्रमाणित जैविक बीजों का ही उपयोग करे।
- कीटों व पीड़कों का नियंत्रण जैविक व भौतिक विधियों से करे।
- पशुओं को प्राकृतिक चारागाहों में चक्रिक क्रम में अधिक से अधिक चरायें।
- पशुओं को प्रबंधन अच्छी तरह से करे ताकि पे बीमार नही पडे, बीमार होने पर जहाँ तक संभव हो आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करें।
- इन पशुओं से प्राप्त उत्पादों को अन्य पशु उत्पादों से बिलकुल अलग रखे तथा इनकी प्रोसेसिंग जैविक तरीके से करे।
- इन पशु उत्पदों में कोई भी संश्लेषित फीड एडिटिक्स या रासायनिक संरक्षक न मिलाए।
- जैविक पशुधन उत्पादों की पैकेजिंग भी जैविक तरीके से करें।
- जैविक पशुधन उत्पादों को प्रमाणीकृत एजेंसी से प्रमाणित करवाकर उन पर जैविक पशुधन उत्पाद होने का मार्का लगाकर ही बेचें जिससे पशुपालक को अधिक लाभ मिलेगा।
जैविक पशुपालन के लाभः-
- यह वातावरण में प्रदूषण के स्तर को कम करके इसको स्वास्थ्यवर्धक बनाता है।
- यह मनुष्य व अन्य प्राणियों में कृषि व चारा उत्पादन में उपयोग होने वाले संश्लेषित रासायनिक पदार्थों के अवशेषों को जाने से रोकता है जिससे इनसे होने वाली कई घातक बीमारियों से बचा जा सकता है।
- स्थायी कृषि व पशुपालन को बढावा देता है।
- यह मृदा को स्वास्थ्यवर्धन स्थायी रूप से करता है।
- कम लागत से अधिक मात्रा में व अधिक गुणवत्ता पूर्ण भोज्य पदार्थों का उत्पादन होता है।
- यह प्राकृतिक संसाधनों के उपयुक्त उपयोग को सुनिश्चित करता है जिससे इन्हें लम्बे समय तक संरक्षित किया जा सके।
- यह पशुओं व अन्य मशीनों के लिए ऊर्जा बचत करता है साथ ही कृषि के असफल ओने की संभावनाओं को भी कम करता है।
- जैविक खाद्य पदार्थों का बाजार मूल्य, सामान्य खाद्य पदार्थों से कई गुना अधिक होता है इस कारण किसान व पशुपालकों को अधिक लाभ की प्राप्ति होगी और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ होगी।
जैविक पशुपालन सावधानियां:-
- चारा उत्पादन के लिए जेनेटिकली मॉडिफाइड बीजों का उपयोग न करे।
- मृदा की उर्वरकताको बढ़ाने के लिए संश्लेषित रासायनिक खादों का उपयोग न करे।
- कीटों व पीड़कों के नियंत्रण के लिए संश्लेषित कीटनाशकों व पीड़नाशकों का उपयोग करे।
- खरपतवार को नष्ट करने के लिए संश्लेषित खरपतवारनाशी का उपयोग न करे।
- पशुओं में जहां तक संभव हो एलोपैथिक दवाईयों का इस्तेमाल न करे।
- जेनेटिकली मॉडिफाइड वैक्सीन का इस्तेमाल न करे।