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बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और भा.कृ.अ.प. के राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पशुधन में जलवायु परिवर्तन, गर्मी से तनाव, उनपर पड़ने वाले प्रभाव और उनके समाधान विषयक प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला का समापन आज बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय परिसर में हुआ।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के आखिरी दिन मेलबोर्न विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के फैकल्टी ऑफ़ वेटनरी एंड एनिमल साइंसेज के सीनियर लेक्चरर डॉ. सुरेन्द्र सिंह चौहान ने पशुधन पर जलवायु परिवर्तन और गर्मी के तनाव के प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है इसपर अपना व्याख्यान पेश किया। डॉ. ब्रिजेश कुमार यादव, सह-प्राध्यापक, पशु शरीर क्रिया विज्ञान विभाग, पशुचिकित्सा विश्वविद्यालय, मथुरा ने हीट स्ट्रेस: रुमेन माइक्रोबायोम और मेटाबोलोम पर प्रभाव पर विस्तार पूर्वक चर्चा किया दोनों विशेषज्ञों ने ऑनलाइन मोड में अपना व्याख्यान पेश किया वहीं विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ. रविन्द्र कुमार ने पशुधन पालन और शमन रणनीति पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पर व्याख्यान दिया उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग और ग्लेशियर के पिघलने से उत्पन्न स्थिति से पशुधन के क्षेत्रों में होने वाले नुकसान और उसके समाधान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा की हमारे देश में अनुत्पादी पशुधन की जनसंख्या अधिक है, अगर अच्छी उत्पादकता देने वाली पशुएँ हैं भी तो हमारी उत्पादकता प्रणाली के कारण कम उत्पादन होती है। उन्होंने आगे कहा की गाय और भैंस रुमिनेंट के श्रेणी में आते है जो मीथेन गैस के उत्सर्जन के कारक है, मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है जो ग्लोबल वार्मिंग का एक बड़ा कारण है।