शुष्क क्षेत्रों के लिए पशु चारे में उपयोगी घासें : सेवण और धामण

पशु संदेश,22 Oct 2019

रामेती जाँगिड़*1, गौस अली*2 एवं सुनील कुमार3

शुष्क क्षेत्र में कठोर, प्रतिकूल जलवायु जैसी स्थितियां पायी जाती है। यहां कम गुणवत्ता वाली मिट्टी, वर्षा की अनियमितता और वायुमंडल तापमान के कारण कृषि उत्पादन प्रणाली एक जोखिम भरा काम है I अतः यहां किसान के लिए खेती एक जुआ है। पशुपालन केवल कृषि के लिए सहायक ही नहीं है, बल्कि यह प्रमुख आर्थिक गतिविधि भी  है और अर्ध-शुष्क और शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र में आजीविका का स्रोत है, इस प्रकार यह प्रतिकूल परिस्थितियों में एक बीमा प्रदान करता है। पशुधन क्षेत्र के विकास में प्रमुख बाधा पशुधन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पोषक तत्वों की खराब उपलब्धता है; इसलिए इसे विकासशील देशों में पशुधन उत्पादन बढ़ाने के लिए उपलब्ध फ़ीड संसाधनों के कुशल उपयोग में सुधार करने की आवश्यकता है।

सेवण

वानस्पतिक नाम: लेसियरस सिन्डिक्स (Lasiurus sindicus)

फेमिली: पोएसी

सेवण घास गायों के लिए सबसे उपयुक्त व पौष्टिक घास है जो ग्रामीण क्षेत्रों के आसपास चरागाहों में मुख्य रूप से पायी जाती है I गायों के आलावा भैंस व ऊंट भी इस घास को बहुत पसंद करते हैं I सेवण घास का चरा उच्च गुणवत्ता वाला होता है I छोटे पशु जैसे भेड़, बकरी आदि इसको पुष्पन के समय बहुत पसंद करते है I सेवण घास से 'हे' भी बहुत अच्छी गुणवत्ता का बनता है I परिपक़्व अवस्था आने पर इसका तना सख्त हो जाता है तथा इसकी गुणवत्ता व पाचकता में भी कमी आ जाती है, अत: परिपक़्व घास को पशु कम पसंद करते हैं I शुष्क क्षेत्रों मुख्यत: पश्चिमी राजस्थान में सेवण घास का सूखा चारा भी बहुत प्रचलित हैं I जिसे सेवण की कुत्तर भी कहते हैं I एक बार स्थापित चरागाह कई वर्षों तक बना रहता हैं तथा मृदा कटाव को रोकने में भी सहायक हैं I स्थापित चरागाह में चराई के लिए वैज्ञानिक विधि सर्वोत्तम रहती है I

विवरण:

यह भारत की एक देशी व बहुवर्षीय घास है जो पश्चिमी राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में पायी जाती है I यह घास अच्छे विक्षित जड़ तंत्र के कारण सूखा सहन कर सकती है I इसका चारा पशुओं के लिए पाचक और पोषक होता है I भारत में मुख्यत: पश्चिमी राजस्थान, पंजाब व हरियाणा में पायी जाती है I राजस्तान में जैसलमेर, बाड़मेर बीकानेर, जोधपुर व चूरू जिले में यह अन्य घासों के साथ आसानी से उगती हुई देखी जा सकती है I इस घास की मुख्य विशेषता यह है की यह बलुई मृदा में आसानी से उगती है, इसी कारण थार के रेगिस्तान में बहुतायत से मिलती है I इसको घासों का राजा भी कहते हैं I यह एक स्तंभित, गुच्छेदार और शाखित बारहमासी घास है और लगभग 1.2 मीटर की ऊंचाई प्राप्त करती है I

जलवायु: 

यह घास  शुष्क और अर्ध-शुष्क परिस्थितियों में आसानी से उगाई जा सकती है तथा 100 से 350  मि.मी. वर्षा वाले क्षेत्र इसके लिए अनुकूल है I सिंचाई की उपलब्ध्ता में यह बहुत अच्छी तरह से बढ़ता हैI

फसल का मौसम:

सेवण घास लगाने के लिए वर्षा ऋतु सर्वोत्तम रहती है I बरसात के मौसम में बोई गयी घास बहुत जल्दी स्थापित होती है तथा पशुओं को चराने के लिए जल्दी उपलब्ध होती है I बरसात के मौसम के आलावा फरवरी - मार्च  के महीने में भी इसका रोपण किया जा सकता है  I

मिट्टी के प्रकार और भूमि की तैयारी :

गैर-बाढ़ वाली हल्की भूरी रेतीली मिट्टी इसके विकास के लिए अच्छी है। रेतीली मिट्टी के लिए एक बार हल चलना और समतल करना एक अच्छा सीड बेड पाने के लिए पर्याप्त है I

बुआई विधि:

 एक हेक्टर जमीन में बुआई के लिए 5-7 kg बीज पर्याप्त होते है I इसकी  पंक्ति से पंक्ति की दूरी 50 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 50 से.मी. रखी जाती है I इसके आलावा पहले से लगे हुए पौधे के रुट स्लिप या राइजोम निकाल के लगा सकते है जिससे पौधे जल्दी स्थापित होते है I

अनुशंसित उर्वरक की मात्रा: 

इसके उच्च उत्पादन के लिए 8-10 टन खाद, 20 किलोग्राम P205 को खेत की तैयारी के दौरान मिलाया जाता है और बुवाई के 30-40 दिनों के बाद 20 किलोग्राम N/ha मिलाया जाता है। फिर हर साल 20 किलोग्राम N 20 किलो P205 / हेक्टेयर मिलाया जाता है I

उन्नत किस्में: CAZRI सेवण -1, CAZRI-317, 318, 319, 351 एवं CAZRI म्युटेंट 30-5

प्रबंधन: 

पहले साल इसकी कटाई एक बार 10-15 से.मी. ऊंचाई पर करनी चाहिए। लेकिन दूसरी साल बाद इसे वर्षा के आधार पर 2-3 बार काटा जा सकता है। चारागाह को रोटेशनल चराई विधि से लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है।

चारा और बीज की उपज: 

अच्छी वर्षा वाले क्षेत्रों में सेवण घास काऔसत सूखा चारा उत्पादन 2.5 से 3.5 टन प्रति हेक्टेयर है Iअच्छी किस्मों के साथ साथ अच्छे  प्रबंधन से प्रथम वर्ष में पाँच कटाइयों में लगभग 7 से 8.5 टन / हेक्टेयर तक चरा उत्पादन कर सकते है I सामान्य परिस्थितियों में बीज की उपज 150-200 किग्रा / हेक्टेयर होती हैI

पोषक तत्व: 

इसमें फूलों की अवस्था में 12.8 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन, 27.0 प्रतिशत कच्चा फाइबर और 12.8 प्रतिशत राख होती है I

उपयोगिता: 

यह एक अत्यंत स्वादिष्ट घास है और यह हे, साइलेज  और चराई के लिए प्रयोग किया जाता है। यह  रेगिस्तानी इलाकों में रेत के टीलों की स्थापना भी करता है।

 

धामण 

वानस्पतिक नाम:  सेंकरस सेटीजेरस (Cenchrus setigerus)

फेमिली: पोएसी

यह शुष्क एवं अर्धशुष्क क्षेत्रों में पायी जाने वाली एक प्रमुख बहुवर्षीय घास हैI धामण/ काला धामण घास दोमट से लेकर पथरीली भूमि में आसानी से पैदा होती हैI यह घास अत्यंत गर्मी व सूखा सहनशील है तथा कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी चरागाह विकसित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ घास है I इस घास का चारा सभी पशुओं के खाने योग्य तथा सुपाच्य होता हैI

विवरण: 

इस घास की उत्पति अफ्रीका (नील घाटी से लाल सागर), अरब व भारत के शुष्क इलाकों से मानी जाती हैI भारत में यह घास पंजाब, राजस्थान, गुजरात तथा हरियाणा के शुष्क इलाकों में पायी जाती हैI राजस्थान में मुख्यत: पश्चिमी राजस्थान में मिलती है I यह एक बहुवर्षीय घास हैं जिसकी ऊंचाई 0.2 से 0.9 मीटर, पत्तियां 2.0 से 20 से.मी. लंबी व 1.8 से 6.9 से.मी., पुष्पक्रम कॉम्पैक्ट, स्पाइक 2 से 20 से.मी. लंबा, 0.4 से 1.0 से.मी. चौड़ा।

जलवायु: 

जहां 200 मि.मी. तक वर्षा हो वहां आसानी से ऊगा सकते है I यह सूखे में भी आसानी से खड़ा रह सकता है और सिंचाई की उपलब्ता में बहुत अच्छी तरह से बढ़ता है।

फसल का मौसम:

धामण घास की बुआई मुख्य रूप से बरसात के मौसम में करना बहुत अच्छा रहता, परन्तु इस घास की बुआई दिसम्बर स जनवरी माह को छोड़कर सालभर आसानी से कर सकते है।

मिट्टी के प्रकार और भूमि की तैयारी : 

यह सुखी रेतीली-दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है जिसका पीएच 7 से 7.5 तक हो । खेत तैयार करने के लिए  एक बार हल चला कर उसमें पाटा चलना पर्याप्त होता है I

बुआई विधि:

बीज का उपयोग कर 50 से.मी. पंक्ति से पंक्ति की दुरी व 50 से.मी. पौधे से  पौधे की दुरी रख कर लाइन में बोया जाता है I 5-6 किलो बीज/ हेक्टेयर पर्याप्त माना जाता हैI इसके आलावा पहले से लगे हुए पौधे के रुट स्लिप या राइजोम  निकाल के लगा सकते है जिससे पौधे जल्दी स्थापित होते है I

अनुशंसित उर्वरक की मात्रा :

उर्वरक आवेदन: भूमि तैयारी के समय FYM की 10 कार्ट लोड व 30 किलोग्राम N एवं 30 किलोग्राम P205/ मिट्टी के साथ मिश्रित करके डालना चाहिए I बाद में एक महीने की फसल होने पर 30 किलो N/ हेक्टेयर टॉप ड्रेसिंग से दिया जाता हैI बाद के वर्षों में मानसून की शुरुआत में निर्धारित खुराक को ही दोहराया जाता है।

उन्नत किस्में: मारवाड़ धामण (CAZRI-76) 296, पूसा पीला अंजन, 175, 415 और CAZRI -76, 358, 1106।

 

प्रबंधन: 

पहले साल इसकी कटाई एक बार 10-15 से.मी. ऊंचाई पर करनी चाहिए लेकिन दूसरी साल बाद इसे वर्षा  के आधार पर 2-3 बार काटा जा सकता है।

उपज: 

सूखी चारा उपज प्रजातियों के अनुसार 3.9 से 7.9 t/ha तक मिल जाती है I पूसा पीला अंजन का अधिकतम चारा उत्पादन 6.8 t / हेक्टेयर हैI

पोषक तत्व:

 धामण घास में 4.5% क्रूड प्रोटीन और 38% क्रूड फाइबर होता है। नूट्रल डिटर्जेंट फाइबर और एसिड डिटर्जेंट फाइबर सामग्री क्रमशः 72.0 और 33.0% है।

उपयोगिता: 

यह मवेशियों के लिए अत्यधिक स्वादिष्ट घास है और 'हे' के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह भारी रूप से चराई जा सकती है।