खेती की आमदनी बढ़ाने के लिए जीरो बजट की कृषि पद्धति अपनाइये:डॉ.वल्लभभाई कथीरिया  

खेती का मूल मंत्र-गौ आधारित कृषि 

पशु संदेश, 14th May 2019

डॉ. आर.बी. चौधरी

भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण  मंत्रालय के अधीन नवस्थापित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष-पूर्व केंद्रीय मंत्री,डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने किसानों की एक  बड़ी जनसभा को संबोधित करते हुए बताया कि "जीरो बजट की  प्राकृतिक खेती" करके जीव -जंतुओं का संरक्षण- संवर्धन करते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रकोप से धरती सहित मानव अस्तित्व को बचाया जा सकता है।वर्तमान हालात में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग पूरे विश्व की एक बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है , खास करके स्वस्थ -स्वादिष्ट एवं काम लागत में भोजन पैदा करने का समूचा तंत्र तितर- बितर हो रहा है। इस चुनौती से सामना करने के लिए आज जीरो बजट की प्राकृतिक खेती की पद्धति को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।

गुजरात के जूनागढ़ जनपद स्थित सुडावड  में तक़रीबन  5,000 से अधिक किसानों की बहुत बड़ी जनसभा को संबोधित करते हुए डॉ. कथीरिया ने बताया कि  देश मैं हरित क्रांति का दौर अब खत्म हो गया है , बस  "टिकाऊ खेती"  के जरिये  फसल उत्पादन की  व्यवस्था में सभी कुदरती तकनीको  का समावेश करना पड़ेगा जिसके लिए "गौ आधारित कृषि" जिसमें गोबर -गोमूत्र से बने हुए  खाद, कीटनाशक एवं फसलों कि बढावार वाली विधियां अपनानी होंगी। जिससे सिर्फ कम लागत में अधिक उत्पादन ही नहीं होगा बल्कि प्राप्त उत्पाद स्वस्थ एवं स्वादिष्ट होगा। जिससे सभी कृषि उत्पाद एवं पशु उत्पाद बाजार में पहुंचते ही आनन- फानन में बिक जाएंगे। डॉक्टर कथीरिया  अपने संबोधन में "प्रिवेंशन इस द बेटर दैन क्योर" के लोकोक्ति को अपनाने को कहा और बताया कि भविष्य में किसी विपदा आने के पहले उसका निराकरण ढूंढ लिया जाना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि बाद में समाधान अत्यंत मुश्किल होगा।

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष ने  किसान को अन्नदाता संबोधित करते हुए कहा कि भारत के किसान विश्व के किसानों से अत्यधिक स्वाभिमानी और कर्मयोगी है क्योंकि हमारे यहां हर विषम परिस्थितियों में  भी लोग सफलता की  मंजिलें ढूंढते हैं। आज हमारा भारतीय किसान कई परिस्थितियों से जूझ रहा है जिसमें  पर्यावरण रक्षा-सुरक्षा , जल प्रवंधन-जल  रक्षा,उपजाऊ जमीन की रक्षा  और भारतीय खेती की बड़ी चुनौती है क्योंकि  पशु- पक्षियों की रक्षा का यही प्रमुख यही आधारशिला है। उन्होंने यह अवगत कराया कि मोदी सरकार किसान कल्याण के लिए हर पल समर्पित है। सरकार टिकाऊ खेती अपनाने के लिए फिर से "ऋषि- कृषि" पद्धति को लाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाये  चला रहा है, जिसमें गोपालन, गो संवर्धन, गोबर -गोमूत्र का सर्वाधिक प्रयोग पर विशेष बल दिया जा रहा है ताकि वर्तमान खेती में प्राकृतिक या कुदरती विधियाँ अपनाकर उत्पादन  लागत को जीरो लेवल पर ले जाया जा सके और किसान को अतिरिक्त आय के माध्यम जोड़कर मुनाफा बढ़ाया जाए।

इस अवसर पर जैविक खेती की उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए वर्ष 2018 में  पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित वल्लभभाई मारवाडिया को डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने सम्मानित किया।जैविक खेती विशेषज्ञ प्रवीणभाई आसोदरीया , प्रफुलभाई सेन्जलिया  सहित किसान संघ के तमाम पदाधिकारियों ने भी जैविक कृषि को प्रचारित करने बात कही।इस आंदोलन को देश के कोने - कोने में पहुंचने का संकल्प लिया।

डॉ. आर.बी. चौधरी

मीडिया सेल:राष्ट्रीय कामधेनु आयोग

(पूर्व मीडिया प्रभारी एवं प्रधान संपादक-भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड,भारत सरकार)