बकरी पालन से आर्थिक लाभ

पशु संदेश, 25 February 2019

Jaswant Kumar Regar1, Dr. Ajay Kumar2 and Dr. Suresh Kumar3

भारतीय अर्थव्यवस्था में बकरियों का महत्वपूर्ण स्थान है। इनसे प्राप्त मांस, दूध, रेशे, चमड़ा एवं खाद के द्वारा किसान न केवल अपनी आमदानी बढ़ाते है। परन्तु भारतीय अर्थव्यवस्था को दृढ़ता प्रदान होती है। बकरियां प्रति वर्ष राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 160 करोड़ डालर का योगदान करती है। जिसमें सर्वाधिक 79.3 प्रतिशत उनके मांस से आता है।

बकरी उत्पाद एवं उपयोग-

1- बकरियों से दूध उत्पादनः- भारत वर्ष के कुल दूध उत्पादन में बकरियों से प्राप्त दूध 3 प्रतिशत, 5.4 मिलियन मैट्रिक टन का योगदान है। ग्रामीण अंचलो में मुख्यतः ग्रामीणों द्वारा बकरियों से प्राप्त दूध अपने परिवार के सदस्यों विशेषतया बच्चों में खपत कर लेते है। क्योंकि सामान्यतः गावों में किसान 1-5 तक की बकरियों की ईकाई रखते है।

2- प्राचीन काल से ही बकरी का दूध कई रोगों जैसे- अस्थमा, एग्जीमा पेप्टिक अल्सर और बच्चों के हे ज्वर आदि के उपचार में प्रयुक्त होता आया है।

3- बकरी के दूध में वसा ग्लोब्यूल गाय के दूध की तुलना में अपेक्षाकृत छोटे होते है। जिसके कारण छोटे बच्चों, रोगी तथा वृद्ध व्यक्तियों में इसके दूध का पाचन आसान होता है।

इसके दूध की रासायनिक संरचना इसके नस्ल, उम्र, मौसम और दूध स्त्रवण की अवस्था एवं पोषण इत्यादि पर निर्भर करता है। विभिन्न पशुओं के दूध की रासायनिक संरचना निम्न तालिका में प्रदर्शित की गयी है।

विभिन्न पशुओं के दूध की संरचना

क्र.स.

पशु

जल

प्रोटीन

वसा

राख

कुल ठोस

लेक्टोज

1

मनुष्य

87.5

1.0

4.4

0.2

12.7

7.0

2

गाय

87.2

3.5

3.7

0.7

12.0

4.9

3

भैंस

83.0

3.8

7.4

0.8

17.0

4.9

4

बकरी

86.5

3.6

4.0

0.8

13.5

5.1

5

भेड़

80.1

5.8

8.2

0.9

19.9

4.8

6

ऊॅंट

87.2

3.7

4.2

0.7

12.8

4.1

बकरियों से मांस उत्पादन- भारत वर्ष में मुख्यतः बकरी पालन मांस उत्पादन (9.4 लाख टन) के लिए किया जाता है। क्योंकि बकरी का मांस सभी राज्यों, वर्गों और धर्मों के लोग द्वारा बिना किसी भेदभाव से खाया जाता है। बकरी का मांस चेवोन कहलाता है। भारत में बकरी का ताजा मांस अपेक्षाकृत अधिक पसंद किया जाता है। और इसकें मांस से बनने वाले विभिन्न उत्पाद बहुत कम मात्रा में बनाये और उपयोग में लिए जाते है।

बकरियों की विभिन्न नस्लों द्वारा मांस उत्पादन-

क्र.स.

नस्ल

औसत भार (किलोग्राम)

जन्म

3 महीन

6 महीन

12 महीन

1

जमुनापारी

3.06

10.94

14.06

26.86

2

बीटल

3.03

8.49

12.44

22.47

3

बारबरी

1.74

7.13

10.86

18.84

4

सिरोही

2.74

9.78

13.49

21.02

5

ब्लैक बंगाल

1.33

4.71

6.81

12.08

 

क्र.स.

नस्ल

1 वर्ष की उम्र में मांस उत्पादन

मांस प्राप्त(कि.ग्रा)

डेऱसिंग प्रतिशत 

मांस हड्डी का अनुपात

1

जमुनापारी

10.39

46.16

80.00:19.52

2

बीटल

9.38

46.15

76.72:23.21

3

बारबरी

10.55

49.88

83.08:16.52

4

ब्लैक बंगाल

5.17

44.62

86.08:13.42

बकरियों से खाद उत्पादन-

बकरी के खाद में गाय और भैंस से प्राप्त खाद की तुलना में नाइट्रोजन, पोटैशियम एवं फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है। सामान्यतः एक बकरी प्रतिदिन अपने शारीरिक भार का 1-2 प्रतिशत तक शुष्क खाद प्रदान करती है। इस प्रकार 25 किलोग्राम की बकरी से लगभग 250 से 500 ग्राम खाद मिलत है। इसके खाद में नमी 40-60%, नाइट्रोजन 1.1-3.0%, फास्फोरस 0.2-0.8% और पोटेषियम 0.4-0.8% होती है। इसकी खाद भूमि की उर्वरता वृद्धि में बहुत आवश्यक होती है। 

बकरियों से रेशा उत्पादन-

पश्मीना एवं मोहैर दो अत्यधिक कीमती रेशे क्रमशः बकरियों के पश्मीना नस्ल एवं अंगोरा नस्ल की बकरियों से प्राप्त होती है। पश्मीना एवं अंगोरा दोनों नस्ल की बकरिया भारत के पर्वतीय स्थलों पर ही पायी जाती है। और वही पर्वतीय जलवायु ही इनके पालने के लिये उपयुक्त होती है।

अन्य उत्पादन- 

इनके अलावा बकरियों से चमड़ा, आंत्र, खुर सींग, पित्त गुर्दा, हृदय आदि प्राप्त होते है। इसकी हड्डियों से जिलेटिन बनाई जाती है इनका उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों के बनाने में लायी जाती है।

 

स्त्रोतः 1. Jaswant Kumar Regar, Ph.D. student LPM Division, ICAR-NDRI, Karnal

         2. Dr. Ajay Kumar, Ph.D. student LPM Division, ICAR-NDRI, Karnal

         3. Dr. Suresh Kumar, Ph.D. student LPM Division, ICAR-NDRI, Karnal

 

 

Corresponding author email:jaswantkumarregar468@gmail.com

 

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