एक महिला पशु चिकित्सक की कलम से...

Pashu Sandesh, 01 Dec 2019

Dr uma parte

@RIP#Dr priyanka Reddy.@lady veterinary doctor.कल सुबह से ख़बर पढ़ते ही एक सन्नाटा सा है जेहन मे. Veterinary doctor brutally killed...murdered ..अलग अलग शब्दों में एक ही भयावह वीभत्स चित्कारती घटना ..जो हर इंसान को हैरान परेशान कर दे. खुद एक महिला और veterinary Doctor भी... इसलिए ज्यादा दुखी ,व्यथित और हैरान हु और... अपने professional haezzards के बारे मे चिन्तित भी... चुप रही दूसरे लोगो की तरह अपने face book wall पर #RIP #Dr priyanka reddy # justice for dr priyanka.. भी नहीं लिख पायी!!!!!
इतने संवेदनशील मुद्दे पर खुद इतनी दुखी हु कि पुरा veterinary college के counselling से लेकर आज तक के सारे professional और personal struggles घूम गये दिमाग मे... इस Male dominating profession मे अपना selection खुद स्वीकार कर struggle. compitition सब याद आया ..याद आया कि अपने Admission counselling से लेकर आज तक हम सभी महिला पशु चिकित्सक ज्यादातर.. बहुत कम है संख्या मे 10% से भी कम मुझे याद है हमारे class मे हम 5 मात्र थी जब MP PSC का Exam / interview दिया तब भी ऐसे ही 5-10. drs थीं कमोबेश junior senior classes मे भी तकरीबन इतनी ही संख्या मे हम रही... 80 की कुल संख्या में 5 -6लड़किय़ा.. ऐसे स्थिति मे भी हम और हमारेसिनियरclass मे ...ज्यादातर .लड्किया ही अपने आपको साबित करती प्रथम पंक्ति मे नजर आती ..जो बिल्कुल भी आसान नहीं है Male Dominating field मे खुद का वर्चस्व के लिये लड़ती .हुइ मेरी सारी महिला पशु चिकित्सक मित्रों को मै खुद अपने को जानती हु कि ये कुछ भी हो.. आसान तो कतई नहीं है और ये सारी लड़ती हुए महिलाये. अपने डर..असुरक्षा और समय से परे सोच कर अपने सारे काम करती है.. पता नहीं कब Medico legal case आ जाये पता नही कब पोस्ट मार्टम.. कभी टीकाकरन शिविर./.बैठक कोई समीछा.. कोई presentation ...training. मे कहा और किसी के साथ भी जाना पड़े कभी पुलिस तो कभी वन विभाग के 4-5 लोग.. और अब तो घर पहुच उपचार सेवा एमेरजेन्सी सेवाये भी है... ऐसे मे आप कब कौन से काम मे कहा जायेन्गी कब वापिस आयेंगे कुछ नहीं कह सकती.. और सच कहे तो हम भी काम करते हुए आदि है इस असमय काम के हम ऐसे सोच नहीं पाती कि साथ काम करने वाले सभी लोग सुरक्षा के लिहाज से कैसे हैं??? कैसे कोइ जाने जिसके साथ हम जा रही है. किसी के माथे पर लिखा नहीं है ऐसा विचार आना.. आपको अपने कर्तव्य पथ.. अपने अधीनस्थ अपने स्वयम के टीम से अलग कर देगा .चुँकि हम आदी है बराबरी से काम करने की..हमे आदत है ज्यादा काम करने की ज्यादा जूझ्ने की.. अपने काम को अपनी संतुष्टि स्तर तक परफ़ेक्शन की.श्रेष्ठतर करने की यही तो सीखा है हर महिला पशु चिकित्सक ने ..अपने प्रोफ़ेशन मे क्युकी इससे कम मे आप टिक ही नहीं सकती हो.वैसे भी साधारण महिला इस प्रोफ़ेशन मे तो आती ही नहीं है...... फिर इस फ़ीलड मे हमने अपने को बराबर से काम करने तैयार तो कर लिया.. पर आज प्रश्न है???? हम कितनी सुरछित है?? एक वरिष्ठ महिला पशु चिकित्सक जो मेरी मित्र भी है सही कह्ती है हम कैसे मना कर सकते हैं??? एमरजेन्सी डुट्यी के लिए?? आपात कालीन सेवाओ के लिये??? आप सेलरी तो बराबर की लेती है??? समान काम समान वेतन... फिर वही प्रश्न..... . वही सन्नाटा .. वही चुप्पी ..........शेष #काम करती महिला बना देती हैं हमे