Pashu Sandesh, 07 May 2024
राजेश कुमार वांद्रे, अमित कुमार झा, सुलोचना सेन, नितिन मोहन गुप्ता और भाबेश चंद्र दास
पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय, रीवा (म.प्र.)
परिचय
बकरी एक छोटा जुगाली करने वाला जानवर है जो आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में छोटे जुगाली करने वाले जानवरों में बकरी एवं भेड़ आते है। बकरी की भारत में एक अलग ही उपयोगिता है। खासकर गरीब किसानों के लिए जो अपनी आजीविका के लिए उन पर निर्भर रहते हैं। ये जानवर किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करती है। भारत में विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में अनुकूलित बकरियों की कई आबादी पाई जाती है। भारत में बकरी की विविधता बहुत अधिक है। लेकिन अंधाधुंध क्रॉस-ब्रीडिंग के कारण बकरियों की विभिन्न आबादियाँ खतरे में है। भारत में 223.14 मिलियन छोटे जुगाली करने वाले जानवर पाए जाते हैं। छोटे जुगाली करने वालों की पूरी आबादी में बकरी एवं भेड़ की आबादियाँ क्रमशः 148.88 और 74.26 मिलियन हैं। जब हम 20वीं पशुधन जनगणना की तुलना 19वीं पशुधन जनगणना से करते हैं, तो इसमें भेड़ और बकरी की आबादी में क्रमशः 14.13 और 10.14 % की सकारात्मक वृद्धि देखी गई है।
देश में पशुधन जनसंख्या वितरण
मध्य प्रदेश राज्य मध्य भारत में स्थित है व 3,08,252 वर्ग कि.मी. क्षेत्र को कवर करता है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। मध्य प्रदेश देश के 9.38 % भौगोलिक क्षेत्र को कवर करता है। और इसके निकटवर्ती क्षेत्र राज्य गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र हैं। मध्य प्रदेश 22° 58' 24.322'' उत्तर और 78° 39' 24.819 पूर्व के जीपीएस निर्देशांक के में स्थित है। मध्य प्रदेश की जलवायु उष्ण कटिबंधिये है। वार्षिक तापमान में 22°C और 25°C के बीच उतार-चढ़ाव होता रहता है। जबकि वार्षिक वर्षा 800 और 1,800 मिमी के बीच होती है। मध्य प्रदेश के जंगलों और उसके आस-पास बड़ी संख्या में आदिवासी जन जातियाँ निवास करती हैं। अपने दैनिक भोजन, ईंधन और औषधीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जन जातियाँ जानवरों को पालती हैं। वे मवेशियों, भैंसों, बकरियों और भेड़ों आदि के लिए चारे के रूप में विभिन्न प्रकार की वन फसलों को इकट्ठा करते हैं। 20वीं पशुधन आबादी 2019 के अनुसार मध्य प्रदेश में पशुधन की कुल आबादी लगभग 40.6 मिलियन है और यह भारत में तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में मवेशियों की आबादी (18.7 मिलियन), भैंस की आबादी (10.3 मिलियन) और बकरी की आबादी (11.06 मिलियन) है व इनमे मध्य प्रदेश का भारत में क्रमशः तीसरा, चौथा, पांचवां स्थान हासिल किया। मध्य प्रदेश राज्य में मुर्गी, घोड़ा, खच्चर और गधे की आबादी भी पर्याप्त है।
देश में बकरी जनसंख्या वितरण
विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में बकरियाँ पूरे देश में व्यापक रूप से वितरित हैं। बकरी नस्ल वितरण के लिए चार क्षेत्रों को वर्गीकृत किया गया है अर्थात् हिमालयी क्षेत्र (2.4 प्रतिशत), उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र (39.3 प्रतिशत), पूर्वी क्षेत्र (32.1 प्रतिशत), और दक्षिणी क्षेत्र (26.2 प्रतिशत)। हिमालयी क्षेत्र में बकरी अच्छी गुणवत्ता वाले रेशे (कश्मीरी” या “पशमीना”) पैदा करती है उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में बकरियां अच्छे आकार और डेयरी प्रकार की होती हैं दक्षिणी और देश के प्रायद्वीपीय भाग में दोहरी उपयोगिता वाली (मांस और दूध) बकरियां पाई जाती हैं। नस्लों के प्राकृतिक निवास स्थान को एक सीमा के माध्यम से निवास में रखना मुश्किल होता है क्योंकि राजनीतिक सीमाओं से परे उनके प्राकृतिक विस्तार प्रवासन, बाजार ताकतों, आर्थिक दबाव, चारे और चारे की कमी सहित विभिन्न बातों पर निर्भर करता हैं। जिसके कारण बकरियों का प्रवास आसपास के राज्यों में नियमित रूप से होता है। उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता, उच्च प्रजनन क्षमता और विशिष्ट उत्पाद हमारे देश में देशी बकरियों की आबादी को अद्वितीय बनाते हैं। आई.सी.ए.आर.-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल देशी आनुवंशिक विविधता के मूल्यांकन और संरक्षण पर काम करता है और सरकार ने भी संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए हैं। किसानों के बीच बेहतर जागरूकता और संरक्षण वादी दृष्टिकोण में सुधार से भेड़ और बकरी के स्थायी प्रबंधन में काफी मदद मिलेगी।
मध्य प्रदेश में “महाकौशली बकरी” वितरण
सिवनी, बालाघाट और छिंदवाड़ा जिले मध्य प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र में स्थित हैं। तीनों जिलों में अच्छी संख्या में पशुधन पाया जाता है। वर्तमान अध्ययन चल रहे अनुसंधान परियोजना संख्या EEQ/2021/000486 के तहत किया गया था। जो की विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड, डी.एस.टी., नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित है। यह अध्ययन मध्य प्रदेश के महा कौशल क्षेत्र के सिवनी, बालाघाट और छिंदवाड़ा जिलों में वितरित “महाकौशली बकरी” की आबादी पर हुआ है। “महाकौशली बकरी” का मूल क्षेत्र मध्य प्रदेश के सिवनी, छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले में वितरित है। हमने मध्य प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र के तीनों जिलों का सर्वे एवं अध्यन किया है। हमने पाया कि “महाकौशली बकरी” की आबादी सिवनी, छिंदवाड़ा और बालाघाट जिलों में निरंतर रूप से फैली हुई है। हमने पाया कि लक्षित जिलों के प्रत्येक गांव में “महाकौशली बकरी” के औसतन आबादी 30-50 थी। वर्तमान अध्ययन के आधार पर सिवनी, बालाघाट और छिंदवाड़ा जिलो में अनुमानित “महाकौशली बकरी” की आबादी क्रमशः 47370, 41070 और 59520 पाई गई थी I
बकरी पालकों के सामाजिक-आर्थिक अध्ययन से पता लगा की बकरी पालकों की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है व ये मुख्य रूप से बकरी पालन पर ही निर्भर करते है। और उनकी आय का प्राथमिक स्रोत क्षेत्र में “महाकौशली बकरी” पालन ही है। वर्तमान अध्ययन मध्य प्रदेश के सिवनी, छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले में “महाकौशली बकरी” आबादी के फेनोटाइपिक और मॉर्फोमेट्रिक लक्षण वर्णन के लिए परियोजना का प्रारंभिक कार्य था।
निष्कर्ष
बकरियों की आबादी भारत के कई क्षेत्रों में फैली हुई है। बकरी की प्रजातियाँ अपनी विशिष्ट विशेषताओं के साथ अनुकूलन प्रदर्शित करती हैं। भारतीय बकरी प्रजातियों को भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर वर्गीकरण किया गया है। हालाँकि भारत में बकरी की 37 पंजीकृत नस्लें हैं लेकिन फिर भी बहुत सी आबादी अज्ञात है जिनका पंजीकरण किया जाना बचा हुआ है। मध्य प्रदेश में बकरियों की संख्या पर्याप्त है। मध्य प्रदेश के सिवनी, छिंदवाड़ा और बालाघाट जिले में “महाकौशली बकरी” का नेटिव ट्रैक्ट हैं। इन क्षेत्रों के कई किसान अपनी दैनिक जरूरतों और वित्तीय सुरक्षा दोनों के लिए “महाकौशली बकरी” पर निर्भर करते हैं। उनके निरंतर संरक्षण एवं संवर्धन के लिए “महाकौशली बकरी” का पंजीकरण अत्यंत आवश्यक है।
प्रशंसा
लेखक फंडिंग एजेंसी से प्राप्त तकनीकी और वित्तीय सहायता के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, नई दिल्ली से संबद्ध विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एस.ई.आर.बी.) के आभारी हैं।