साईलेज के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब

पशु संदेश, भोपाल 1 मार्च 2021

डॉ आकाश वाघमारे 

बहुत से डेरी फार्मर्स साईलेज को लेकर सवाल पूछते रहते हैं |हमने इस लेख के माध्यम से साईलेज के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जबाब देने का प्रयास किया है-

साईलेज क्या है ?

साईलेज नये जमाने का पशु आहार है, यह हरे चारे और दाने (कंसन्ट्रेट) के बीच की कड़ी है | साईलेज में हरे चारे और दाने दोनों के गुण होते हैं | इसमें फाइबर और स्टार्च दोनों पाया जाता है तथा इसमें प्रोटीन की मात्र भी 10 प्रतिशत के आस पास होती है | साईलेज के माध्यम से पशु पालक अपने पशु को साल भर एक जैसा आहार दे सकते हैं |

साईलेज कैसे बनता है ?

साईलेज बनाने के लिए पहले मक्का की फसल को दुधिया दाने की अवस्था में भुट्टे सहित काट कर कुट्टी कर लेते हैं फिर इस कुट्टी किये हुए चारे को मशीनों की मदद से अच्छे से दावा कर एयर टाइट पैक कर दिया जाता है | एयर टाइट बैग में पैक रहने पर चारे में फर्मेंटेशन होता है और लगभग  21 से 30  दिन में साईलेज बनकर तैयार हो जाता है |

साईलेज, चारे को गड्ढे या बंकर में दबा कर या आधुनिक मशीनों जिन्हें बैलर कहते हैं के द्वारा बनाया जाता है | आधुनिक मशीनों से बने साईलेज की क्वालिटी गड्ढे या बंकर में बने साईलेज से प्रायः बेहतर होती है |   

एक पशु को एक दिन में कितना साईलेज खिला सकते हैं ?

पशु को उसके दुग्ध उत्पादन के अनुसार एक दिन में दस से लेकर तीस किलो तक साईलेज खिला सकते हैं | यदि आप पशु को पहली बार साईलेज खिला रहे हैं तो एक किलो प्रीति दिन से शुरू कर धीरे धीरे रोज इसकी मात्र बढ़ाते जायें |    

साईलेज देने पर कितना दाना कम कर सकते हैं ?

ढाई किलो साईलेज देकर आप अच्छी क्वालिटी का एक किलो दाना कम कर सकते हैं |

क्या पशु को केवल साईलेज पर रख सकते हैं या इसके साथ दाना भी देना जरुरी है ?

पांच से आठ लीटर तक दूध देने वाले पशुओं को केवल साईलेज पर रखा जा सकता है, इससे जयादा दूध देने वाले पशुओं को साईलेज के साथ दाना भी देना होता है |

क्या ग्यावन पशु को भी साईलेज खिला सकते हैं ?

जी हाँ | गाय, बैल, भैंस, बकरी, बछड़ा, बच्छीया तथा ग्यावन पशु सभी को साईलेज खिला सकते हैं |

यदि दाना उपलब्ध हो तब भी क्या पशु को साईलेज देना चाहीये ?

जी हाँ, यदि दाना उपलब्ध हो तब भी पशु को साईलेज या हरा चारा जरूर देना चाहीये | चारा (फाइबर ) ही पशु का प्राकृतिक आहार है | पशु का रुमेन फाइबर डाइजेशन के लिये ही बना है, दाने में फाइबर की मात्रा नहीं के बराबर होती है | केवल दाना और भूसा देने की स्तिथि में आहार में डाइजेसटिव फाइबर न मिलने के कारण रुमेन में एसिडिटी बनी रहती है तथा पशु कम खाता है | ऐसी स्तिथि में पशु अपनी क्षमता से कम दूध देता है तथा पशु में डाइजेसटिव प्रोब्लेम्स और लेमनेस की प्रॉब्लम चलती रहती हैं | साईलेज या हरे चारे में भरपूर मात्र में डाइजेसटिव फाइबर होता है, जिससे पशु का रुमेन स्वस्थ रहता, रुमेन में एसिडिटी नहीं होती, तथा पशु अपनी क्षमता के अनुसार दूध देता है | इस के अलावा फाइबर से दूध में फैट भी बढ़ता है |

यदि हरा चारा उपलब्ध हो तब भी क्या पशु को साईलेज देना चाहीये ?

यदि हरा चारा और साईलेज दोनों उपलब्ध हो तो उस स्तिथि में साईलेज को प्राथमिकता देना चाहीये, क्योकि साल भर एक जैसा हरा चारा उपलब्ध नहीं रहता | बरसीन के सीजन में बरसीन, चरी के सीजन में चरी मिलती है, ऐसी स्तिथी में साल में तीन से चार बार हरा चारा बदलना पड़ता है | जब भी हम पशु की खुराक में हरा चारा बदलते हैं, पशु नये चारे को ठीक से पचाने में दस से पंद्रह दिन का समय लेता है | इस दौरान पशु का दुग्ध उत्पादन तथा फैट कम होता है, इसके साथ ही चारे के अनुसार दूध का स्वाद भी बदलता है जिससे मार्केट से कंप्लेंट आती है | दुग्ध उत्पादन तथा फैट कम होने से पशु पालक को आर्थिक नुकसान भी होता है | वहीँ साईलेज के माध्यम से हम पशु को साल भर एक जैसा चारा दे सकते हैं, जिससे ये समस्याएं नहीं आतीं | इस के अलावा साईलेज में मक्का होने तथा चारे का फर्मेंटेशन होने से साईलेज की गुणवदत हरे चारे से बहुत अधिक होती है |

क्या साईलेज महँगा पड़ता है ?  

साईलेज दुनिया में पशु आहार का सबसे सस्ता विकल्प है | साईलेज के उपयोग से दूध की उत्पादन लागत कम आती है तथा पशु स्वस्थ रहता है | दाने और साईलेज को सही अनुपात में मिलाकर खिलने से दूध की उत्पादन लागत पांच रूपए प्रति लीटर तक कम हो जाती है | साईलेज के बिना डेरी को प्रोफिट में चलाना बहुत ही मुश्किल है |   

ड्राई मैटर के हिसाब से ढाई किलो साईलेज अच्छी क्वालिटी के एक किलो दाने के बराबर होता है | यानी हम ढाई किलो साईलेज से अच्छी क्वालिटी के एक किलो दाने को रिप्लेस कर सकते हैं | ढाई किलो साईलेज पंद्रह रूपए का पड़ता है, वहीँ अच्छी क्वालिटी का एक किलो दाना 25 रूपए का पड़ता है | यानी प्रति एक किलो दाने पर 10 रूपए की बचत होती है |

अच्छे साईलेज की पहचान कैसे करें ?

अच्छा साईलेज गोल्डन ब्राउन (सुनहेरे भूरे) रंग का होता है तथा इसमें मोलासिस \molases ( शीरे) के जैसी खुशबु आती है | इसमें लगभग 65% मोईसचर (नमी), 35% ड्राई मैटर तथा 8 से 10 प्रतिशत प्रोटीन होता है | अच्छे साइलिज में मक्के की दाने crushed (फटे हुए) होते हैं, साबुत नहीं होते |

क्या दूसरे देशों में भी लोग साईलेज खिलाते हैं ?

अमेरिका से लेकर न्यूजीलैंड तक पूरी दुनिया में सभी डेरी वाले साईलेज ही खिलते हैं | हमारे देश में भी पंजाब, हरयाणा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के डेरी फार्मर्स बड़े पैमाने पर साईलेज का उपयोग कर रहे हैं | अन्य प्रदेशों में अभी साईलेज की उपलब्धता की समस्या है, जैसे जैसे देश में साईलेज का उत्पादन और  उपलब्धता बढ़ेगी इसका प्रचलन भी बढ़ता जायेगा |

साईलेज के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस मोबाइल नंबर 9981739223 पर संपर्क कर सकते हैं |