पशु संदेश, 21 November 2019
अनुराधा गुप्ता, श्रीजा सिन्हा, आकाश मिश्रा, ममता साहू, शेफाली आर्मो, मान सिंह चौधरी,
धर्मा साहू, अंकिता राउतेला
डेयरी पशुओं के लिए आवास व आश्रय का मुख्य उद्देश्य पशुओं के वेहतर विकास, वेहतर प्रजनन और उत्पादन प्रदर्शन के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना है। डेयरी पशुओं के आवास की योजना और संरचना बनाते समय पशुओं के वेहतर स्वास्थ्य और आरामदायकता के साथ साथ श्रमिकों का डेयरी फार्म के विभिन्न कार्यों में आर्थिक रूप से उपयोग हो जैसे पशुओं कि खिलाई-पिलाई, पशु व फार्म की सफाई और स्वच्छ दूध उत्पादन आदि पर भी विचार करना चाहिए। पशुओं के वेहतर कल्याण के लिए पशु आवास की योजना बनाते समय निम्नलिखित बिन्दूओं पर ध्यान देना चाहिए।
पशु आवास के निर्माण के लिए मूल विचार
डेयरी पशुओं के आवास की कोई यूनिट (इकाई) निर्माण की योजना की परिकल्पना करने से पहले कुछ बुनियादी विचारों का ध्यान रखना चाहिए।
डेयरी फार्म के लिए स्थान का चयन
डेयरी फॉर्म बाजार / आवासीय क्षेत्र के निकट होना चाहिए। प्रस्तावित डेयरी इकाई बाजार के पर हो तथा डेयरी इकाई कि सभी ईमारत, फार्म और गाँव व शहर आदि सड़क से जुड़े हो ताकि परिवहन में आसानी हो। डेयरी फार्म पर दूध, एक जल्दी खराब होने वाला पदार्थ है इसलिए इसे एक छोटे अंतराल में ठंडा करना चाहिए। दूसरा विकल्प यह है कि दूध को संग्रह केंद्र जहाँ दुग्ध शीतलन कि सुविधा हो, पर भेजना चाहिए।
स्थलाकृति
भूमि जहाँ पर पशुओं के रखने के लिए ईमारत (बाड़ा / पशुघर) बनाया जा रहा है वहाँ की भूमि उबड़ खाबड़ नहीं होनी चाहिए। यह देखा गया है कि जिस क्षेत्र की भूमि का जल स्तर ऊचा हो और जल निकास की सुविधा अच्छी न हो वहाँ पर जल से सबंधित बीमारियां होने की सम्भावना होती है। एक समतल क्षेत्र भवन निर्माण तथा तैयारी व्यय की लागत में कमी करता है।
बरसात के मौसम में जल का निकास
भूमि पानी सोखने वाली तथा थोड़ी ढलान वाली होनी चाहिए ताकि वर्षा के पानी के साथ साथ मल मूत्र बह कर निकल सके तथा भवन और पशु बाड़ा सूखा रह सके।
स्थान का आकार और ढलान
पशुओं को रखने की जगह (बाड़ा अथवा पशुघर) पशुपालक के कुल पशु संख्या तथा भूमि की उपलब्धता पर निर्भर करता है। प्रस्तावित चयनित क्षेत्र पशुओं की संख्या के लिए पर्याप्त होना चाहिए। सड़क भवन (बाड़े) के एक तरफ तथा रेलवे ट्रैक से दूर हो ताकि शोर गुल से बचा जा सके। भूमि में कुछ ढलान हो ताकि मॉल मूत्र बह के निकल सके।
सूरज का प्रकाश और हवा से सुरक्षा
डेयरी फार्म की ईमारत ऐसी दिशा मे स्थापित करनी चाहिए जहां पर सूर्य का प्रकाश, अधिक ताप तथा ठंडी हवाओं से जनवरो को बचाया जा सके इसलिए अधिकतम सूर्य के प्रकाश तथा हवाओं से बचने के लिए पशुघर (ईमारत) उत्तर दक्षिण की तरफ होना चाहिए। हवाओं से बचने के लिए फार्म की सीमाओं पर स्थानीय उपलब्ध पेड़ पौधे लगाने चाहिए जोकि न केवल पशुओं को हवाओं से सुरक्षा करते है वल्कि पशुओं को प्राकृतिक छाया भी प्रदान करते है।
मजदूर की उपलब्धता
डेयरी फार्म के पास पर्याप्त मजदूर उपलब्ध होने चाहिए। फार्म की संरचना (बनावट) इस तरह की होनी चाहिए जिससे की नियोजित परिश्रम व्यर्थ न हो। सभी डेयरी इकाई व इनकी गतिविधियां एक ही जगह केंद्रित होनी चाहिए। उदहारण के लिए यदि जानवर को आहार देना है और हरा चारा फार्म से दूर है तो सूखा चारा और दाना लेन में समय कि बर्बादी होगी।
पशु आवास का प्रकार और प्रणालियां
डेयरी पशुओं के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के आवास होते है, एक खुला आवास और दूसरा पारम्परिक बंद आवास। प्रतेक आवास के अपने फायदे व नुकसान होते है। डेयरी पशुओं के आवास के संदर्भ में अंतिम निर्णय विशेष क्षेत्र कि जलवायु के चरों जैसेकि हवा, तापमान, वर्षा इत्यादि के अधार पर लेना चाहिए। खुले आवास में जानवरों को दूध दोहन के आलावा, आमतौर पर 40 से 50 के समूह में दिन-रात खुला रखते है, परन्तु कुछ अन्य विशिष्ट प्रयोजनों के दौरान जैसे उपचार, प्रजनन आदि के दौरान जानवरों को बांधने की आवश्यकता होती है। इस प्रकर के आवास में नांद ढके हुए स्थान पर तथा जहाँ पर गाय खड़ी होती है तथा खुला बाड़े में पानी की होद होनी चाहिए तथा ये दीवारे ईट की बनी होनी चाहिए। इस प्रणाली में बछड़ों, दुग्ध दोहन, प्रसव व सांड इत्यादि के लिए अलग अलग ईमारत (बाडा) होना चाहिए। इस प्रकार के भवनों और निवेश को ध्यान में रखते हुए, खुला आवास किसानों के लिए अच्छा साबित हो सकता है। इस प्रकार की आवास प्रणाली कम वर्षा वाले क्षेत्रों जैसे पंजाब, हरियाण, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों के लिए आदर्श है।
अन्य स्थानो पर इस आवास प्रणाली में कुछ संसोधन कर अधिक बारिस से पशुओं को बचाया जा सकता है। इस प्रकार के पशु आवास के निर्माण में कम लागत कि आवश्यकता होती है तथा कम समय में विस्तार किया जा सकता है। इस प्रणाली में प्रबंधन आसान और कुशलतापूर्वक किया जा सकता है। आग लगने का खतरा कम रहता है व स्वच्छ दूध उत्पदान में मदद करता है।
इसके विपरीत पारपरिक बंद आवास प्रणाली में सर्दिओं के मौसम के दौरान अधिक से अधिक सुरक्षा प्रदान करता है परन्तु अनुपातिक लागत बहुत अधिक होती है। तथ्यों की बात करे तो खुले आवास प्रणाली पर अधिक विस्तृत अध्ययन नहीं किया गया है जिससे की इसकी श्रेष्टता का आकलन किया जा सके । हालांकि भवनों और निवेश की लागत को देखते हुए खुले आवास प्रणाली अधिक वाछनीय हो सकती है। परन्तु यह प्रणाली भारत के सभी कृषि जलवायु क्षेत्रों के लिए पूरी तरह उपयुक्त नहीं है। भारत की जलवायु विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न होती है, इसलिए पशुओं की आवास की योजना एक विशेष क्षेत्र कि प्रचलित कृषि जलवायु की परस्थितियों के अनुसार तैयार करना चाहिए। विभिन्न कृषि परस्थितिओन व क्षेत्रों कि जलवायु को ध्यान में रखते हुए खुले आवास प्रणाली में अगर कुछ खामियां हों तो जलवायु कि आवश्यकता के अनुरूप संशोधित करके उपयुक्त बनाया जा सकता है
भारी वर्षा वाले क्षेत्र
व्यस्क जानवरों के लिए संशोधित खुला आवास प्रणाली एक सामान्य खुले आवास प्रणाली की तरह होती है परन्तु इस में बाड़े के एक तरफ एक ढका आवास होता है जोकि पशुओं को बारिस के दौरान पर्याप्त सूखा क्षेत्र प्रदान करता है तथा तेज हवाओं से सुरक्षा प्रदान करता है। पशुओं के आराम करने कि जगह, खुले बाड़े से अपेक्षाकृत कुछ उच्ची होनी चाहिए तथा एक तरफ ईटों की दीवार से बंद कर देनी चाहिए जोकि वायुरोधक का कम करती है।
गर्म शुष्क क्षेत्र
गर्म शुष्क क्षेत्र के लिए खुला आवास प्रणाली की बनावट ऐसी होनी चाहिए ताकि पशुओं के आराम करने का क्षेत्र खुले हुए भाग के मध्य तथा छायादार वृक्षों से ढका हो। यह पशुओं को अप्रत्यक्ष रूप से छाया प्रदान करेगा और प्रत्यक्ष रूप से जानवरों को सौर विकिरण से तथा गर्म मौसम के दौरान पशुओं को धूप से बचाएगा। आराम करने कि जगह को सभी तरफ से खुला छोड़ देना चाहिए जिससे की शुद्ध हवा पशुओं को मिल सके।
शीतोष्ण क्षेत्र
शीतोष्ण क्षेत्र में, आवास की पारंपरिक बंद आवास प्रणाली के साथ खुला आवास प्रणाली भी आंशिक रूप से वांछनीय है। यह प्रणाली पशुओं को बर्फ बारी, वर्षा और तेज हवा आदि से बचाती है। पारंपरिक बंद आवास की पूंछ से पूंछ प्रणाली में पशुओं को बांधने, दुग्ध दोहन आदि कीवयवस्था एक पूर्णतः छत और बंद दीवारी के अंदर होती है।
इसके अलावा डेरी पशुओ के आवास बनाते समय निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए
ढलान
पशु आवास को साफ, शुष्क (नमी रहित) बनाये रखने के लिए पशु बाड़े में उचित ढलान महत्वपूर्ण है। प्रभावी जल निकास के लिए खुले हुए पशु बाड़े में ढलान 1:60 के अनुपात में चाहिए। पशुओं के खड़े होने के स्थान पर यह ढलान 1:40 के अनुपात में होना चाहिए।
नाली
नाली का ढलान 1:40 के अनुपात में होना चाहिए। बारिस के पानी की पूरा निकासी के लिए खुले बाड़े में नालियों उथली होनी चाहिए। एक प्रभावी जल निकास के लिए डेयरी फार्म की आम नालियां में पर्याप्त ढलान और चैड़ाई होनी चाहिए। डेयरी फार्म में खुली नालिया भूमिगत नालियों की तुलना में बेहतर होती है क्योकि भूमिगत नालियां आमतौर पर बंद (ब्लॉक) हो जाती है।
छत
गाय और भैस की दुग्ध शाला के ऊपर डबल छत वाली संरचन होनी चाहिए। यह छत मध्य के तरफ 6 से 8 फीट तथा इसकी उचाई 16 से 18 फीट तथा किनारों की और झुकी होनी चाहिए।
खड़े होने वाले स्थान पर अलग से छत होनी चाहिए तथा 1 फीट का गेप होना चाहिए ताकि वेहतर प्रकाश और हवा का आवागमन हो सके। छत कि ऊंचाई मिडरिब से 15 फीट तथा दोनों तरफ 12 फीट होनी चाहिए। छत खभों पर खड़ी की जा सकती जिसके लिए सीमेंट, लोहा के पाइप तथा मजबूत लकड़ी के खभे प्रयोग में ले सकते है। पशु शाला में पशुओं को गर्मी के मौसम के दौरान गर्मी के तनाव से बचने के लिए धुंध वाले पंखे लगाना चाहिए। पशुओं को को सर्दी के मौसम के दौरान पशुओं को ठंड के तनाव से बचने के लिए ठंडी हवा को रोकने के साधनों का उपयोग करना चाहिए तथा पशुओं के निचे आरामदायक बिछावन के लिए पेड़ों के पत्ते, रबड़ मेट या धान कि पुआल उपयोग में लेनी चाहिए।
बछड़े, बछड़ियों और शुष्क गाय व भैसों के शेड की छत न जलने वाले पदार्थ (एसवेस्ट) की शीट की बनी होनी चाहिए तथा छत की उचाई तल से 12 से 14 फीट होनी चाहिए। इन छतों की पिच दोनों तरफ से सामानांतर 12 से 18 डिग्री की होनी चाहिए। छत का बाहरी भाग खभों / दीवारों से लगभग 50 सेमी तक बहार निकली होनी चाहिए।
फर्श
बछड़ों, बछड़ियों और दुधारू गाय व भैसों के शेड का फर्श आर सी सी, सीमेंट की पक्की टाइल्सों की बनाई जानी चाहिए। फर्श फिसलन रहित होनी चाहिए इसके लिए फर्श जब नम हो तो फर्श कि सतह पर विस्तार धातु ता उपयुक्त तार का जाल के साथ खाचे बनाकर खुर्दरा बनाना चाहिए ताकि जानवरों को फिसलन से बचाया जा सकता है। वयस्क गाय भैस के शेड में खचे 15x15 सेमी के और बछड़े के शेड में 10x10 सेमी के खाचे बनाने चाहिए। पशुशाला कि फर्श का ढलान 1:40 के अनुपात में होना चाहिए। बंद क्षेत्र के अंतिम किनारो पर यू आकर कि तथा 30 सेमी चैड़ी और 6 से 8 सेमी गहरी नाली बनानी चाहिए। नालियों का ढलान 1:100 के अनुपात में होना चाहिए जो दो कक्ष से होते हुऐ सेप्टिक टैक तक जाता है जिसकी लम्बाई, चैड़ाई, गहराई क्रमशः 5, 5 और 10 फीट होनी चाहिए। खुले क्षेत्र का आधे से एक तिहाई भाग में सभी पशुओं के लिए कच्चा या बालू का विछावन होना चाहिए तथा बचे हुए आधे से एक तिहाई भाग में पक्की ईट कि फर्श होनो चाहिए। भूसा भंडार स्थान,चाप कटर का स्थान का फर्श पक्की ईटों का बना होना चाहिए तथा चारा पिसाई, मिश्रण दाना दूध भंडार का स्थान का फर्श आर सी सी कि बनी होनी चाहिए।
अनुराधा गुप्ता, श्रीजा सिन्हा, आकाश मिश्रा, ममता साहू, शेफाली आर्मो, मान सिंह चौधरी,
धर्मा साहू, अंकिता राउतेला
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल, हरियाणा