सिरोही बकरीयों का आहार एवं प्रजनन प्रबंधन

Pashu Sandesh, 07 December 2021

डा.सोनू कुमार यादव1, डा. अंजनी कुमार मिश्रा2, डा. अमित कुमार झा3, डा. राजेश कुमार वांद्रे4 एवं डा. ऋषिकांत त्रिपाठी5

सिरोही बकरियों का प्रजनन प्रबंधनः

सामान्यतः सिरोही बकरी 14 से 16 माह में दो बार बच्चे देती है और इनके बच्चा देने की क्षमता है। 60 प्रतिशत दो बच्चों की है तथा 35 से 38 प्रतिशत एक बच्चा और 2-3 प्रतिशत तीन बच्चे को जन्म देने की है। सिरोही बकरी शीघ्र ही परिपक्क हो जाती है  यह 18-20 माह की आयु में ही बच्चा देने के लिए तैयार हो जाती है और इनके बच्चों का भार जन्म के समय 2-3 किलोग्राम तक होता है। सिरोही प्रजाति की बकरी से अच्छे बच्चे जो कि स्वस्थ तथा तंदुरूस्त हो यह उनकी मां के तथा उसके पिता के ऊपर निर्भर करता है इसलिए हमें इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए कि जब बकरी को क्रास करा रहे है उस समय उसकी शारीरिक स्थिति कैसी है तथा हमें प्रजनक (ब्रीडर) की आयु तथा उसके स्वास्थ्य के बारे में भी बारीकी से पता होना चाहिए साथ ही साथ हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि बकरी गर्मी मे कब आ रही है और उसके मद चक्र के बारे में भी हमें पता होना चाहिए जिससे हम समय पर बकरी को क्रास करा सकें। ब्रीडर का चयन करते समय आपको इस बात का विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए जो गुण है वह प्योर प्रजाति के बकरियों के हिसाब से होनी चहिए तथा उसकी उम्र 6-8 दांत से ज्यादा नही होना चाहिए। जिससे बकरी से होने वाले बच्चे उच्च नस्ल के होने के साथ साथ स्वस्थ होगें।

सिरोही बकरियों का आहार प्रबंधनः- 

ज्यादातर किसान बकरियों के आहार प्रबंधन पर ध्यान नही देते है, वह उन्हें चरा कर बांध देते है, लेकिन ऐसा नही करना चाहिए। बकरियों को चराने के बाद उन्हें उचित चारा देना चहिए जिससे उनके मांस और दुग्ध में वृद्धि हो सके। बकरियों को समुचित विकास से लिए मुख्य रूप से तीन प्रकार का आहार दिया जाता है-

1. हरा चाराः- बकरियों के आहार में हरे चारे का विशेष महत्व है इसमें पोषक तत्व के रूप में प्रोटीन, खनिज लवण, और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जो कि बकरियों के विकास के लिए अच्छा होता है। हरा चारा के रूप में जंगली घास, पेड पौधों की पत्तियाँ और फलियाँ, सब्जी के पत्ते, सब्जी के छिलके इत्यादि खिलाया जा सकता है यद्यपि कृषक अपने खेत में हरे चारे को उगाकर भी खिला सकते है हरे चारे में जैसे बरसीम घास, रिजका, लोबिया, मक्का, ज्वार आदि खिलाया जा सकता है।

2. सूखा चाराः- बकरियाँ सूखा चारा के रूप में अरहर, चना, मटर का भूसा, मूंग और उड़द की सूखी पत्तियाँ, बरसीम या रिजंका खूब चाव से खाती है।

3. दानाः- बकरियों के बेहतर स्वास्थ्य हेतु उन्हे हरा एवं सूखा चारा के साथ-साथ दाना का मिश्रण देना अच्छा होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवण भरपूर मात्रा मे होने के कारण ये बकरियों के स्वास्थ्य हेतु अच्छा होता है। 

बकरियों के पोषण प्रदान करने के लिए प्रतिदिन उन्हे दाने के साथ-साथ उन्हे सूखा चारा भी देना चाहिए इनके दाने में 57 प्रतिशत मक्का, 20 प्रतिशत मूगफली की खली, 20 प्रतिशत चोकर, 2 प्रतिशत मिनरल मिक्चर,1 प्रतिशत नमक होना चहिए।

डा.सोनू कुमार यादव1, डा. अंजनी कुमार मिश्रा2, डा. अमित कुमार झा3, डा. राजेश कुमार वांद्रे4 एवं डा. ऋषिकांत त्रिपाठी5

पशु चिकित्सा एवं पशु पालन महा विधालय रीवा .प्र.

1 पी.एच.डी स्कालर

2 प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष

3 सहायक प्राध्यापक

4 सहायक प्राध्यापक

5 एम.व्ही.एस.सी.