गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने के अभियान चलाना बहुत जरूरी है: गिरीश जे. शाह

समस्त महाजन द्वारा गौशाला स्वाबलंबन प्रशिक्षण शिविर सितंबर में

पशु संदेश, 9 अगस्त 2019; बेंगलुरु (कर्नाटक)

रिपोर्ट: डॉ आर बी  चौधरी

भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य गिरीश जे शाह का मानना है कि अगर गौशाला संचालन करने वाले लोग चाहे तो गौशालाओं को स्वावलंबी बनाया जा सकता है। इसके लिए किसी राकेट साइंस की जरूरत नहीं है बस इच्छाशक्ति की जरूरत है जिसके तहत हमें अपने पारंपरिक संसाधनों को जागृत करना होगा और उनके माध्यम से गौशालाओं की अधिकांश समस्या हल की जा सकती है। शाह बैंगलोर में आयोजित एक है पत्रकार बैठक को संबोधित करते हुए बताया कि किसी भी गौशाला को संचालित करने के लिए सबसे आवश्यक संसाधन है पानी इसके बाद चारे की उपलब्धता। इन दोनों प्रमुख संसाधनों के जरिए गौशाला की तमाम समस्याएं दूर की जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह वह पिछले डेढ़ से दो दशक इस दिशा में स्वस्थापित स्वयंसेवी संस्था "समस्त महाजन" में इस कार्य का प्रयोग करके देख चुके हैं।

बंगलुरु प्रेस क्लब में संपन्न प्रेस वार्ता में उन्होंने यह भी कहा कि सामस्त महाजन के द्वारा गौशाला को स्वावलंबी बनाने की दिशा में किए गए कार्यों के बारे में वह जगह जगह अपनी बात लोगों से साझा कर रहे हैं। साथ ही साथ इसे एक अभियान का रूप दिया है और विभिन्न राज्यों में गौशाला प्रतिनिधियों का बैठक आयोजित कर उन्हें अपने अनुभव को बता रहे हैं हैं।इस क्षेत्र में किए गए अपने कुछ विशेष प्रयासों की चर्चा के दौरान बताया कि ग्रामीण विकास, जल संचयन, वृक्षारोपण, पर्यावरण संरक्षण जैसे पारंपरिक रीति-रिवाजों पर आधारित रहा है। ऐसे मामले सामाजिक मुद्दों से जुड़े तो होते ही हैं किंतु इनका सबसे बड़ा असर पशुओं के कल्याण के साथ-साथ गोशाला विकास के क्षेत्र में आजमाया गया है जो बड़ा ही सफल प्रयोग है।

इस दिशा में पिछले दो दशकों से अधिक समय लगाना की बात जो सफलताएं मिली उस आधार पर समस्त महाजन के उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदान "राष्ट्रीय पुरस्कार" प्रदान किया गया। अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि कई सालों से देश के विभिन्न राज्य सूखे और अकाल की मार झेल रहे हैं। राजस्थान में जानवरों की स्थिति बड़ी दयनीय देखी गई है। भीषण गर्मी के कारण शायद आने के अभाव में सैकड़ों जानवर प्रतिदिन काल के गाल में समा रहे थे। ऐसी हालात में गोवंशीय जानवरों के लिए पानी और चारा की कमी के कारण उनकी मौत नियंत्रण से बाहर हो रही थी। इसलिए, हमने राजस्थान में जाकर बचाव और पुनर्वास कार्य किया जो वर्तमान में जारी है।

शाह ने बताया कि राजस्थान सीमा क्षेत्र के जानवर सबसे अधिक प्रभावित हैं जिन पर सबसे अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिए, हम वर्तमान में तत्कालिक व्यवस्था के रूप में पानी ,चारा और पशु चिकित्सा की व्यवस्था करने में जुट गए। साथ ही साथ इस समस्या से निपटने के लिए अस्थाई समाधान के लिए पारंपरिक एवं कुदरती व्यवस्था पर काम कर रहे हैं।जिसमें प्राकृतिक आपदा और सूखे की ऐसी चुनौतियों का सामना करने के लिए तालाबों का निर्माण, मरम्मत एवं सफाई, स्थानीय देसी घास उत्पादन एवं उसे उगाने के लिए प्रोत्साहन, चारागाह भूमि विकसित करने और देसी वृक्षों को लगाने का काम चला रहे हैं ताकि भविष्य में अकाल और सूखे जैसी स्थिति से सामना किया जा सके।

उन्होंने यह भी कहा कि आज स्थिति यह है कि सामस्त महाजन राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र के 25 गांव गोद ले लिया है क्योंकि वह गांव सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।सीमावर्ती क्षेत्र के गांव में चारा और पानी का नितांत अभाव हो जाता है। इसलिए समस्त महाजन संस्था उन्हें उपलब्ध कराकर पीड़ित जानवरों को बचाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। यही कारण है कि सामस्त महाजन स्थाई और अस्थाई दोनों मुद्दों पर काम कर रहा है यानी पशु प्राण रक्षा के साथ-साथ पारंपरिक व्यवस्था के विकास के लिए स्थायी समाधान का लक्ष्य बनाया है। अभी हाल में थाने राजस्थान में तालाब बनाने के लिए 25 जेसीबी तैनात किए हैं ताकि बारिश के पानी का संग्रह मानसून के मौसम आसानी से कर सकें।संग्रहित जल का उपयोग आपातकालीन हालात के दौरान पानी की कमी को पूरा करने के लिए किया जा सके।

इसी प्रकार साल भर चारे की आवश्यकता पूरी करने के लिए घास के उत्पादन से काम चलाने तथा वृक्षारोपण के माध्यम से पशुओं को छाया प्रदान करने तथा वातावरण ठंडा रखने का कार्य किया जा सके। अब तक समस्त महाजन ने केवल बचाव अभियान के लिए 1.76 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। फिर भी यह राशि राजस्थान परियोजना को पूरा करने और गांव की प्राकृतिक एवंर पारंपरिक प्रणाली को विकसित करके गांव को आत्म निर्भर बनाने के लिए बहुत कम है।

पत्रकार वार्ता में समस्त महाजन के ट्रस्टी देवेंद्र जैन भी उपस्थित थे और उन्होंने बताया कि  इस संबंध में सितंबर महीने में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमें गौशाला प्रतिनिधियों को शरीक होने का सुनहरा अवसर है। अधिक जानकारी के लिए कभी भी समस्त महाजन( +91 98251 29111/+919789859008) मुंबई से संपर्क किया जा सकता है।

डॉ आर बी चौधरी
(विज्ञान लेखक एवं पत्रकार, पूर्व मीडिया हेड एवं प्रधान संपादक- भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड, भारत सरकार)