दूध,­ वरदान या अभिशाप 

पशु संदेश, 01 June 2020

डॉ मुकेश शर्मा 

गोषु प्रियम् अमृतं रक्षमाणा ( ऋग 1/71/6” इसका अर्थ है गो दुग्ध अमृत है यह हमारी ( रोग से  रक्षा करता है इसी प्रकार ऋग्वेद के मन्त्र 5/19/14 में भी कहा है कि गो दूध सर्वाधिक प्रिय एवं वांछनीय पेय पदार्थ है. अन्य अनेक स्थानों पर दूध को एक स्वास्थ्य वर्धक, रोग नाशक, रोगों से बचाव करने वाला , ओज व शक्ति देने वाला पेय कहा गया है। केवल शारीरिक शक्ति नहीं अपितु इसे बुद्धि वर्धक व सम्रद्धि देने वाला भी कहा गया है।

आयुर्वेद के ग्रन्थ  “निघंटु” में भी दूध के अमृत एवं पीयूष नाम दिए है इस प्रकार इन सभी शास्त्रीय प्रमाणों से ज्ञात होता है कि संसार में यदि कोई अमृत है तो वह दूध ही है आज के परिवेश में ये जानना जरुरी है कि जो दूध हम पी रहे है वो वास्तव में अमरत्तव  गुणों से भरपूर है?

दूध प्रोटीन, विटामिन, ऊर्जा, खनिज लवणो की प्रचुरता के कारण यह एक स्वस्थवर्धक खाद्य पदार्थ है, जो हमारे शरीर के लिये एक वरदान है पर इस अव्ययों के साथ यह हमारे लिए बीमारियों का खजाना भी हो सकता है। दूध में उपस्थित हानिकारक जीवाणु लंबे समय से मनुष्यों मे रोग कारक बने हुये हैं। टी.बी , ब्रूसेल्ला , डिफथीरिया, स्कारलेट बुखार, क्यू बुखार, अंतड़ियों का इन्फ़ेक्शन आदि बीमारिया, दूषित दूध के द्वारा मनुष्यों मे रोग फैलाती हैं। वर्तमान में बढ़ती तकनीकि से इन बीमारियों के फैलाओ को निश्चित तौर पर कम किया जा सकता है, परन्तु उसके लिए मनुष्यों मे जानकारी का होना आवश्यक है।

आज के समय में डेरी फार्मो पर यदि दुग्ध उत्पादन वैज्ञानिक पद्यति से किया जाये तो दूध वास्तव में वरदान है, परन्तु यदि दुग्ध उत्पादन में पशु आहार एवं स्वास्थ्य का ध्यान न रखा जाये तो ये एक अभिशाप साबित हो सकता है। पशुओं को नियमित टीकाकरण उनके रहने के लिए साफ़ एवं स्वच्छ स्थान, समय समय पर पशुओं कि जाँच कराना एवं उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना नितांत आवश्यक है।

अमृत रूपी दूध के उत्पादन में पशु आहार का विशेष महत्व है , क्योंकि जैसा आहार दुधारू पशु खायेगा दूध के गुण भी उसी के अनुरूप होंगे। पशु आहार में सही मात्रा में मिनरल, विटामिन एवं टोक्सिन बाइंडर आदि पदार्थों का समावेश करना दूध के गुणों को बढ़ाने के लिए आवश्यक है, क्योंकि कुछ विषैले तत्व जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में टोक्सिन कहा जाता है, पशु आहार के माध्यम से पशुओं के दूध में एवं उसके बाद मनुष्य में अपने दुष्प्रभाव छोड़ता है।

आज पूरे विश्व मे स्वच्छ दूध उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है, जबकि हमारे देश मे आज भी पारंपरिक डेयरी से प्राप्त पूर्णतः अस्वच्छ दूध का उपयोग बड़ी आसानी से किया जाता है। आज आवश्यकता इस बात के प्रचार प्रसार की है कि दूध जैसा सर्वोत्तम आहार भी आज हमारे लिये जहर साबित हो रहा है, यदि हम चाहते है कि यह सर्वोत्तम बना रहे तो हमें स्वच्छ दूध उत्पादन पर अपना ध्यान केन्द्रित करना होगा तथा उपभोक्ताओं को भी अपनी सेहत का ख्याल रखते हुये pasturized दूध का उपयोग करने पर जोर देना होगा।

दूध उत्पादन से लेकर वितरण तक कई चरणों मे दूध हमारे पास पहुँचता है और हर चरण मे दूध की स्वच्छता तथा गुणवक्ता पर असर पड़ता है।

दूध उत्पादन हेतु पशुओं के बाधने का स्थान यदि गंदगी से भरा है तो स्वाभाविकताः यहाॅ से बीमारियां पशुओं के माध्यम से दूध मे भी आ सकती है।

पशु आहार जिसके माध्यम से ही पशु दूध उत्पादित करता है, यदि वही ठीक नही होगा या हानिकारक रसायनिक तत्वों से संक्रमित होगा तो वह हानिकारक तत्व दूध के माध्यम से हमारे शरीर को नुकसान पहुँचा सकते है।

यदि अस्वस्थ पशु से दूध निकाला जायेगा तो भी पशु की बीमारी एवं उसे दी गई दवा का अंश दूध के माध्यम से हमारे शरीर  को क्षति पहुँचा सकता है।

दूध निकालने की प्रक्र्रिया मे यदि दूध निकालने वाले को किसी तरह की बीमारी है, तो वह बीमारी  हमारे तक पहुँच सकती है, इसलिये वैज्ञानिक तकनीक से अच्छे डेयरी फार्मो मे मशीन से दूध निकाला जाता है तथा दूध की जांच भी की जाती है।

यदि अन्य किसी माध्यम से कोई जीवाणु या कीटाणु  दूध मे हो तो उसे पाष्चरीकरण के द्वारा नष्ट किया जा सकता है, परन्तु यदि कच्चा दूध का इस्तेमाल किया जाये तो दूध बीमारियो की जड़ ही साबित होगा।

दूध उत्पादन से वितरण तक के प्रत्येक चरण मे दूध के संक्रमण से बचाने का तथा हमारे सर्वोत्तम आहार को सर्वोत्तम बनाये रखने का एकमात्र तरीका यही है, कि दूध वैज्ञानिक पध्दति से परिपूर्ण डेयरी फार्म का पाष्चरीकृत तथा पैक किया हुआ हो । इन बीमारियो से यदि बचना चाहते है तो ध्यान रखे कि दूध पाष्चरीकत ही हो क्यूँकि पाष्चरीकरण ही एक मात्र विधि है जिससे लगभग सभी जीवाणुओ को नष्ट किया जा सकता है, साथ ही यह भी ख्याल रखें कि जिस डेयरी का दूध आप उपयोग कर रहें है वह आधुनिक हो तथा पशु स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए सभी संसाधन मौजूद हो सिर्फ नाम व अच्छी पैकिग पर ही न जायें यह भी ख्याल रखे कि एक जगह की अपेक्षा विभिन्न जगहों में इकठ्रठा किया गया दूध कितना अच्छा हो सकता है, क्योंकि यह तो निश्चित है कि एक ही जगह पर पशुओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सकता है व स्वच्छ दूध का उत्पादन किया जा सकता है न कि विभिन्न जगहों पर अतः ध्यान रखें कि दूध स्वास्थ्य जानवर का हो तथा स्वच्छ तकनीक में निकाला गया हों साथ ही कम से कम समय में आपके पास पहुंचा हो तथा ऐसी डेयरी का हो जहां पशु  स्वास्थ्य, पशु आहार, स्वच्छ दूध उत्पादन का ध्यान रखा जाता है। साथ ही साथ इन सबके लिए विशेषज्ञ मौजूद हो अन्यथा निश्चित ही आप अपने व अपने परिवार को बीमारियों का तौहफा देंगें।

 यदि हम इन बातों पर गौर करेंगे तो निश्चित तौर पर हमारा सर्वोत्तम आहार सर्वोत्तम  रहेगा तथा आदि से अनन्त तक हमारे स्वास्थ्य के लिये एक वरदान साबित होगा।इस लेख के माध्यम से यह निश्चित करने की जिम्मेदारी उपभोक्ताओं की है कि उनके तथा परिवार के द्वारा उपयोग किया जाने वाला सफेद अमृत वरदान है या अभिशाप।

डॉ मुकेश शर्मा 

“डेरी गुरु”

डेरी कंसलटेंट 

राजनांदगाव छत्तीसगढ़

लेखक परिचय : डॉ मुकेश शर्मा, पिछले 20 वर्षो से अधिक समय से डेरी इंडस्ट्री में अपनी सेवाएं दे रहे है, डॉ मुकेश शर्मा, ने 19 वर्ष अबीस डेरी में महा प्रबंधक के पद पर अपनी सेवाएं दी है एवं देश की आधुनिकतम एवं सबसे बड़े डेरी फार्म होने का गौरव दिलाया, वर्तमान में डेरी कंसलटेंट के रूप में देश एवं विदेश में अपनी सेवाएं दे रहे है, डॉ मुकेश शर्मा, PDFA पंजाब के सलाहकार एवं कई राज्यों में सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे है, एवं पशु पालकों  को अपने अनुभव से स्वस्थ दुग्ध उत्पादन के लिए प्रेरित करते रहे है। वैंप डेरी सोलूशन्स के माध्यम से छत्तीसगढ़ में दुग्ध उत्पादकों को अपनी तकनिकी सलाह के माध्यम से छत्तीसगढ़ में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दे रहे हैं।

सम्पर्क: 9165254444