लोगों को आज पशु कल्याण से जोड़ने की जरूरत

पशु कल्याण से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या खत्म होगी

पशु संदेश, 15 May 2019

गिरीश जयंतीलाल शाह

एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (एडब्ल्यूबीआई) जानवरों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए देश का  एक सर्वोच्च प्रतिष्ठान है। बोर्ड की स्थापना 1962 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (1960 की संख्या 59) की धारा 4 के प्रावधान के अनुसार की गई थी।बोर्ड ने एक प्रसिद्ध मानवतावादी स्वर्गीय श्रीमती रुक्मिणी देवी अरुंडेल  के नेतृत्व में काम करना शुरू किया था। बोर्ड पिछले 53 वर्षों से देश में पशु कल्याण आंदोलन का चेहरा है। अपनी सेवाओं के माध्यम से, बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि देश में पशु कल्याण कानूनों का पालन किया जाता है, पशु कल्याण संगठनों को अनुदान प्रदान करता है और पशु कल्याण मुद्दों पर भारत सरकार को सलाह देता है, बोर्ड में 28 सदस्य होते हैं। सदस्यों के कार्यालय का कार्यकाल 3 वर्ष की अवधि के लिए होता है।

बोर्ड के सामने सबसे बड़ी चुनौती चारागाहों की घटती संख्या है जिसकी वजह से पशुओं को सबसे ज्यादा तकलीफ सहन करनी होती है क्योंकि उन्हें चारे से लेकर सभी मौलिक आवश्यकताओं का अभाव हो जाता है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि सभी प्रकार के चारागाहों का संरक्षण किया जाना चाहिये और इन्हें केवल पशु कल्याण के लिये प्रयोग किया जाना चाहिये। बोर्ड ने इस संबंध में सभी राज्यों और संघीय क्षेत्रों को कड़े दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

पशुओं के प्रति क्रूरता के निवारण के लिये बोर्ड का जमीनी स्तर पर अपना नेटवर्क है। 2008 में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य एवं जिला स्तर पर ऐसे त्रिस्तरीय बोर्डों और समितियों के गठन का  आदेश दिया था। दुर्भाग्य से बोर्ड के कई बार लिखने के बावजूद सभी राज्यों और गण राज्यों  ने ऐसे बोर्ड नहीं बनाये हैं।लेकिन बोर्ड पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकने के लिये एक बड़े कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहा है। जिसके तहत बोर्ड राज्य से लेकर जिला स्तर पर नेटवर्क तैयार करेगा। पशुओं के प्रति क्रूरता को नियंत्रित करने वाले इस नेटवर्क पर बोर्ड का नियंत्रण होगा और इसे राज्यों से मदद प्राप्त होगी| आवारा पशुओं की समस्या भले ही वे गाय, कुत्ते, बिल्लियां और बंदरों की हो हमारे देश में सर्वव्याप्त है। इसलिये सभी राज्यों और संघीय क्षेत्रों को सलाह दी गयी है कि इन आवारा पशुओं को शरणस्थल, भोजन एवं जल उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें अन्यथा इसे क्रूरता माना जायेगा।  बोर्ड ने सभी राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों को पशु तालाबों एवं कांजी हाउसों को दोबारा चालू करने और उनकी क्षमता से ज्यादा पशु वहां पर नहीं रखने के लिये लिखा है। बोर्ड इन आदेशों के अनुपालन के लिये निरीक्षण भी करेगा।

केस प्रापर्टी एनिमल रूल्स, 2017 को लागू करना क्योंकि राज्य सरकारों ने इन नियमों को लागू नहीं किया है इसलिये बोर्ड ने सभी राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों को इन नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये लिखा है साथ ही न्यूनतम दर तय करने की सलाह भी दी है कि पशुओं को क्रूरता का सामना ना करना पड़े। स्मार्ट शहरों एवं महानगरों में पशु संरक्षण गृह एवं पशुओं के लिये होस्टेल स्थापित करना सभी नगरों को पर्यावरण के लिये अनुकूल तरीके से विकसित करने एवं वहां पर पशुओं की सुरक्षा और देखभाल की माननीय प्रधानमंत्री की संकल्पना के अनुसार बोर्ड ने सभी राज्यों एवं सभी क्षेत्रों को संवेदनशील बनाने का निर्णय लिया है।

इसके लिये बोर्ड ने केंद्रीय नगर विकास मंत्रालय के साथ इन मामलों को राज्यों और संघीय क्षेत्रों के साथ उठाया है। बोर्ड उन सभी विभागों एवं संस्थाओं के खिलाफ कार्यवाही करेगा जो कि न्यायालय के निर्देशों एवं बोर्ड के परामर्श का पालन नहीं करते।

गिरीश जयंतीलाल शाह

सदस्य -भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड, भारत सरकार

मैनेजिंग ट्रस्टी -समस्त महाजन ,मुंबई