बकरीद के अवसर पर देश भर के पुलिस महकमे को अवैधानिक यातायात रोकना चाहिए

यातायात के दौरान होने वाली पशु क्रूरता एवं अपराध असहनीय 

Pashu Sandesh, 19 July 2021

गिरीश जयंतीलाल शाह

असदुद्दीन ओवैसी सांसद ( लोकसभा ) द्वारा डीजीपी तेलंगाना को एक लिखित शिकायती पत्र में लिखा गया है कि तेलंगाना पुलिस इस साल के बकरीद के अवसर पर परिवहन के दौरान जानवरों की जांच न करें। यह पत्र अपने में अत्यंत विचित्र और विवेक हीन है। सांसद ओवैसी के कुतर्कपूर्ण पत्र की लोगों में काफी चर्चा है, क्योंकि किसी भी सांसद के द्वारा कही गई इस तरह की बात न सिर्फ नियमों का उल्लंघन और तुष्टीकरण का परिचायक है बल्कि भारतीय संविधान का सरासर उल्लंघन है। कितने आश्चर्य की दु:खद बात है कि ओवैसी साहब पुलिस विभाग के मुखिया को बकरीद के अवसर पर नियमों को नजरअंदाज कर उसे प्रतिपालन की जगह पर उल्लंघन करने का परामर्श दे रहे हैं। मैं यहां यह बताना चाहूंगा कि गत वर्ष तेलंगाना सरकार के पुलिस विभाग के मुखिया ने तेलंगाना राज्य के सभी पुलिस अधिकारियों को 6 पृष्ठ का एक पत्र लिखकर यह आदेश दिया था कि बकरीद के अवसर पर नियमों का मुस्तैदी एवं शक्ति के साथ प्रतिपालन किया जाए। इस पत्र में डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस-डीजीपी ने पशुओं के प्रति होने वाले अपराध और क्रूरता की उन सभी धाराओं तथा नियमों-उप नियमों का हवाला देते हुए अपने दायित्व को निभाने का निर्देश जारी किया था।

कितने आश्चर्य और चिंता की बात है कि आज उसी राज्य में उसी राज्य के एक अत्यंत जाने-माने राजनेता एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी अपने राज्य के डीजीपी को पत्र लिखकर नियमों को ताक में रखने का आदेश दे रहे हैं। मैं यहां सांसद जी के लिखे गए पत्रों का संक्षिप्त विवरण बताना चाहूंगा कि उन्होंने अपने पत्र में कई बिंदुओं को लिखा हुआ था जिसमें पहली बात लिखी है कि बकरीद के आयोजन के दौरान पशु-पक्षियों के ऊपर होने वाले जोर को नजरअंदाज किया जाए और क्रूरता करने वाले व्यक्ति को कुछ न कहा जाए। उन्होंने इस बार ईद का जिक्र करते हुए लिखा है कि मुसलमान इस साल तीन दिन ( यानी 21, 22 और 23 जुलाई) को बकरियों, भेड़ और बैल की बलि देने वाले हैं। उन्हें इस कार्य में किसी प्रकार की रोकथाम न की जाए। आगे उन्होंने लिखा है कि परंपरागत रूप से, बकरीद की पूर्व संध्या पर हजारों भेड़, बकरियों और बैलों को हैदराबाद और अन्य मुख्य शहरों में बिक्री के लिए लाया जाता है। लगभग 50 प्रतिशत की 44 लाख मुसलमान  ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के परिक्षेत्र में रहते हैं।

हैदराबाद, साइबराबाद, राचकोंडा और अन्य जगहों पर पशु से भरे वाहनों को रोक कर कुछ लोग परेशान करते हैं। जिसका नतीजा है कि बकरीद की पूर्व संध्या पर गाय-भैंस का व्यापार करने वाले या परिवहन करने वाले व्यक्तियों को बकरीद के अवसर पर परेशान किया जाता है। इस मुद्दे को अपने पत्र में महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा है कि तेलंगाना के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस अपने सभी अधिकारियों को निर्देश दें कि वे पशु चिकित्सकों से वध के लिए जानवरों की उम्र और फिटनेस पर प्रमाण पत्र पर जोर न दें। आगे उन्होंने लिखा है कि वाहनों में जानवरों की भीड़भाड़ वाले गाड़ी में इसके लिए मामले दर्ज नहीं करना चाहिए क्योंकि विभिन्न प्रकार के हल्के कमर्शियल और हाइब्रिड लोड वाले वाहनों में जानवरों की संख्या पर कोई मानदंड नहीं है। साथ ही साथ बछड़े होने का दावा करके बड़ी संख्या में बैलों को जब्त न करने दें। जबकि नियमावली के अनुसार 3 साल के नीचे के बछड़ों का वध नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन ओवैसी साहब बैल और बछड़े की चर्चा कर बात को बीच में मोड़ देना चाहते हैं और अधिकारियों को जांच न करने की सलाह दे रहे हैं।

दरअसल, लोकसभा सांसद असादुद्दीन ओवैसी द्वारा 28  जून, 2021 को तेलंगाना के डीजीपी को लिखित पत्र में भ्रामक जानकारी देते हुए ट्रांसपोर्टरों द्वारा ट्रकों में अवैध पशु यातायात, नियम न्यू माली के खिलाफ जाने, विरोधाभासी और नकारात्मक विचारों को बढ़ावा देने, विवादास्पद उलझाने और एनिमल ट्रांसपोर्टरों की रक्षा के लिए किसी राज्य पुलिस से नियम का पालन न करने का अनुरोध निराधार एवं न्याय प्रणाली के खिलाफ है। उनके पत्र का साफ मकसद है कि पुलिस विभाग द्वारा तर्क के बिना बकरीद महोत्सव पर बलि के लिए पशुओं की आपूर्ति कराने में मदद की जाए। हम चाहते हैं कि बकरीद सारी दुनिया में मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक प्रमुख त्योहार है जिसे समूची दुनिया में मनाया जाता है। अगर हम बकरीद के त्यौहार के इतिहास पर नजर डालें तो यह ज्ञात होगा कि यह त्यौहार इब्राहिम (अब्राहम) की इच्छा का सम्मान करता है कि वह अपने बेटे इस्माइल (इश्माएल) को भगवान की आज्ञा का पालन करने के लिए बलिदान करे। यहूदी और ईसाई धर्म मानते हैं कि उत्पत्ति 22:2 के अनुसार, इब्राहीम अपने बेटे इसहाक को बलिदान करने के लिए ले गया। इससे पहले कि इब्राहिम अपने बेटे को बलिदान कर सके अल्लाह ने बलिदान के लिए एक भेड़ का बच्चा प्रदान किया। इस हस्तक्षेप की स्मृति में जानवरों की बलि दी जाती है।

अब यहां पर जीव दया करुणा अनुकंपा और प्रेम को समर्पित पशु कल्याण के विषय को भारत में बड़े ही सम्मान की दृष्टि से देखा गया है। चाहे वह पुरातन ग्रंथों की लिखी बातों की चर्चा को हम आसमान करके समझे अथवा आजादी के कुछ वर्षों बाद बनाए गए विशेष अधिनियम-जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की बात करें, सभी जगह पर भारतीय संविधान के अनुसार पशु संरक्षण और उसकी सुरक्षा की बात की गई है। भारत के संविधान की चर्चा जब चलती है तो यह विषय 51ए(जी) में भी दर्शित की गई है। जानवरों के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम, 1960, पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (स्लॉटरहाउस) नियम 2001, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) आदि असादुद्दीन ओवैसी के लिखे गए पत्र के खिलाफ है। इतना ही नहीं राज्य स्तरीय नियम अधिनियम जैसे गोहत्या निषेध नियम, नगरपालिका नियम और माननीय उच्च न्यायालयों के विभिन्न निर्णय (मुंबई उच्च न्यायालय, 1995; कोलकाता उच्च न्यायालय 2005; मद्रास उच्च न्यायालय 2014 और कर्नाटक उच्च न्यायालय 2008) के खिलाफ है साथ साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय, 1983 और 2014 के आदेश के विरुद्ध है।

अगर हम इस मुद्दे परगंभीरता से विचार करें तो यह ज्ञात होगा कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के प्रावधान के बताए गए मापदंडों के अनुसार बा कायदे पशु परिवहन के लिए उचित दिशा-निर्देश दिए गए हैं जिसमें यातायात के दौरान पशुओं की हैंडलिंग, मानवीय बर्ताव, निर्देशानुसार भोजन व्यवस्था, परिवहन के दौरान स्वास्थ्य की देखभाल और महत्वपूर्ण प्रबंधन व्यवस्था अत्यंत जरूरी है। यहां तक कि पशुओं के परिवहन के दौरान उनके स्वास्थ्य संबंधी जाँच में यह भी देखा जाना चाहिए कि परिवहन के लिए लिए गए पशुओं की उम्र क्या है। कहीं ऐसा तो नहीं कम उम्र के पशु परिवहन में ले जाए जा रहे हों, क्योंकि 3 साल से कम उम्र के बछड़े बच्चियों  का वध नहीं किया जा सकता। परिवहन के दौरान की जाने वाली जाँच में सिर्फ उनके स्वास्थ्य की स्थिति ही नहीं देखी जाती है बल्कि यह भी देखा जाता है कि कहीं पशु गर्भावस्था में तो नहीं है, क्योंकि गर्भित पशु वध के लिए नहीं ले जाए जा सकते हैं। इसी व्यवस्था में उचित खिला ऊपर जाँच और पानी, परिवहन के दौरान पशु के लिए पशु के बीच की दूरी की भी जांच की जाती है। यह भी देखना होता है कि पशु का वध नगर निगम के क्षेत्र हो रहा है या नहीं। नियमावली के तहत यह देखना भी अत्यंत जरूरी है कि कसाईखाना  मान्यता प्राप्त है या नहीं।

लोक सभा सांसद असादुद्दीन ओवैसी को पता नहीं इन बातों की जानकारी है या नहीं और उन्होंने तेलंगाना के डीजीपी को पत्र लिखकर देश की नियम नियमावली और संविधान की मर्यादा को ताक पर रखते हुए  बकरीद के अवसर पर पुलिस महकमे को अवैधानिक यातायात को बढ़ावा देने के लिए पत्र लिख बैठे। कितनी हैरानी का बात है कि सांसद महोदय को  पीसीए अधिनियम 1960 के बारे में पता तक नहीं है अथवा उन्होंने इस  आजादी के कुछ वर्षों बाद बनाई गई नियमावली को नजरअंदाज कर दिया। बताया जाता है कि वह एक जाने-माने अधिवक्ता हैं और कानून की पढ़ाई के लिए विदेश का भी भ्रमण कर आए हैं।

हालांकि, बकरीद के अवसर पर होने वाले इस तरह के अवैधानिक यातायात के उल्लंघन से बचने के लिए भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा हर साल देश के सभी राज्यों को तथा पुलिस महकमे को पत्र लिखकर आगाह किया जाता है कि नियमों के अनुसार अवैधानिक यातायात और कुर्ता होने वाली गतिविधियों पर रोक लगाई जाए । इस साल भी यह पत्र भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा पिछले महीने ही लिखा जा चुका है। इस बात को और पुष्ट करने के लिए मैंने भी देशभर के सभी पुलिस महानिदेशको को पत्र लिखकर या अनुरोध किया है कि बकरीद के अवसर पर होने वाले ऐसी क्रूरता को रोका जाए। सरकारें अपने ढंग से काम करती है लेकिन इस दिशा में जब तक जनजागृति नहीं रहेगी तब तक पशुओं के ऊपर होने वाले अपराधों को नियंत्रित करने में भरपूर सफलता नहीं मिलेगी।        

गिरीश जयंतीलाल शाह

सदस्य भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड एवं

मैनेजिंग ट्रस्टी समस्त महाजन

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