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पशु संदेश, भोपाल
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने 9 फरवरी को एनडीआरआई परिसर में संस्था द्वारा विकसित की गई दो तकनीकों का लोकार्पण किया। वे करनाल के एक दिवसीय दौरे पर पहुचे थे। परिसर में उन्होंने खिलाडिय़ों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लेस कल्की भवन, विद्यार्थियों के लिए नर्मदा हॉस्टल और बीपीडी यूनिट का भी शुभारंभ किया। कृषिमंत्री राधा मोहन सिंह ने इन तकनीकों के बारे में बताते हुए कहा कि गाय-भैंस के घी, मक्खन की पहचान करने वाली तकनीक और गाय, भैंस, बकरी और ऊंटनी के दूध की पहचान करने वाली तकनीक अब उपलब्ध हैं। इन तकनीकों से अगर कोई गाय के घी या मक्खन में भैंस का घी या मक्खन मिलाकर बेच रहा है तो इस किट की मदद से इसकी पहचान की जा सकेगी। इस अवसर पर उन्होंने दो पुस्तकें- गाय एवं भैंसों में प्रजनन प्रबंधन एवं ए-टेक्स्ट बुक ऑफ एनीमल बायोटेक्नोलॉजी का भी विमोचन किया।
कृषि एवं पशुपालन, रीढ़ की हड्डी
कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कृषि एवं पशुपालन देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, इसलिए जैविक खेती की ओर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने एनडीआरआई के वैज्ञानिकों से जैविक खाद बनाने और एकीकृत खेती करने की अपील की। एनडीआरआई के निदेशक डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि भारत के कुल दूध उत्पादन में 51 प्रतिशत हिस्सा भैंस और 45 प्रतिशत गायों का है। उन्होंने यह भी बताया कि दूध उत्पादन में वृद्धि पशुओं की संख्या से नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों द्वारा इजाद की गई तकनीकों सेे हुई है। आईसीएआर के उप महानिदेशक पशु विज्ञान डॉ. एच रहमान ने पशुओं में होने वाली बीमारियों पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पशु में थनैला और खुर पका-मुंह पका रोग सबसे घातक बीमारियों में से हैं, जिसकी वजह से हर साल देश को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है।
ढ़ाई हेक्टेयर में विकसित होगा एकीक्रत कृषि का मॉडल
कार्यक्रम के दौरान एनडीआरआईके निदेशक डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि संस्था द्वारा ढाई हेक्टेयर भूमि पर एकीकृत कृषि का मॉडल तैयार किया जाएगा, जिसमें एक
मतस्य पालन इकाई, कुक्कुट पालन इकाई की स्थापना के साथ ही फूल और फलदार पौधे लगाए जाएंगेे। इसके अलावा प्राक्षेत्र की कुछ भूमि पर जैविक चारा भी उगाया जाएगा।