जल, जमीन, जंगल एवं जानवर की रक्षा सुरक्षा कर सिर्फ धरती ही नहीं पर्यावरण को बचाइए:गिरीश जयंतीलाल शाह

Pashu Sandesh, मुंबई (महाराष्ट्र); 6 जून 2021

: डॉक्टर आर बी चौधरी

राष्ट्रीय पुरस्कार  प्राप्त संस्था समस्त महाजन  के तत्वावधान में  विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक  वेबीनार  संगोष्ठी का आयोजन किया गया  जिसमें संस्था के  मैनेजिंग ट्रस्टी  गिरीश जयंतीलाल शाह ने  दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के  दिशा में किए जा रहे प्रयास और कोरोना पेंडेमिक  की जानलेवा परिस्थिति में उत्पन्न  पर्यावरण प्रदूषण और  जीवन रक्षा के लिए  समस्त जीव - जंतुओं के संघर्ष पर प्रकाश डाला।  शाह ने कहा कि  जल, जमीन एवं जानवर के द्वारा जन - जीवन की रक्षा  और पर्यावरण से लेकर धरतीकी की सुरक्षा  अत्यंत जरूरी है  जो बिना सहभागिता के नहीं हो सकता।  उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण संरक्षण  के लिए जन चेतना बहुत जरूरी है और  सभी के अंदर जनजागृति  जब तक नहीं आएगी  तब तक  प्रकृति के कोप  भाजन होना पड़ेगा।

समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी शाह वर्तमान में भारतीय जन कल्याण बोर्ड के सदस्य भी हैं जो पर्यावरण संरक्षण और गो संरक्षण संवर्धन के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं, ने आज की संगोष्ठी में कहा कि पर्यावरण का संरक्षण को हमें अत्यंत गंभीरता के साथ लेना होगा अन्यथा आगे बहुत बड़ी चुनौतियां आने वाली है। जल, जमीन, जानवर एवं जंगल के द्वारा ही जनरक्षा का ही कार्य हो सकता है। यह एक चेन जैसा है जिसकी एक कड़ी टूट जाने से पूरी श्रृंखला बिखर जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री के संभाषण में आजकल एक नई शब्दावली का प्रयोग करते हैं वह है "न्यू वर्ल्ड" मतलब यह है कि संरक्षणवादी विचारधारा को इतना महत्व देना है कि वह "न्यू वर्ड" की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो। उन्होंने जल की समस्या का उदाहरण देते हुए कहा कि समूचे विश्व में जल की बहुत बड़ी समस्या है । भूगर्भ का जल कितने तेजी के साथ समाप्त हो रहा है कि आने वाले दिनों में पीने के लिए पानी बिल्कुल नहीं के बराबर हो जाएगा। इसलिए जल संरक्षण की नीतियों और कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे में बरसात के जल संरक्षण का महत्व पर हमें ध्यान देने की जरूरत है। जल को कलेक्ट और कनेक्ट करने की जरूरत है। देश के 650 हजार गांव में अगर बरसात की पानी इकट्ठा किया जाए तो बहुत बड़े जल संचय का कार्य किया जा सकता है। उन्होंने दुबई का उदाहरण देते हुए कहा कि दुबई में जल की समस्या से निपटने के लिए सीवेज वाटर और सी वाटर को सुधार कर पीने के काम में लाया जा रहा है। उन्होंने इस विकट समस्या से निपटने के लिए सरकार की नीतियों और जनआंदोलन की बात कहीं।

अपने वार्ता की अगली कड़ी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे स्तित्व के लिए जंगल का रहना बहुत जरूरी है। देश में जंगलों की कटान बहुत तेजी के साथ हुई है जिसका नतीजा हमारे जलवायु से लेकर आज ऑक्सीजन की सिलेंडर खोजने की भगदड़ जैसी स्थिति में जंगलों की भूमिका को समझना पड़ेगा और जंगल का सम्मान करना पड़ेगा। बिना जंगल के जीवन नहीं के बराबर हो जाएगा। समूची पारिस्थितिकी संतुलन एक तरफ बिगड़ेगी वहीं पर नाना प्रकार की बीमारियां मिलेंगी । होगा क्या कि मनुष्य का स्तित्व धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा। ऐसी स्थिति आने से पहले हमें सचेत होना होगा। उन्होंने अपनी राय व्यक्त करते हुए सभी से अनुरोध किया कि हमें आरटीआई के माध्यम से सरकार से पूछना चाहिए कि जितने शोरगुल के साथ हर साल जंगल लगाए जाते हैं, क्या , राज्य और केंद्र सरकारें वृक्षारोपण के 2 साल बाद लगाए गए पेड़ों की स्थिति की जानकारी रखती है या नहीं। सच में पूछिए तो इसके आंकड़े उपलब्ध नहीं है और इस भ्रमित करने वाली अभियान की जगह सही अभियान में बदलने की अत्यंत आवश्यकता है। हर परिवार, हर घर, हर गांव - अगर अपने निजी पारिवारिक के रीति- रिवाजों के अवसर पर वृक्षारोपण की परंपराएं आरंभ करें तो देश में वृक्षारोपण की एक बहुत बड़ी सफलता प्राप्त होगी। हालांकि, इस दिशा में काम करने वाले लोग अपने ढंग से काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक पशु प्रेमी ने तुलसी के पौधों का पूरा बागी चाचा अपने संस्थान में लगाया हुआ है जो सचमुच देखने लायक है। ऐसे जगहों पर जब हम टहलते हैं तो हमारे शरीर के हर एक अंग ऊर्जावान हो जाती हैं। आज लोगों को चाहिए कि कम से कम हर व्यक्ति 16 किस्म के देसी और औषधीय वृक्षों का रोपण करें ताकि पृथ्वी को हरियाली प्रदान कर वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाई जा सके।साथ ही साथ आमदनी भी प्राप्त किया जा सके।

जमीन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी मिट्टी भी प्रदूषित हो चुकी है। वर्तमान कृषि की नीतियां मिट्टी को जहर बना रही हैं। गोबर गोमूत्र जैसे जीवांश पैदा करने वाले ऑर्गेनिक खाद की मात्रा खेतों में घटती जा रही है।  उसका कारण है प्रतिवर्ष देश भर की पशु बधशालाओं में इतने पशु मांस के बिक्री के लिए मारे जाते हैं जिसका नतीजा है कि देश में उपलब्ध गोबर की मात्रा भी धीरे-धीरे घटती जा रही है और जमीन शक्तिहीन और जहरीली हो रही है। मिट्टी की पोषक शक्ति कम होने तथा उसमें कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग करने से मिट्टी तेजी के साथ जहर बढ़ा है जिसका सीधा संबंध जहरीले अनाज और सब्जियों के उत्पादन से है क्योंकि जब हम उसे ग्रहण करते हैं तो वही हमें नाना प्रकार की बीमारियां पैदा होती हैं। यह सब को पता है कि भटिंडा (पंजाब) से चलने वाली ट्रेन कैंसर के मरीजों को ले करके दिल्ली आती है। यह प्रकरण जहरीली मिट्टी में जहरीली और उसके उपयोग का नतीजा है। इसलिए सरकार को ऐसी नीतियों को बदलने की आवश्यकता है जिसमें अधिक से अधिक गोबर-गोमूत्र पैदा हो और उसका जमीन में प्रयोग हो ताकि पैदा होने वाले उत्पादन से हमारा स्वास्थ्य और प्रतिरोध क्षमता कायम रहे।

शाह ने वर्तमान परिस्थितियों में ऑक्सीजन की समस्या पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज हम ऑक्सीजन खोज रहे हैं और ऑक्सीजन पैदा करने वाले सभी रास्ते धीरे-धीरे बंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक जल, जमीन, जंगल और जानवर के संरक्षण के इस मंत्र का महत्व नहीं समझा जाएगा तो ऐसे ही विकट परिस्थितियां हमारे सामने मुंह बाये  खड़ी रहेंगी। उन्होंने बताया कि देश में सिक्किम ऐसा एक राज्य है जहां पर न  तो केमिकल फर्टिलाइजर और पेस्टिसाइड का प्रयोग की अनुमति है,न  कोई प्रयोग करता है और न  ही वहां पर लोग इन परिस्थितियों से सामना कर रहे हैं। गुजरात राज्य का हवाला देते हुए कहा कि आज गुजरात राज्य में गौशाला -पिंजरापोल को विकसित करने तथा गोबर गोमूत्र पैदा करने की प्राथमिकता दी जा रही है ताकि उस का बेहतर उपयोग किया जा सके। गुजरात को भी ऑर्गेनिक राज्य बनाया जा सके ।  आज समस्त महाजन जल संरक्षण, वृक्षारोपण,गौसंवर्धन तथा स्थानीय घास के उत्पादन से लेकर चरागाह विकास के प्रति समर्पित है और तकरीबन 25 हजार से अधिक जमीन को योग्य बनाकर चारागाह उत्पादन से लेकर जल संरक्षण का कार्य करने में आशातीत सफलता प्राप्त कर चुका है। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि प्रतिदिन पर्यावरण दिवस मनाइए और वृक्षारोपण करिए। सभी को चाहिए कि अपने रीति-रिवाजों के अनुसार घरेलू अनुष्ठानों में प्रति व्यक्ति के हिसाब से पेड़ लगाएं तभी मानवता सुरक्षित रहेगी। वृक्षारोपण हमारी दिनचर्या का एक अंग बन जाना चाहिए।

संगोष्ठी का आयोजन गुजरात की प्रतिष्ठित संस्था करुणा फाउंडेशन के कई पदाधिकारियों के साथ में किया गया था जिसमें बहुचर्चित समाजसेवी एवं जीव दया के लिए कार्य कर रहे  धीरू भाई और विजय भाई भी उपस्थित थे । कार्यक्रम का मनमोहक संयोजन किया था भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के कमेटी मेंबर मित्तल खेतानी ने।